रीवा: प्रतिष्ठित ज्योति स्कूल में अमानवीयता! मासूम बच्चे से टॉयलेट साफ करवाया, NHRC ने लगाया ₹50,000 का जुर्माना; जांच जारी

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के एक कथित प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान, ज्योति स्कूल में बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार का एक शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां एक मासूम बच्चे को टॉयलेट साफ करने के लिए मजबूर किया गया, जिसने शिक्षा के मंदिरों में बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना लगभग पांच-छह महीने पहले ठंड के मौसम में हुई थी, जिसने बच्चे की पीड़ा को और बढ़ा दिया।

मामले की गंभीरता और मानवाधिकार आयोग का हस्तक्षेप

इस अमानवीय कृत्य की जानकारी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) तक पहुंची, जिसने मामले का तत्काल संज्ञान लिया। एनएचआरसी ने अपनी जांच के बाद इस मामले में स्कूल प्रबंधन पर ₹50,000 (पचास हजार रुपये) का जुर्माना लगाया। इसके अतिरिक्त, मध्य प्रदेश सरकार ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए स्कूल प्रबंधन को आर्थिक रूप से दंडित किया है।

स्कूल की प्रतिष्ठा और चौंकाने वाली सच्चाई

ज्योति स्कूल को रीवा क्षेत्र के प्रतिष्ठित विद्यालयों में गिना जाता है, जहां अक्सर प्रशासनिक अधिकारियों और व्यवसायी वर्ग के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। ऐसे स्कूल में इस तरह की घटना का सामने आना इसकी 'प्रतिष्ठा' और 'वास्तविकता' के बीच एक बड़ा अंतर दर्शाता है। यह सवाल उठाता है कि क्या केवल नाम और सामाजिक पहचान से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

शिकायतकर्ता और स्कूल प्रशासन का रवैया

इस पूरे विवाद को उजागर करने में बीजेपी नेता गौरव तिवारी की अहम भूमिका रही। उन्होंने इस घटना के संबंध में एनएचआरसी में एफआईआर दर्ज कराई और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। हालांकि, दुखद बात यह है कि इस घटना के सामने आने के बाद से स्कूल प्रशासन ने मीडिया और शिकायतकर्ता, दोनों से संपर्क करने या स्पष्टीकरण देने से इनकार कर दिया है। यह रवैया पारदर्शिता की कमी और जवाबदेही से बचने की कोशिश को दर्शाता है, जो बच्चों के हितों के लिए खतरनाक हो सकता है।

मुख्य चिंताएं और भविष्य की राह

यह घटना केवल ज्योति स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र, बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और शिक्षा संस्थानों की जवाबदेही पर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है।

  • जवाबदेही का अभाव: स्कूल प्रशासन का चुप्पी साधना और मीडिया से दूरी बनाए रखना दर्शाता है कि वे अपनी जवाबदेही से बचना चाहते हैं।

  • दंडात्मक कार्रवाई की प्रभावशीलता: ₹50,000 का जुर्माना एक महत्वपूर्ण चेतावनी है, जो भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद कर सकता है। बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रणालीगत बदलाव और शिक्षा के माहौल में सुधार अधिक जरूरी है।

  • बच्चों के अधिकारों का हनन: एक मासूम बच्चे से टॉयलेट साफ करवाना न केवल अमानवीय है, बल्कि यह बाल अधिकारों का गंभीर उल्लंघन भी है।

  • सामाजिक और राजनीतिक हस्तक्षेप की आवश्यकता: गौरव तिवारी जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं का हस्तक्षेप ऐसे मामलों को सार्वजनिक करने और न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह आवश्यक है कि शिक्षा संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा और सम्मान के लिए कड़े कानूनों का प्रभावी ढंग से पालन हो। स्कूल प्रशासन को अपने दायित्वों को समझना होगा और पारदर्शिता व जवाबदेही की दिशा में कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी अमानवीय घटनाएं दोहराई न जा सकें और बच्चे सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल में शिक्षा ग्रहण कर सकें।

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