REWA : लूट की प्लानिंग के बाद दोस्त का मर्डर, 5 दिन में सुलझी मिस्ट्री; 78 दिन बाद मिला कंकाल, 3 आरोपी गिरफ्तार

 
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10 जून 2023। रीवा जिले के अतरैला थाने का फोन बजता है। कॉल उठाते ही आवाज आती है। सर, जंगल में एक मानव कंकाल पड़ा हुआ है। पुलिस के पूछने पर बोला– मैं मवेशी चराता हूं और देवखर गांव का रहने वाला हूं। आज भी साथियों के साथ मवेशी लेकर जंगल में आया हूं। पुलिस मौके पर पुलिस पहुंचती है और कंकाल को कब्जे में ले लेती है। शिनाख्ती के लिए जंगल से दो किलोमीटर दूर देवखर गांव पहुंचती है, जहां गांव के गोल्डी कोल के कई दिनों से लापता होने की बात पता चलती है।

गोल्डी के पिता को लेकर पुलिस मौके पर पहुंचती है, जहां कंगाल के पास पड़े फटे कपड़े और सड़ चुके जूते को देखकर वह चीख पड़ता है। वह दावा करता है कि यह कंकाल उसके बेटे का ही है। पिता हत्या की आशंका व्यक्त करता है, लेकिन पुलिस के हाथ अब तक खाली थे। इस मर्डर मिस्ट्री की गुत्थी को सुलझाने के लिए एक टीम गठित की गई। अतरैला थाना प्रभारी उपनिरीक्षक कन्हैया सिंह बघेल कहते हैं, मर्डर के 78 दिन बाद पुलिस शव तक पहुंची थी, लेकिन आरोपी तक पहुंचने में उन्हें 5 दिन का समय लगा।

मीडिया ने गोल्डी मर्डर केस की गुत्थी सुलझाने वाले अतरैला थाना प्रभारी कन्हैया सिंह बघेल से बात की

चरवाहों से मिली सूचना के बाद हमारी टीम बौलिया घाट के जंगल में उतरी। पैदल ही जंगल के अंदर जाने के बाद चारवाहों के बताए लोकेशन पर हम पहुंचे। वहां देखा तो झाड़ियों के बीच में कंकाल पड़ा हुआ था। आसपास कुछ फटे-पुराने कपड़े पड़े थे, जो सड़ चुके थे। पास ही मिट्‌टी से सना हुआ जूता भी पड़ा था। पहली नजर में शव काफी पुराना लग रहा था, क्योंकि बॉडी पूरी तरह से गल चुकी थी या जानवर खा गए थे। जिस जगह पर कंकाल मिला वहां से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर देवखर गांव है। जंगल के सबसे पास देवखर गांव होने की वजह से हमने अपनी जांच यही से शुरू की।

पहले तो पुलिस ने गांव में लापता हुए लोगों की जानकारी पूछी। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि इसी गांव के रहने वाले रामलखन कोल का 30 साल का बेटा गोल्डी कोल 30 मार्च से लापता है। पुलिस रामलखन कोल के पास पहुंची और बताया कि जंगल में एक शव मिला है। आप चलें और पहचान कर लें, कहीं वो आपका बेटा तो नहीं है। यह सुनते ही रामलखन बिलखने लगा। कहने लगा कि साहब थाने में अर्जी दी है, मुझे लगा कि पुलिस मेरे बेटे को ढूंढ लेगी। आप तो उसकी मौत का संदेश लेकर आ गए।

खैर, समझाने के बाद रामलखन को लेकर टीम जंगल में पहुंची। कंगाल के पास मिले कपड़े और जूते को देख उसने कहा कि हां यह मेरे बेटे का ही कपड़ा और जूता है। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद कंगाल को जांच के लिए भेजा गया। पूरे केस को संदिग्ध मानते हुए आला अधिकारियों को अवगत कराया। अंतत: अफसरों के आदेश पर सीन ऑफ क्राइम मोबाइल यूनिट के प्रभारी डॉ. आरपी शुक्ला मौके पर गए। एफएसएल यूनिट ने घटनास्थल से वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य एकत्र कर हड्डियां जब्त की। फॉरेंसिंक जांच के बाद यह तय हो गया कि कंकाल रामलखन कोल बेटे गोल्डी कोल की ही है।

