खुलासा: रीवा में ₹700 में बिक रही अवैध शराब, 'जय महाकाल' का नाम लेकर भागे युवक, पुलिस-आबकारी की मिलीभगत बेनकाब!

 
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रीवा में किराना दुकानों पर खुलेआम बिक रही अवैध शराब, 700 रुपये से शुरू बोतलें; आबकारी विभाग और पुलिस पर मिलीभगत के गंभीर आरोप। 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा शहर में अवैध शराब का कारोबार तेजी से पैर पसार रहा है, और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब किराना दुकानों की आड़ में खुलेआम हो रहा है। विशेष रूप से चोरहटा थाना क्षेत्र में ऐसे मामले बहुतायत में सामने आ रहे हैं, जहाँ हाईवे किनारे की छोटी-छोटी दुकानों में भी अंग्रेजी शराब बेची जा रही है, जिसकी कीमत ₹700 से शुरू होती है। यह स्थिति आबकारी विभाग और स्थानीय पुलिस दोनों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है, क्योंकि अब तक इन अवैध शराब अड्डों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस अवैध शराब बिक्री से न केवल राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।

स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि यह पूरा खेल आबकारी विभाग की कथित मिलीभगत से चल रहा है। अधिकारियों पर आरोप है कि वे एसी कमरों में बैठकर सिर्फ कागजी कार्रवाई करते हैं, जबकि जमीनी स्तर पर अवैध कारोबारियों के खिलाफ कोई बड़ा अभियान नहीं चलाया जाता। इस अवैध कारोबार के चलते शहर में शराब की उपलब्धता आसान हो गई है, जिससे युवा पीढ़ी और आम जनता पर बुरा असर पड़ रहा है।

खुलासा: कैमरे में कैद हुआ अवैध शराब का धंधा
हाल ही में एक टीम ने रीवा में किराना दुकानों पर अवैध शराब बिक्री का स्टिंग ऑपरेशन किया। कैमरे में यह साफ रिकॉर्ड हुआ कि कैसे इन दुकानों पर खुलेआम शराब बेची जा रही है। जब टीम ने रिकॉर्डिंग शुरू की, तो वहाँ मौजूद युवक तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने आनन-फानन में दुकान का शटर गिराया और मौके से फरार हो गए।

भागते समय, इन युवकों ने एक शराब ठेका कंपनी का नाम लिया, "जय महाकाल एसोसिएट्स ग्रुप", और टीम से किसी व्यक्ति से फोन पर बात करवाने की कोशिश की। हालांकि, टीम ने उनसे बात करने से इनकार कर दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये अवैध शराब विक्रेता किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा हैं और उन्हें किसी प्रभावशाली व्यक्ति का संरक्षण प्राप्त है। यह घटना दर्शाती है कि रीवा में शराब का अवैध कारोबार कैसे चल रहा है और इसमें कौन-कौन शामिल हो सकते हैं।

उमरी मोड़: नाम किराना का, धंधा शराब का
शहर के उमरी मोड़ जैसे कई इलाकों में यह एक आम बात हो गई है कि दुकानों के बोर्ड पर तो "किराना स्टोर" या "जनरल स्टोर" लिखा होता है, लेकिन अंदर मुख्य रूप से शराब ही बेची जाती है। ये दुकानें वास्तव में अवैध अहाते के रूप में काम कर रही हैं, जहाँ ग्राहक मौके पर ही शराब खरीदकर उसका सेवन भी कर सकते हैं। यह स्थिति कानून का खुला उल्लंघन है, क्योंकि शराब की बिक्री केवल अधिकृत दुकानों और अहातों से ही की जा सकती है।

अवैध अहातों पर कार्रवाई का अभाव
कुछ समय पहले, चोरहटा थाना क्षेत्र में नगर निगम आयुक्त ने एक अवैध अहाते को सील करने की कार्रवाई की थी। यह एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन इसके बावजूद स्थानीय पुलिस और आबकारी विभाग ने इस मामले में आगे कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की। इस तरह की घटनाओं से यह संदेश जाता है कि अवैध शराब बेचने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती और उन्हें कानून का कोई डर नहीं है। अवैध अहातों का फलना-फूलना शहर की कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

आबकारी विभाग पर गंभीर आरोप: 'मिलीभगत से चल रहा खेल'
रीवा में अवैध शराब बिक्री के इस पूरे मामले में अधिवक्ता बीके माला ने आबकारी विभाग पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सीधे तौर पर कहा है कि यह पूरा खेल आबकारी विभाग और शराब कारोबारियों की सांठगांठ से चल रहा है। उनके अनुसार, अधिकारी सिर्फ अपने वातानुकूलित (AC) कमरों में बैठकर आराम फरमाते हैं और जमीनी हकीकत से पूरी तरह बेखबर रहते हैं।

