Rewa LLB Pass Lawyer Story : पिता की पुश्तैनी बगिया संवार सब्जियों से होने वाले मुनाफे से सालाना कमा रहें 5 से 6 लाख रुपए

 
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REWA NEWS : रीवा शहर के बीचों बीच ढेकहा बनकुइया रोड पर शुक्लाजी की बगिया है। 35 साल से शहर के लोग इस बगिया की सब्जी खा रहे हैं। आसपास के जिलों में भी यहां की सब्जी भेजी जाती है। 35 साल पहले शंभू प्रसाद शुक्ला ने यह बगिया लगाई थी। अब उनके बेटे अजय कुमार शुक्ला इसमें बागवानी कर रहे हैं। अजय ने एलएलबी किया है, लेकिन वकालत के साथ ही पिता की पुश्तैनी बगिया भी संवार रहे हैं। अजय ने मेहनत के बूते इस बगिया को हरी सब्जियों के व्यावसायिक प्रतिष्ठान का रूप दे दिया है।

सब्जी से होने वाली कमाई की बदौलत स्कूल समेत कई एकड़ कृषि भूमि खरीद चुके हैं। सब्जियों से होने वाली सालाना कमाई 5 से 6 लाख रुपए है, जो कि खेती की लागत और मजदूरों का मेहनताना निकालने के बाद मुनाफे के रूप में उन्हें मिलती है। पिता की पहल को रोजगार का साधन बनाने से लेकर इसे मुनाफे का व्यवसाय बनाने के दौरान अजय शुक्ला ने कई चुनौतियों को सामना किया है।

व्यापार बनाने वाले रीवा के किसान अजय शुक्ला की कहानी

अजय शुक्ला कहते हैं कि मेरी बगिया में कुशवाहा समाज के लोग खेती करते हैं। मेरा मानना है कि बागवानी ऐसी होनी चाहिए कि क्यारी (परिया) के अंदर व मेढ़ दोनों जगह पौधे तैयार रहें। कुल मिलाकर बड़े खेत में छोटी-छोटी क्यारी के अंदर पालक व मेढ़ पर मूली के बीज का छिड़काव कर देते हैं। वहीं, एक किनारे गोभी की नर्सरी लगाते हैं। 15 दिन बाद नर्सरी का पौधा क्यारी की मेढ़ पर रोप देते हैं। ऐसे में एक ही खेत में 30 दिन में पालक, 50 दिन में मूली और 70 दिन के बाद गोभी की पैदावार मिल जाती है। ऐसे समय में जब खेती तकनीक पर आधारित हो गई है। पुराने तरीकों में बदलाव करना पड़ता है। पुश्तैनी धंधा होने की वजह से धान और गेहूं की अपेक्षा सब्जियों की खेती में ही मेरा मन रम गया।

मूली की बागवानी में मेहनत कम और कमाई ज्यादा होती है। हालांकि, अन्य वर्षों की अपेक्षा इस साल पैदावार कम है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि कृषि विभाग की ओर से अपेक्षाकृत मदद नहीं मिल रही है। मेरी बगिया में लगे मूली के पौधों में कीड़े लग गए थे। समय-समय पर दवा का छिड़काव किया, लेकिन राहत नहीं मिली है।

हम 5 से 6 एकड़ में बागवानी की खेती कर रहे हैं। 1985 के आसपास पिता शंभू प्रसाद शुक्ला ने बागवानी की शुरुआत की थी। इसके बाद बागवानी से जुड़े हर कार्य में मैं हाथ बंटाता रहा। मेरा दूसरे नंबर का भाई पुनीत शुक्ला खेती व किसानी में लगा है, जबकि छोटा भाई सुधांशु शुक्ला स्कूल चलाता है। बागवानी से ही घर में छोटे से लेकर बड़े कृषि उपकरण खरीदे गए हैं। ढेकहा, करहिया और सांव गांव मिलाकर बागवानी से लेकर गेहूं और धान की बड़े स्तर पर खेती की जा रही है। फायदा हो या नुकसान अब इसे छोड़ नहीं सकता। इस बगिया से मेरे अलावा तीन से चार परिवार के लोग जुड़े हैं।

पालक की इन किस्मों की करते हैं खेती

बघेलखंड में देशी पालक का बीज बोते हैं, जबकि विलायती पालक पहाड़ी क्षेत्रों में बोई जाती है। देशी पालक में पत्ते एक समान होते हैं। इन पत्तों की कटाई 15 से 20 दिन में होने लगती है। कुल 6 से 7 बार कटाई कर सकते हैं। यहां ग्रीन मडोरी, आल ग्रीन, हरिहर रिसर्च, मुलायम, हरित शोभा, पूसा हरित, पूसा ज्योति, बनर्जी जाइंट का बीज लगाते हैं।

कैसे करें मूली की खेती

अजय कहते हैं कि विंध्य क्षेत्र में मूली की कई प्रजातियां लगाई जाती हैं। गर्मी, बरसात और सर्दी के मौसम के अनुसार बीज डालते हैं। गर्मी में सबसे ज्यादा पालक और सैग्रो का बीज डालते हैं। वहीं, ठंडी में काटेदार पत्ते वाली मूली लगाते हैं। इसी तरह गर्मी में हिल क्वीन की बिजाई करते हैं, जबकि मूली की उन्नत किस्में पूसा हिमानी, पूसा देसी, पूसा चेतकी, पूसा रेशमी, जापानी सफेद उगा सकते हैं।

