रीवा के इतिहास में पहली बार! कलेक्टर ने किया ध्वजारोहण, मंत्री अनुपस्थित

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) इस साल 15 अगस्त को रीवा में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस समारोह कई मायनों में ऐतिहासिक और यादगार रहा। आमतौर पर इस तरह के जिला स्तरीय समारोह में किसी मंत्री या राजनीतिक प्रतिनिधि को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है, लेकिन इस बार यह जिम्मेदारी रीवा की कलेक्टर प्रतिभा पाल ने संभाली। यह रीवा के इतिहास में पहला मौका था जब किसी कलेक्टर ने मुख्य अतिथि के रूप में ध्वजारोहण किया और परेड की सलामी ली। यह प्रशासनिक नेतृत्व और सशक्तिकरण का एक बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया।
एसएएफ ग्राउंड में आयोजित इस भव्य समारोह में, कलेक्टर प्रतिभा पाल ने गर्व के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उन्होंने परेड की सलामी ली और मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया, जिसमें राज्य की प्रगति और विकास योजनाओं का जिक्र था। इस दौरान मैदान में मौजूद सभी प्रशासनिक अधिकारी, जिसमें संभागायुक्त बीएस जामोद, आईजी गौरव राजपूत, डीआईजी राजेश सिंह, नगर निगम आयुक्त डॉ. सौरभ सोनवणे और एसपी विवेक सिंह भी शामिल थे, ने तालियों से इस अनूठे पल का स्वागत किया।
संस्कृति, सम्मान और देशभक्ति की झलक
स्वतंत्रता दिवस का यह कार्यक्रम केवल औपचारिकताओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें देशभक्ति और मानवीय मूल्यों का गहरा संगम देखने को मिला। स्कूली छात्रों ने अपने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों से समारोह में जान फूंक दी। उनके नृत्य और गीतों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और पूरे माहौल में देशभक्ति का संचार किया।
इस बार समारोह का सबसे खास पहलू था देहदान और अंगदान करने वाले परिवारों का सम्मान। यह एक सराहनीय पहल थी, जिसने लोगों को अंगदान के महत्व के प्रति जागरूक किया। इसके अलावा, देश की रक्षा में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले शहीद सैनिकों के परिजनों को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उनके सम्मान में दिए गए पल ने सभी की आंखें नम कर दीं और देश के प्रति उनके बलिदान को याद किया गया। कार्यक्रम में पुलिसकर्मियों का सम्मान भी किया गया, जिसमें अमहिया थाना प्रभारी शिवा अग्रवाल को देशभक्ति गीत गाते हुए देखना सभी के लिए एक सुखद आश्चर्य था।
स्वच्छता और एकता का संदेश देती मानव श्रृंखला
स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह से पहले, रीवा में एक अनोखी और प्रेरणादायक पहल की गई। 'हर घर स्वच्छता' अभियान के तहत, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में स्कूली छात्रों और स्थानीय नागरिकों ने मिलकर एक विशाल मानव श्रृंखला बनाई। इस मानव श्रृंखला का उद्देश्य केवल एकता दिखाना नहीं था, बल्कि स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करना भी था। इस पहल में लोगों का उत्साह देखते ही बनता था, जो दर्शाता है कि रीवा के नागरिक सामाजिक और सामुदायिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
18 बंदियों की रिहाई: स्वतंत्रता का सच्चा अर्थ
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, राज्य शासन की नीति के अनुसार, रीवा केंद्रीय जेल से 18 बंदियों को रिहा किया गया। इनमें 17 पुरुष और 1 महिला बंदी शामिल थीं। जेल अधीक्षक एसके उपाध्याय ने बताया कि इन बंदियों को उनके अच्छे आचरण के आधार पर रिहा किया गया है, जो उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने का एक और मौका देता है। हालांकि, एक बंदी टहलू पाव को इसलिए रिहा नहीं किया जा सका क्योंकि उसने एक लाख रुपये का जुर्माना जमा नहीं किया था।
रिहा हुए बंदियों की आंखें अपने परिजनों से मिलकर नम हो गईं। यह पल उनके लिए स्वतंत्रता का सच्चा अर्थ था। इन बंदियों के नाम इस प्रकार हैं:
मुन्ना साहू, रीवा
पप्पू उर्फ माधव, शहडोल
भानू वासुदेव, शहडोल
राजा विश्वकर्मा, सीधी
सचिन नामदेव उर्फ ईलू, अनूपपुर
कल्याण सिंह उर्फ मुन्ना सिंह, शहडोल
सिन्टू बैगा, उमरिया
शैलेन्द्र सिंह उर्फ शेलू, रीवा
रविशंकर उर्फ रवि, शहडोल
रामाधीन साकेत, सिंगरौली
शिवदयाल सिंह गोंड, शहडोल
कतकू पाव, शहडोल
शंकर सिंह, उमरिया
भारत सिंह गोंड, शहडोल
हरिदीन, शहडोल
सुरेश यादव, सीधी
हिरिया बाई, शहडोल
जागेश्वर प्रसाद साहू, सिंगरौली