रीवा: खाद्य अधिकारियों के नंबर बने 'शोपीस'? अंबरीश दुबे और शाबिर अली पर सीधा आरोप - 'सिस्टम ही चोर है!'

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के खाद्य विभाग में फैले भ्रष्टाचार और निष्क्रियता को लेकर जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। खाद्य अधिकारी अंबरीश दुबे (नंबर: 9407049707) और सबील अली (नंबर: 9981380834) जैसे जिम्मेदार अधिकारियों के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नंबरों का कोई फायदा नहीं दिख रहा है, क्योंकि उन पर शिकायतें दर्ज कराने के बाद भी किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होती। जनता सीधा आरोप लगा रही है कि "आखिर ये नंबर किस लिए बने हैं? पूरा सिस्टम ही चोर है!"

नंबर तो दिए, पर काम के नहीं!
जनता द्वारा बार-बार शिकायतें दर्ज कराए जाने के बावजूद, रीवा के खाद्य विभाग के अधिकारी अपनी ड्यूटी से मुंह मोड़ रहे हैं। अंबरीश दुबे और सबील अली के संपर्क नंबर जनता को जानकारी देने, शिकायतें दर्ज करने और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए जारी किए गए हैं। लेकिन, जब गंदे तेल में समोसे तलने, बासी भोजन बेचने, मिलावटी दूध परोसने और अवैध गैस सिलेंडरों के उपयोग जैसी गंभीर शिकायतें (जो कि कोर्ट परिसर के सामने खुलेआम हो रही हैं) इन अधिकारियों तक पहुंचाई जाती हैं, तो उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया या कार्रवाई नहीं होती है।

यह दिखाता है कि ये अधिकारी न सिर्फ अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं, बल्कि संभवतः भ्रष्टाचार में भी लिप्त हैं। जब कानून का उल्लंघन करने वाले खुलेआम 'मोदी से लिंक' होने का दावा करते हैं और फिर भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती, तो यह साफ है कि कहीं न कहीं ऊपर से नीचे तक मिलीभगत चल रही है।

जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़: 'सिस्टम' पर लगे गंभीर आरोप
जनता के बीच अब यह धारणा बन चुकी है कि खाद्य विभाग केवल नाम का है और इसके अधिकारी अपनी जेब भरने में व्यस्त हैं। जानकारी देने और जांच की मांग करने के बावजूद जब कोई कार्रवाई नहीं होती, तो यह सवाल उठता है कि अधिकारी आखिर किस बात की 'तनख्वाह' ले रहे हैं? क्या उन्हें सिर्फ कुर्सी पर बैठने और जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होते देखने के लिए वेतन दिया जाता है?

यह स्थिति रीवा की कानून व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही पर एक बड़ा धब्बा है। कलेक्टर और कमिश्नर जैसे वरिष्ठ अधिकारियों को इस पूरे मामले की गहन जांच करानी चाहिए। जिन अधिकारियों के नंबर जनता की मदद के लिए दिए गए हैं, यदि वे ही अपनी ड्यूटी में कोताही बरतें या भ्रष्टाचार में लिप्त हों, तो उन पर कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए ताकि जनता का विश्वास प्रशासन पर बहाल हो सके।

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