गोभी की खेती के लिए चाहिए 20 से 30 डिग्री तक का तापमान

इसके लिए मिट्‌टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। इसकी फसल अधिक अम्लीय मिटटी में नहीं की जाती है। इसके लिए बलुई, दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। इसके लिए खेत तैयार ऐसे करें…

  • गोभी की रोपाई व बिजाई से पहले खेत की एक बार जुताई कर खेत को खुला छोड़ दें। इसके बाद खेत में मौजूद खरपतवार को नष्ट कर दें।
  • 15 से 20 दिन बाद खेत की जुताई कल्टीवेटर से करें। इसके बाद खेत में गोबर खाद प्रति एकड़ के हिसाब से डालें।
  • फिर कल्टीवेटर से दो बार आडी-तिरछी जुताई कर खेत को समतल कर लें, इसके बाद गोभी के पौधों की रोपाई करें।
  • बुआई सीधे मशीन से कर सकते है। रोपाई के दौरान पौधे से पौधे की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर और क्यारी से क्यारी की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर रखें।
  • गोभी की रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करना होता है। ऐसा खेत में नमी बनाए रखने के लिए जरूरी है। सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतर पर सिंचाई करें।

पालक : यह ऐसी सब्जी है जिसमें लागत अधिक नहीं लगती। यह कम समय में ही ज्यादा फायदा देने वाली सब्जी है। एक बार पालक की बुआई करने के बाद उसी से बार-बार पैसा कमा सकते हैं। पालक की 5-6 बार कटाई की जाती है। इसके बाद 10 से 15 दिनों में यह दोबारा कटाई के लिए तैयार हो जाता है।

  • इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे बेहतर है। पालक के लिए ऐसे खेत का चयन करें, जिसमें पानी की निकास अच्छी हो, साथ ही सिंचाई में परेशानी न हो।
  • पहले हैरो या कल्टीवेटर से खेत की जुताई करें, इससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है।
  • पैदावार अच्छी लेने के लिए खेत में पाटा लगाने से पहले गोबर की सड़ी खाद व एक क्विंटल नीम की पत्तियों से तैयार की गई खाद डाल देते हैं।
  • बुआई करते समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फॉस्फोरस और 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें।
  • यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद खेत पालक की खेती के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है।
  • पूरे साल पालक की खेती कर सकते हैं। इसे बोने का सही समय फरवरी से मार्च व नवंबर से दिसंबर होता है। इन महीनों में पालक की बुआई फायदेमंद होती है।
  • 25 से 30 किलोग्राम बीज/ हेक्टेयर की दर से बोया जाना चाहिए।
  • बुआई से पहले 5-6 घंटों के लिए बीज को पानी में भिगोना चाहिए। बुआई के समय खेत में नमी होनी चाहिए।
  • कीड़े लगने पर 20 लीटर गौमूत्र में 3 किलो नीम की पत्तियां व आधा किलो तंबाकू घोल मिलाकर छिड़काव करने से कीड़े नहीं लगते हैं।

मूली के लिए अच्छी होती है बलुई दोमट मिट्टी

मूली के लिए मिट्‌टी जल-निकासी वाली होनी चाहिए। मिट्‌टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। सर्दी का मौसम मूली के लिए बेहतर होता है। इसके पौधे सर्दियों में गिरने वाले पाले को भी आसानी से सहन कर लेते है। अधिक गर्मी के मौसम में इसके पौधों का विकास अच्छे से नहीं हो पाता है। इसके बीज के अंकुरण के लिए 20 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। वहीं पौधे के विकास के लिए 10 से 15 डिग्री का तापमान जरूरी होता है। मूली का पौधा न्यूनतम 4 डिग्री और अधिकतम 25 डिग्री तापमान ही सहन कर सकता है। मूली की फसल के लिए यह करना जरूरी…

  • मूली के बीज की रोपाई से पहले खेत को तैयार करते हैं। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर देनी चाहिए, ताकि पुरानी फसल के अवशेष नष्ट हो जाएं।
  • इसके बाद खेत में प्राकृतिक खाद के तौर पर पुरानी गोबर की खाद देना होता है।
  • खाद डालने के बाद कल्टीवेटर से दो से तीन जुताई कर खाद को अच्छी तरह से मिला दें। इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दें।
  • जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगे तब मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए फिर से जुताई कराएं।
  • इसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल करें, ताकि जलभराव जैसी समस्या नहीं हो।
  • इसके बीजों की रोपाई मेढ़ पर की जाती है, इसलिए खेत के समतल हो जाने के बाद एक से डेढ़ फीट की दूरी रखते हुए मेढ़ों को तैयार कर लिया जाता है। मूली के खेत में रासायनिक खाद को देने के लिए खेत की आखिरी जुताई के बाद उसमे सुपर फास्फेट, पोटाश और नाइट्रोजन का छिड़काव करें।

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