REWA : जानिए दिलचस्प सीट सेमरिया में किसके सिर सजेगा ताज? BJP से केपी त्रिपाठी मारेंगे बाजी या दलबदलू कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्रा पर जनता करेगी विश्वास

 
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REWA : मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी अपने अपने नामांकन भर रहे हैं। नामांकन में प्रत्याशी बड़ी संख्या में भीड़ जुटा कर अपना दमखम दिखा रहे हैं और यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें बड़ी संख्या में जनता का समर्थन मिल रहा है। इसी कड़ी में कुछ दिन पहले विंध्य क्षेत्र के सेमरिया सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अभय मिश्रा व बीजेपी प्रत्याशी केपी त्रिपाठी ने भी अपना पर्चा दाखिल किया जिसमें उनके साथ उनके सैंंकड़ों कार्यकर्ता भी कलेक्टर ऑफिस पहुंचे थे। लेकिन सवाल उठता है कि बड़ी संख्या में भीड़ जुटा भर देने से क्या चुनाव में जीत तय हो जाती है? सेमरिया का आलम कुछ ऐसा है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों ने एड़ी से चोटी तक का जोर लगा दिया है। दोनों प्रत्याशियों की छवि की बात करें तो कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्रा अपने दलबदलू प्रवृत्ति के लिए जाने जाते हैं। उन्हें जब जहां मौका मिलता है वे वहीं लुढ़क जाते हैं। वहीं, उनके सामने खड़े हैं बीजेपी के केपी त्रिपाठी जो कि अपने काम के लिए जाने जाते हैं। सेमरिया में उनके विकास कार्यों की हर जगह चर्चा है।

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सेमरिया कांग्रेस नेताओं ने किया था अभय मिश्रा का विरोध

सेमरिया में अभय मिश्रा की हालत ऐसी है कि पार्टी के जमीनी स्तर के नेता भी उनके साथ नहीं है। कुछ दिन पहले जब वे कांग्रेस में दोबारा वापस आए थे तो सेमरिया के कांग्रेस नेताओं ने उनका जमकर विरोध किया था। सेमरिया के कांग्रेस नेताओं ने कमलनाथ के नाम एक पत्र लिखा था। पत्र में कांग्रेस नेताओं ने अभय मिश्रा के कांग्रेस में वापसी पर विरोध जता रहे थे। नेताओं का स्पष्ट कहना था कि अभय मिश्रा 3 महीने पहले ही बीजेपी में शामिल हुए और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी कर रहे थे और अचानक से बीजेपी छोड़ कांग्रेस में लौट आए। अगर ऐसे व्यक्ति को दोबारा पार्टी में शामिल किया जाता है तो पूरे जिले में पार्टी की बदनामी होगी जिसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। पत्र में लिखा गया कि, अभय मिश्रा रीवा में फ्रॉड, शराब तस्करी, व अन्य तरह के अनैतिक धंधों के लिए कुख्यात हैं। सेमरिया-69 के सभी वरिष्ठ नेता, ब्लॉक अध्यक्ष से लेकर बूथ कमेटी तक सभी उनका विरोध कर रहे हैं। हम लोग विश्वास दिलाते हैं कि पार्टी इसे छोड़ कर सेमरिया से जिसे भी प्रत्याशी बनाएगी हम सभी मिलकर चुनाव जीत लेंगे। इसलिए अभय मिश्रा को कांग्रेस से दूर ही रखा जाए। सेमरिया के कांग्रेस नेताओं द्वारा आलाकमान को ऐसा पत्र लिखने के बावजूद कांग्रेस ने ऐसे दलबदलू नेता को अपना प्रत्याशी बनाया। सवाल उठता है कि कांग्रेस के पास आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही होगी जब बूथ क्षेत्र के जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं को निराश करते हुए एक खराब छवि के नेता को प्रत्याशी बनाया गया।

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क्षेत्र में विकास कार्यों की बदौलत केपी त्रिपाठी की दावेदारी है मजबूत

केपी त्रिपाठी के बारे में बात करें तो 2002 से भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं 2005-2008 में केपी त्रिपाठी युवा मोर्चा एवं ग्रामीण विकास प्रकोष्ठ प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य रहे।  इसके बाद 2014-2018 तक रीवा के जिला अध्यक्ष रहे . इसके अलावा केपी त्रिपाठी जिला रीवा कार्यसमिति के सदस्य के साथ लक्ष्मण बाग गौशाला संचालन समिति के सदस्य भी रहे। भाजपा में विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारियां का निर्वहन करते हुए केपी त्रिपाठी ने जनता के बीच अपनी अच्छी पकड़ बना ली और 2018 में जैसी होने से मरीज से टिकट मिला पहले ही मौके में उन्होंने जीत दर्ज कर ली।

पिछले 5 वर्षों के कार्यकाल में केपी त्रिपाठी ने क्षेत्र के लिए करीब 1600 करोड़ रुपए से ज्यादा के विकास कार्यों को स्वीकृत कराया है। इनमें जल संसाधन, रोड निर्माण, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग समेत अन्य विभाग के विकास कार्य शामिल हैं। केपी त्रिपाठी ने सेमरिया में माइक्रो इरिगेशन का कार्य स्वीकृत कराया है जिससे क्षेत्र के 86 से ज्यादा गांव की 10,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी। इसकी कुल लागत 158 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा क्षेत्र के जरमोहरा बांध के रखरखाव, सौंंदर्यीकरण व नहरों में कांक्रीटीकरण के कार्य के लिए 39.40 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।

इसके अलावा केपी त्रिपाठी केपी त्रिपाठी की नजर हमेशा से शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी रहा है। इसलिए उन्होंने इन क्षेत्रों में भी अहम काम कराए हैं। उनके शासन में सेमरिया में सिविल हॉस्पिटल का कार्य भी प्रगति पर है जिसकी अनुमानित लागत 19.20 करोड़ रुपए हैं। इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रहट को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उन्नयन एवं भवन निर्माण का कार्य भी स्वीकृत है जिसकी अनुमानित लागत 15.5 करोड़ है। शिक्षा के दिशा में काम करते हुए केपी त्रिपाठी ने शासकीय महाविद्यालय के भवन निर्माण कार्य को 5 करोड़ की लागत से पूरा कराया। इसके अलावा शासकीय कन्या उच्चतर महाविद्यालय को सीएम सनराइज स्कूल के रूप में स्वीकृत कराकर भवन निर्माण के लिए 44.25 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।

इस तरह अगर दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों की बात करें तो कहीं ना कहीं कांग्रेस प्रत्याशी का दलबदलू छवि सेमरिया में कांग्रेस के लिए परेशानी बन सकता है। वहीं, केपी त्रिपाठी ने क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास कार्यों की बदौलत जनता के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। ऐसे में इस क्षेत्र से उनकी उम्मीदवारी भी मजबूत हो गई है.

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