30 मार्च को घर से निकाल, फिर नहीं लौटा

कंकाल की पहचान करने वाले रामलखन कोल ने बताया कि उनका बेटा गोल्डी 30 मार्च की सुबह को घर से निकला था, उसके बाद वापस नहीं लौटा। रामलखन ने पुलिस को बताया कि लापता होने के बाद अपने रिश्तेदारों को यहां पता किया। आसपास के गांव में भी उसे खोजने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी पता नहीं चला। थक हारकर रामलखन कोल ने अपने बड़े बेटे इंद्रपाल से कहा कि अब पुलिस में गोल्डी के लापता होने की शिकायत कर देनी चाहिए, इसलिए 12 दिन तक गोल्डी के लौटने का इंतजार करने के बाद परिवारवालों ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई।

12 अप्रैल को बड़े भाई इंद्रपाल ने दर्ज कराई गुमशुदगी

गोल्डी का बड़ा भाई इंद्रपाल कोल 12 अप्रैल 2023 को अतरैला थाने पहुंचा। उसने कहा कि छोटा भाई गोल्डी कोल पुत्र रामलखन निवासी देवखर गांव (सकरगैला प्लाट) 30 मार्च की सुबह से लापता है। उसकी शादी नहीं हुई थी। साल में 6 माह मुंबई तो कभी गुजरात जाकर नौकरी करता है। कुछ पैसे इकट्ठा होने पर गांव आकर पिता रामलखन के साथ रहता है। वही बुजुर्ग हो चुके पिता के लिए खाना बनाता है। एक सप्ताह तक जब पिता को अपने गोल्डी की खोज खबर नहीं लगी, तो 7 अप्रैल को उन्होंने मुझे सूचना दी। इंद्रपाल महाराष्ट्र के जलगांव से 11 अप्रैल को गांव आया। इसके बाद 12 अप्रैल को भाई की गुमशुदगी दर्ज कराने थाने आया हूं। पुलिस ने मिसिंग रिपोर्ट दर्ज कर ली।

गोल्डी के पिता ने तीन लोगों पर जताया संदेह

शव की शिनाख्त होने के बाद अब पुलिस के लिए हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने की चुनौती थी। इसी कड़ी में पुलिस ने अपने मुखबिर एक्टिव किए। पुलिस को सूचना मिली कि गांव के कुछ लोग ऐसी चर्चा कर रहे हैं कि गोल्डी की हत्या तो बहुत पहले हो चुकी है। अब तो सिर्फ उसका कंगाल मिला है।

मुखबिर की सूचना की पुष्टि के लिए पुलिस ने मृतक के पिता के संदेह के आधार पर गांव के कई लोगों से पूछताछ शुरू की। इसी पूछताछ के दाैरान तीन नाम सामने आए, जिनके साथ आखिरी बार गोल्डी कोल को देखा गया था। ये तीन लोग थे- मोतीलाल कोल पुत्र सुखलाल कोल, बुद्धसेन उर्फ छंगे कोल पुत्र बृजलाल कोल और तीसरा लाला कोल उर्फ रमेश पुत्र कामता कोल। इन्हीं तीन लोगों के साथ 30 मार्च की सुबह को गांव के कुछ लोगों ने गोल्डी को देखा था। इसी के बाद से गोल्डी लापता हो गया।

कंकाल मिलने के पहले से गांव में थी हत्या की चर्चा

पुलिस टीम जब देवखर गांव पहुंची तो कुछ ग्रामीणों ने पहचान छिपाने की शर्त पर पुलिस को बताया कि गोल्डी कोल (35) की मौत की कहानी गांव के कुछ लोग जानते थे, लेकिन मृतक के परिवार को इसकी जानकारी नहीं है। 70 वर्षीय बुजुर्ग पिता को ऐसा लग रहा है कि उनका बेटा कहीं दूसरे शहर चला गया है। वहीं बड़ा भाई भी गांव में नहीं रहता है, इसलिए पूरे मामले से गोल्डी का परिवार अनजान है। जबकि जिन लोगों के साथ उसे आखिरी बार देखा गया था वो तीनों गोल्डी की मौत होने की बात कई ग्रामीणों को बता चुके हैं। पिता के संदेह और कई ग्रामीणों के बयान के बाद पुलिस ने तीनों संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी।

