Rewa News : रीवा शराब घोटाला: आबकारी विभाग 'पी' रहा है जनता का खून! कलेक्टर भी मौन, क्या 'महीना' पहुंच रहा है ऊपर तक?

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकानों पर तय कीमत से ज्यादा वसूलने का धंधा बेखौफ जारी है। कुछ दिनों पहले कलेक्टर कार्यालय में शिकायत हुई, आबकारी विभाग ने आश्वासन दिया... पर सब हवा-हवाई! हकीकत ये है कि लूट और गुंडागर्दी जस की तस है, और अब सीधे कलेक्टर प्रतिभा पाल से लेकर आबकारी अधिकारी अनिल जैन तक, पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में है। आखिर क्यों जनता को लूटा जा रहा है और कोई कार्रवाई नहीं हो रही?
वायरल वीडियो चीख-चीखकर कह रहे सच्चाई, पर सिस्टम 'बहरा'
शराब दुकानों के कर्मचारियों के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें वे खुलेआम कह रहे हैं: "रीवा में कहीं भी MRP पर शराब नहीं मिलेगी।" ये सिर्फ एक-दो दुकान का मामला नहीं, बल्कि शहर से लेकर गांवों तक, हर जगह यही हाल है। ये वीडियो सबूत हैं उस लूट के, जो दिन-दहाड़े चल रही है, लेकिन प्रशासन की आंखें बंद हैं।
आबकारी विभाग: 'वसूली' में मस्त, नियमों की धज्जियां उड़ाने में व्यस्त!
अधिवक्ता बीके माला ने सीधे-सीधे आबकारी विभाग की मिलीभगत पर सवाल उठाए हैं। उनके मुताबिक, ये सिर्फ तय दाम से ज्यादा वसूली का मामला नहीं है, बल्कि:
- अवैध अहाते धड़ल्ले से चल रहे हैं: नियमों को ताक पर रखकर दुकानों के पास ही शराब पीने की जगहें चल रही हैं।
- रेट लिस्ट गायब: किसी भी दुकान पर दाम की सूची नहीं लगी है, ताकि ग्राहक को पता ही न चले कि उसे लूटा जा रहा है।
- देर रात तक बिक्री: निर्धारित समय के बाद भी शराब बिक रही है।
- गुंडागर्दी और धमकी: वीडियो में दिख रहा है कि दुकानदार के गुर्गे ग्राहकों को धमका रहे हैं, सवाल पूछने पर मारपीट तक कर देते हैं।
- जब सब कुछ इतनी खुली किताब की तरह है, फिर भी आबकारी अधिकारी अनिल जैन क्यों खामोश हैं? क्या उनकी मिलीभगत के बिना यह सब संभव है? आरोप सीधे हैं कि आबकारी विभाग कानून लागू करने के बजाय, इस अवैध धंधे में 'पार्टनर' बना बैठा है।
कलेक्टर प्रतिभा पाल के 'आश्वासन': सिर्फ जुबानी जमा खर्च!
सबसे बड़ा सवाल अब रीवा की कलेक्टर प्रतिभा पाल पर है। जब पिछली शिकायत हुई थी, तब उन्होंने सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया था। कहा था, "मामले की गंभीरता से जांच कराई जा रही है। सभी दुकानों पर रेट सूची अनिवार्य रूप से लगाने के निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई नियम तोड़ेगा तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।"
लेकिन, हकीकत ये है कि उनके ये आश्वासन सिर्फ कागजों पर ही रह गए। न रेट लिस्ट लगी, न अवैध अहाते बंद हुए, और न ही ज्यादा वसूली रुकी। जब कलेक्टर के खुद के निर्देश हवा में उड़ रहे हैं, तो जनता का विश्वास किस पर हो? क्या कलेक्टर सिर्फ बयानबाजी करके अपना पल्ला झाड़ रही हैं? या फिर उन्हें भी इस 'सिस्टम' का हिस्सा बनने पर मजबूर किया गया है? जनता जानना चाहती है कि आखिर ये लूट कब रुकेगी!
रीवा में अब सवाल सिर्फ शराब की ज्यादा कीमत का नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की ईमानदारी और जवाबदेही का है। क्या रीवा के नागरिकों को ऐसे ही लूटा जाता रहेगा, जबकि जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे रहेंगे?