रीवा के किसानों की बदलेगी तकदीर: अब खेतों में होगी 'बिजली की खेती', सरकार करेगी सीधा भुगतान

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के किसानों के लिए अब आय का एक नया और क्रांतिकारी रास्ता खुल गया है। पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं और चावल के उत्पादन से हटकर, अब किसान अपने खेतों में 'बिजली की खेती' कर सकेंगे। सरकार ने इस नई पहल को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है, जिसकी शुरुआत रीवा के तीन किसानों ने कर भी दी है। इस योजना के तहत, खेतों में उत्पन्न होने वाली बिजली को सरकार स्वयं खरीदेगी और इसके लिए किसानों को नियमित भुगतान भी करेगी। यह 'बिजली की खेती' किसानों को आर्थिक रूप से मालामाल करने वाली है, क्योंकि यह एक ऐसा निवेश है जो एक बार लगाने के बाद सालों-साल तक केवल मुनाफा ही देता रहता है। यह किसानों के लिए एक बंपर ऑफर है जो उनकी तकदीर बदल सकता है।

पीएम-कुसुम योजना: किसानों के लिए बंपर ऑफर (PM-KUSUM Scheme: A Bumper Offer for Farmers)

अब तक सरकार किसानों को सस्ते बीज, खाद और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से दोगुना फायदा पहुँचाने का प्रयास कर रही थी। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद कई किसानों की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव नहीं आया। इसी को ध्यान में रखते हुए, सरकार किसानों के लिए पीएम-कुसुम योजना (Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha evem Utthaan Mahabhiyan) लेकर आई है। यह योजना किसानों को खेती से हटकर बिजली उत्पादन का एक नया और स्थायी अवसर प्रदान करती है। इस योजना के तहत, किसान अपने खेतों में सोलर प्लांट लगाकर बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। सरकार उत्पादित बिजली को खरीदेगी और उसके बदले किसानों को निश्चित दर पर भुगतान करेगी। यह किसानों के लिए एक बार का निवेश है, जिससे वे भविष्य में लगातार आय प्राप्त कर सकते हैं। यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि देश में नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को भी बढ़ावा देगी, जो पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।

रीवा के तीन किसानों ने की पहल (Three Rewa Farmers Take the Lead)

रीवा जिले के तीन किसानों ने इस महत्वाकांक्षी पीएम-कुसुम योजना का लाभ उठाना शुरू कर दिया है और अपने खेतों में सोलर प्लांट स्थापित कर बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। ये किसान अब उत्पादित बिजली को सरकार को बेचकर एक नई आय अर्जित कर रहे हैं।

सोलर प्लांट लगाने वाले किसान (Farmers Who Installed Solar Plants)

वे तीन अग्रणी किसान जिन्होंने इस योजना के तहत सोलर प्लांट लगाए हैं, वे इस प्रकार हैं:

  • अशोक तिवारी: निवासी अमहा, रामसुंदर नगर, त्योथर। इन्होंने वर्ष 2025 में अपना सोलर प्लांट स्थापित किया है।

  • सुषमा तिवारी: पति अरुण तिवारी, ग्राम पुर्वा, तहसील सेमरिया।

  • देवीदीन मिश्रा: पिता अर्जुन मिश्रा, निवासी ग्राम पुरवा, सेमरिया। इन्होंने 20 नवंबर 2024 को अपना प्लांट लगवाया था।

इन तीनों किसानों के खेतों से बिजली का उत्पादन शुरू हो चुका है, जो इस योजना की सफलता का प्रमाण है।

कितना मिल रहा भुगतान? (How Much Payment Are They Receiving?)

सरकार इन किसानों को उत्पादित बिजली की प्रत्येक यूनिट पर ₹3.25 का भुगतान कर रही है। यह भुगतान महीने भर में उत्पादित बिजली की मात्रा के आधार पर किया जाता है। इससे किसानों को नियमित और सुनिश्चित आय प्राप्त हो रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ रहा है। यह एक दीर्घकालिक आय का स्रोत बन रहा है जो उन्हें खेती से होने वाले जोखिमों से मुक्ति दिला सकता है।

पीएम-कुसुम योजना का लाभ कैसे उठाएं? (How to Avail Benefits of PM-KUSUM Scheme?)

यदि आप एक किसान हैं और पीएम-कुसुम योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए कुछ विशिष्ट आवश्यकताएं और प्रक्रियाएं हैं। यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और हरित ऊर्जा के उत्पादन में योगदान देने का एक शानदार अवसर प्रदान करती है।

भूमि की आवश्यकता (Land Requirement)

पीएम-कुसुम योजना के तहत सोलर प्लांट स्थापित करने के लिए, आवेदक किसान के पास कम से कम 3 से 4 एकड़ की भूमि होनी चाहिए। सोलर प्लांट को बड़े क्षेत्र की आवश्यकता होती है ताकि पर्याप्त सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा सके। यदि आपके पास इतनी भूमि है, तो आप इस योजना के लिए पात्र हो सकते हैं।

लागत और फाइनेंसिंग (Cost and Financing)

एक मेगावाट का सोलर प्लांट स्थापित करने में लगभग 3 से 4 करोड़ रुपये का खर्च आता है। यह एक महत्वपूर्ण निवेश है, लेकिन सरकार ने किसानों के लिए इसे सुलभ बनाने हेतु प्रावधान किए हैं। इस योजना के तहत, बैंक कुल लागत का 70% तक फाइनेंस कर देते हैं। इससे किसानों पर शुरुआती आर्थिक बोझ काफी कम हो जाता है, और वे आसानी से इस परियोजना में निवेश कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि आर्थिक बाधाएं इस अवसर को प्राप्त करने में किसानों के रास्ते में न आएं।