पहले संदिग्ध को पुलिस ने हिरासत में लिया

तीनों संदिग्धों में से एक मोतीलाल कोल को पुलिस ने 10 जून की शाम को ही हिरासत में ले लिया। जब पुलिस ने गोल्डी के बारे में पूछताछ की तो उसने बताया कि सभी दोस्त 30 जून की सुबह साथ में ही थे, लेकिन बाद में गोल्डी कहीं चला गया। मुझे नहीं मालूम। तभी पुलिस को मुखबिर ने बताया कि मोलीलाल कई लोगों से कह चुका है कि गोल्डी अब वापस नहीं आएगा। उसकी मौत हो चुकी है। जब इस इनपुट के आधार पर पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो मोतीलाल ने गोल्डी की हत्या में दो अन्य साथियों बुद्धसेन उर्फ छंगे कोल और लाला कोल उर्फ रमेश की संलिप्तता स्वीकार की।

बुद्धसेन और लाला कोल फरार थे, अहमदाबाद से पकड़े गए

मोतीलाल के बयान के बाद जब पुलिस ने बुद्धसेन और लाला कोल के घर दबिश दी तो पता चला कि दोनों फरार हो चुके हैं। उनके परिवारवालों ने बताया कि दोनों अहमदाबाद नौकरी करने गए हैं। इसके बाद अतरैला थाना प्रभारी उपनिरीक्षक कन्हैया सिंह बघेल ने पुलिस टीम लेकर अहमदाबाद पहुंचे। वहां से दोनों की गिरफ्तार कर कंपनी का उपस्थिति रजिस्टर देखा। सबूत के तौर पर रजिस्टर को जब्त कर लिया।अहमदाबाद में पुलिस को पता चला कि तीनों आरोपी इसी कंपनी में काम करते हैं। तीनों एक साथ छुट्टी बिताने गांव गए थे। छुट्टी पर रहने के दौरान तीनों ने गोल्डी की हत्या की।

लूट की कोशिश के बाद तीनों ने की गोल्डी की हत्या

मोतीलाल कोल ने बताया कि 30 मार्च की देर शाम को हम तीनों ने एक साथ बैठकर शराब पी। नशे की हालत में गांव पहुंचे तो रात 11 बजे गोल्डी कोल दिख गया। रोजाना की तरह रात 12 बजे बौलिया घाट पहुंचे और लूट की योजना बनाने लगे। गोल्डी को भी प्लान में शामिल कर लिए। गोल्डी से कहा कि पहले लूट करेंगे। फिर मिलने वाले रुपए से तुमको शराब पिलाएंगे। बचा हुआ पैसा आपस में बांट लेंगे। गोल्डी के हामी भरने के बाद चारों गांव से दो किलोमीटर दूर देवखर और कोनी कला गांव के बीच बौलिया घाट पहुंचे। नदी के नए ब्रिज पर खड़े हो गए। फिर लूट के लिए किसी वाहन के आने का इंतजार करते रहे। टू व्हीलर तो नहीं आया, लेकिन एक फोन व्हीलर आते दिखा। लूट के लिए वाहन रोकने की कोशिश की तो वाहन चालक ने गोल्डी को टक्कर मार दी और गंभीर रूप से घायल हो गया।

गोल्डी ने कहा- घरवालों को बता देगा कि चोट कैसे लगी

गोल्डी कोल हादसे के बाद तीनों साथियों की करतूत को घरवालों से बता देने की बात कहकर धमकाने लगा। ऐसे में नशे में धुत तीनों साथियों ने लाठी-डंडे व चाकू से गोल्डी पर हमला कर दिया। मोतीलाल ने बताया कि गोल्डी से उसकी दो वर्ष पुरानी रंजिश भी थी।

गोल्डी ने दो साल पहले किसी बात को लेकर मोतीलाल के पिता सुखलाल कोल को पीटा था, इसलिए मोतीलाल को लगा कि क्यों न पुरानी रंजिश का भी बदला आज ही ले लिया जाए। इसके बाद घने जंगल में ले जाकर तीनों ने तब तक गोल्डी को पीटा जब तक उसकी मौत नहीं हो गई। मौत के बाद गोल्डी के शव को उठाकर मुख्य मार्ग से 100 मीटर अंदर 50 फीट की गहरी खाईं में फेंक दिया। इसके बाद तीनों अपने-अपने घर में जाकर सो गए। इस तरह से गोल्डी की मौत के 78वें दिन उसकी हत्या का खुलासा हो गया।

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