रीवा में प्रशासन की हदें पार: जिंदा महिला को कागजों में 'मृत' किया! बेटा अपंग मां को गोद में उठाकर कलेक्ट्रेट पहुंचा, न्याय की गुहार!

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश में प्रशासनिक लापरवाही का एक ऐसा चौंकाने वाला और अमानवीय मामला सामने आया है, जिसने रीवा जिले की प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहाँ के अधिकारियों ने एक 64 वर्षीय जिंदा महिला को सरकारी कागजों में 'मृत' घोषित कर दिया। जब इस 'कागजी मौत' के कारण उन्हें मिलने वाले सरकारी योजनाओं के लाभ अचानक बंद हो गए और अधिकारियों ने उन्हें दोबारा 'जिंदा' करने के लिए रिश्वत की मांग की, तो न्याय पाने के लिए परेशान बेटे को अपनी अपंग मां को गोद में उठाकर सीधे कलेक्टर कार्यालय पहुंचना पड़ा। यह दृश्य देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया।
गढ़ का मामला: सचिव और रोजगार सहायक की 'कारस्तानी'
यह ह्रदयविदारक घटना रीवा के गढ़ इलाके की है। पीड़ित महिला का नाम देववती सिंह है, जिनकी उम्र 64 वर्ष है और वे दुर्भाग्यवश चलने-फिरने में असमर्थ हैं। उनके बेटे पिंकू सिंह ने बताया कि उनके गांव के सचिव और रोजगार सहायक ने मिलीभगत कर उनकी मां को 'ऑन द रिकॉर्ड' मृत घोषित कर दिया। पिंकू को इस लापरवाही की जानकारी तब हुई जब वर्ष 2024 में उनकी मां को सरकार द्वारा मिलने वाले विभिन्न योजनाओं के लाभ (जैसे पेंशन) अचानक रुक गए।
'जिंदा' करने के लिए 3 हजार की मांग: सिस्टम का भ्रष्टाचार
जब पिंकू सिंह ने अपनी मां को दोबारा सरकारी रिकॉर्ड में 'जिंदा' घोषित करवाने के लिए गांव के सचिव से संपर्क किया, तो उसे एक और बड़ा झटका लगा। पिंकू ने आरोप लगाया कि सचिव ने इस काम के लिए उनसे 3 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की। एक तरफ मां बीमार और असहाय, दूसरी तरफ प्रशासन की लापरवाही और ऊपर से भ्रष्टाचार का यह आलम! इस दोहरी मार से त्रस्त पिंकू के पास कोई और रास्ता नहीं बचा।
मजबूर बेटा, असहाय मां और कलेक्टर तक का सफर
सिस्टम की इस असंवेदनशीलता से परेशान होकर, और अपनी अपंग मां को न्याय दिलाने की अंतिम उम्मीद में, पिंकू सिंह ने एक बड़ा कदम उठाया। सोमवार, 29 जुलाई 2025 को वह अपनी 64 वर्षीय अपंग मां देववती सिंह को अपनी गोद में उठाकर ही सीधे कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई के लिए पहुंच गया। कलेक्ट्रेट परिसर में यह मार्मिक दृश्य देखकर हर कोई भौंचक्का रह गया।
जनसुनवाई में पहुंचे युवक ने प्रशासनिक अधिकारियों के सामने लापरवाही की पोल खोल दी और अपनी मां को जल्द से जल्द दोबारा सरकारी रिकॉर्ड में 'जिंदा' करने की मार्मिक गुहार लगाई। उसने बताया कि कैसे एक गलती और उसके बाद भ्रष्टाचार की मांग ने उनके परिवार को भीषण परेशानियों में डाल दिया है।
यह मामला रीवा में अपनी तरह का पहला नहीं है। इसके पहले भी जनसुनवाई में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहाँ बुजुर्गों को खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े हैं। यह घटना एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था की गहरी खामियों और आम जनता को होने वाली भयानक परेशानियों को उजागर करती है। उम्मीद है कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में तुरंत और सख्त कार्रवाई करेगा, देववती सिंह को उनका हक दिलाएगा, और दोषी अधिकारियों को सबक सिखाएगा ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोबारा न हो।