अधिकारियों की निष्क्रियता पर सवाल
अधिवक्ता माला ने अधिकारियों की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे कभी-कभार सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए ग्रामीण इलाकों में जाकर छोटे-मोटे देसी शराब तस्करों पर कार्रवाई कर आते हैं। लेकिन शहर के अंदर, जहाँ अवैध शराब के बड़े अड्डे चल रहे हैं, वहाँ कोई कार्रवाई नहीं होती। यह स्थिति आबकारी विभाग की लापरवाही को स्पष्ट रूप से दर्शाती है और यह भी बताती है कि पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत कैसे काम करती है।

ग्रामीण बनाम शहरी कार्रवाई
यह आरोप भी लगाया गया है कि आबकारी विभाग की कार्रवाई में दोहरा मापदंड अपनाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे तस्करों पर तो कार्रवाई की जाती है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में, जहाँ संगठित रूप से अवैध शराब का कारोबार चल रहा है, वहाँ बड़े मगरमच्छों को छुआ तक नहीं जाता। यह भेदभावपूर्ण रवैया अवैध कारोबारियों को और शह देता है, जिससे वे बेखौफ होकर अपना धंधा चलाते रहते हैं।

पुलिस और आबकारी विभाग के दावे: जमीनी हकीकत से दूर
इस पूरे प्रकरण पर जब जिला आबकारी अधिकारी और चोरहटा थाना प्रभारी से बात की गई, तो उन्होंने अपनी सफाई पेश की और कार्रवाई का दावा किया। हालांकि, उनके दावे जमीनी हकीकत से काफी दूर नजर आते हैं।

जिला आबकारी अधिकारी का पक्ष
जिला आबकारी अधिकारी ने अपने बचाव में कहा कि उनके विभाग द्वारा समय-समय पर अवैध शराब बिक्री के अड्डों पर कार्रवाई की जाती है। उनका यह बयान उन आरोपों के विपरीत है जो अधिवक्ता बीके माला और अन्य लोगों द्वारा लगाए जा रहे हैं, जो यह दर्शाते हैं कि आबकारी विभाग क्या कर रहा है और क्या नहीं। यदि कार्रवाई हो रही होती, तो इतनी बड़ी संख्या में किराना दुकानों पर अवैध शराब की बिक्री संभव नहीं होती।

चोरहटा थाना प्रभारी का बयान
चोरहटा थाना प्रभारी आशीष मिश्रा ने भी स्वीकार किया कि किराना दुकान में शराब बेचना गैरकानूनी है। उन्होंने दावा किया कि हाल ही में कुछ कार्रवाई की गई है और भविष्य में भी ऐसी कार्रवाई जारी रहेगी। हालांकि, मौके पर जाकर की गई पड़ताल से यह स्पष्ट होता है कि उनके दावों के बावजूद रीवा में अवैध शराब कहाँ बिकती है यह जानना मुश्किल नहीं है और यह कारोबार बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है। यह स्थिति पुलिस क्यों नहीं रोकती शराब के सवाल को और गहरा करती है।

अवैध शराब बिक्री के गंभीर परिणाम
किराना दुकानों पर अवैध शराब की उपलब्धता के कई गंभीर सामाजिक और आर्थिक परिणाम होते हैं:

  • स्वास्थ्य जोखिम: अवैध शराब अक्सर गुणवत्ताहीन होती है और इसमें हानिकारक रसायन मिले हो सकते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
  • युवाओं में लत: आसान उपलब्धता के कारण युवा और किशोर आसानी से शराब के आदी हो सकते हैं, जिससे उनके भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • कानून व्यवस्था की समस्या: अवैध शराब का कारोबार अक्सर अन्य आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा होता है, जिससे क्षेत्र में अपराध दर बढ़ सकती है।
  • राजस्व का नुकसान: सरकार को वैध शराब बिक्री से मिलने वाले राजस्व का भारी नुकसान होता है, जिसका उपयोग जन कल्याणकारी योजनाओं में किया जा सकता है।
  • सामाजिक अशांति: नशे की लत परिवारों को तोड़ती है और समाज में अशांति पैदा करती है।

निष्कर्ष: कार्रवाई की सख्त जरूरत
रीवा में किराना दुकानों पर अवैध शराब का धंधा एक गंभीर समस्या है जिसे तत्काल और प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने की आवश्यकता है। आबकारी विभाग और पुलिस को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए ईमानदारी से कार्रवाई करनी होगी। केवल कागजी दावे करने या छोटे तस्करों पर कार्रवाई करके इस समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता। एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक दृढ़ता ही इस अवैध कारोबार पर अंकुश लगा सकती है और रीवा में अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई को सुनिश्चित कर सकती है। यह समय है जब जिम्मेदार एजेंसियां अपनी निष्क्रियता को छोड़कर इस खतरे से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं।

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