प्लांट की क्षमता (Plant Capacity)

पीएम-कुसुम योजना के तहत किसान अपनी भूमि और आवश्यकतानुसार 500 किलोवाट से 2 मेगावाट तक के सोलर प्लांट लगवा सकते हैं। यह क्षमता किसानों को उनकी भूमि की उपलब्धता और निवेश क्षमता के आधार पर बिजली उत्पादन करने की सुविधा देती है। छोटे स्तर के किसान 500 किलोवाट का प्लांट लगा सकते हैं, जबकि बड़े किसान 2 मेगावाट तक के प्लांट लगाकर अधिक बिजली उत्पादन कर सकते हैं।

पीएम-कुसुम योजना के फायदे और नुकसान (Pros and Cons of PM-KUSUM Scheme)

किसी भी सरकारी योजना की तरह, पीएम-कुसुम योजना के भी अपने फायदे और नुकसान हैं। इन दोनों पहलुओं को समझना महत्वपूर्ण है ताकि किसान एक सूचित निर्णय ले सकें कि क्या यह उनके लिए सही निवेश है।

योजना के फायदे (Benefits of the Scheme)

  • नियमित और स्थायी आय: यह योजना किसानों को कृषि आय के अतिरिक्त एक निश्चित और स्थायी मासिक आय प्रदान करती है। एक बार सोलर प्लांट लगाने के बाद, यह सालों तक बिजली उत्पन्न करता रहेगा, जिससे किसानों को लगातार मुनाफा मिलेगा।

  • कम जोखिम: पारंपरिक खेती में मौसम, कीट और बाजार की कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसे कई जोखिम होते हैं। सोलर फार्मिंग इन जोखिमों से मुक्त है, जिससे किसानों की आय में अधिक स्थिरता आती है।

  • आत्मनिर्भरता: किसान न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली बेचकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बन सकते हैं। यह उन्हें 'ऊर्जादाता' की भूमिका में लाता है।

  • पर्यावरण अनुकूल: सौर ऊर्जा एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। इस योजना में भाग लेकर किसान पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देते हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है।

  • भूमि का बेहतर उपयोग: बंजर या कम उपजाऊ भूमि का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है, जिससे ऐसी भूमि का आर्थिक मूल्य बढ़ता है।

  • आसान फाइनेंसिंग: बैंकों द्वारा 70% तक की लागत का फाइनेंस किसानों के लिए इस बड़े निवेश को संभव बनाता है।

योजना के नुकसान (Drawbacks of the Scheme)

  • खेती योग्य भूमि की कमी: सोलर प्लांट खेतों में लगाने से खेती की ज़मीनें कम हो जाएंगी। जिस जगह पर प्लांट लगाए जाएंगे, वह पूरी तरह से बंजर हो जाएगी और उस पर पारंपरिक खेती नहीं की जा सकेगी। यह उन किसानों के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है जिनकी भूमि सीमित है।

  • बड़ा प्रारंभिक निवेश: हालांकि बैंक फाइनेंस करते हैं, फिर भी एक मेगावाट के प्लांट के लिए 3 से 4 करोड़ रुपये का प्रारंभिक निवेश एक बड़ी राशि है। किसानों को इस निवेश की वापसी की अवधि पर विचार करना होगा।

  • खेती से दूरी: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना किसानों को खेती से और दूर कर सकती है। वर्तमान में भी संसाधन, बीज और खाद की उपलब्धता में समस्याओं के कारण कई किसान खेती से दूरी बना रहे हैं। यह योजना इस प्रवृत्ति को और बढ़ावा दे सकती है।

अधिकारी का बयान (Official Statement)

किशोर त्रिपाठी, कनिष्ठ अभियंता, शहर संभाग रीवा, ने इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया, "रीवा में तीन किसानों ने पीएम-कुसुम योजना के तहत खेतों में प्लांट लगवाया है। इसके तहत किसानों को प्रति यूनिट बिजली उत्पादन पर निर्धारित दर से रुपये दिए जाते हैं। महीने भर उत्पादित बिजली के हिसाब से यह भुगतान किसानों को सीधे किया जाता है।" यह बयान पुष्टि करता है कि योजना रीवा में सफलतापूर्वक लागू की जा रही है और किसानों को इसका लाभ मिल रहा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. पीएम-कुसुम योजना क्या है? पीएम-कुसुम योजना भारत सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करके बिजली पैदा करने और उसे सरकार को बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद करना है।

  2. रीवा में किन किसानों ने इस योजना का लाभ उठाया है? रीवा में अशोक तिवारी (अमहा, त्योथर), सुषमा तिवारी (ग्राम पुर्वा, सेमरिया) और देवीदीन मिश्रा (ग्राम पुरवा, सेमरिया) ने इस योजना के तहत सोलर प्लांट लगाए हैं।

  3. सरकार प्रति यूनिट बिजली के लिए किसानों को कितना भुगतान करती है? सरकार किसानों को प्रति यूनिट बिजली उत्पादन पर ₹3.25 का भुगतान कर रही है।

  4. सोलर प्लांट लगाने के लिए कितनी भूमि की आवश्यकता होती है? एक मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने के लिए कम से कम 3 से 4 एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है।

  5. क्या सोलर प्लांट लगाने के लिए बैंक फाइनेंस मिलता है? हाँ, बैंक सोलर प्लांट की कुल लागत का 70% तक फाइनेंस प्रदान करते हैं।

  6. क्या यह योजना किसानों के लिए फायदेमंद है? हाँ, यह योजना किसानों को एक स्थायी और निश्चित आय का स्रोत प्रदान करती है, हालांकि इसमें खेती योग्य भूमि का उपयोग कम होने जैसे कुछ नुकसान भी हैं।

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