50 हजार में बेच रहा था पत्नी की नौकरी? पति की शिकायत पर लोकायुक्त ने रंगे हाथ पकड़ा परियोजना अधिकारी!

 
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ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा संभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त का अभियान लगातार जारी है। मोटी तनख्वाह पाने के बावजूद चंद रुपयों की लालच में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी अपनी नौकरी और प्रतिष्ठा दांव पर लगा रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार, 18 सितंबर 2025 को रीवा लोकायुक्त पुलिस ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के एक परियोजना अधिकारी को 50,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई से पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है।

क्या है पूरा मामला: आंगनवाड़ी सहायिका की नियुक्ति के बदले 50,000 की रिश्वत
यह पूरा मामला सिरमौर के महिला एवं बाल विकास विभाग से जुड़ा हुआ है। लोकायुक्त एसपी सुनील पाटीदार ने जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार रात को आवेदक राहुल सेन ने उनके समक्ष उपस्थित होकर एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में राहुल सेन ने बताया कि उनकी पत्नी का चयन आंगनवाड़ी सहायिका के पद पर हुआ था, लेकिन सिरमौर में पदस्थ परियोजना अधिकारी (Project Officer) शेष नारायण मिश्रा नियुक्ति पत्र जारी करने के बदले में 50,000 रुपये की रिश्वत की मांग कर रहे हैं।

पीड़ित ने कैसे की लोकायुक्त से शिकायत और उसका सत्यापन
परियोजना अधिकारी द्वारा लगातार पैसे के लिए दबाव बनाया जा रहा था, जिससे परेशान होकर राहुल सेन ने हिम्मत दिखाई और लोकायुक्त कार्यालय पहुंचकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए लोकायुक्त एसपी ने तत्काल एक विशेष टीम को शिकायत का सत्यापन करने का निर्देश दिया। टीम ने গোপনে शिकायत की पुष्टि की, जिसमें यह पाया गया कि परियोजना अधिकारी वास्तव में नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए 50 हजार रुपये की मांग कर रहा है।

लोकायुक्त ने कैसे बिछाया जाल: शिल्पी प्लाजा के पास रंगे हाथ पकड़ा गया अधिकारी
शिकायत की पुष्टि होने के बाद, लोकायुक्त एसपी सुनील पाटीदार के निर्देशन में एक ट्रैप दल का गठन किया गया। योजना के अनुसार, आवेदक राहुल सेन को केमिकल लगे हुए 50,000 रुपये दिए गए और उसे परियोजना अधिकारी शेष नारायण मिश्रा को देने के लिए भेजा गया। रिश्वत की राशि देने के लिए रीवा शहर के शिल्पी प्लाजा के पास का स्थान तय हुआ था।

लोकायुक्त की टीम ने पहले से ही शिल्पी प्लाजा के आसपास अपनी घेराबंदी कर ली थी और सादे कपड़ों में तैनात थी। जैसे ही राहुल सेन ने परियोजना अधिकारी शेष नारायण मिश्रा को रिश्वत की राशि दी और इशारा किया, लोकायुक्त की टीम ने तुरंत उसे चारों तरफ से घेरकर दबोच लिया। जब उसके हाथ धुलवाए गए, तो वह लाल हो गए, जिससे रिश्वत लेना प्रमाणित हो गया। टीम अधिकारी को पकड़कर सर्किट हाउस ले गई, जहां आगे की कार्रवाई की जा रही है।

कौन है रिश्वतखोर परियोजना अधिकारी शेष नारायण मिश्रा?
आरोपी अधिकारी का नाम शेष नारायण मिश्रा है और वह महिला एवं बाल विकास विभाग में सिरमौर परियोजना के परियोजना अधिकारी के पद पर पदस्थ है। उस पर आरोप है कि वह सरकारी काम करने के बदले में अवैध रूप से पैसों की मांग कर रहा था। यह घटना दर्शाती है कि कैसे कुछ अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर आम जनता का शोषण करते हैं।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अब आगे क्या होगा?
लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी परियोजना अधिकारी शेष नारायण मिश्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। गिरफ्तारी के बाद अब आरोपी अधिकारी को विशेष न्यायालय में पेश किया जाएगा। इस मामले में दोष सिद्ध होने पर उसे नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है और कठोर कारावास की सजा भी हो सकती है। लोकायुक्त की टीम अब आरोपी की संपत्ति की जांच भी कर सकती है ताकि आय से अधिक संपत्ति का पता लगाया जा सके।

आम नागरिक कैसे करें भ्रष्टाचार की शिकायत?
यदि कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी आपसे किसी काम के बदले रिश्वत मांगता है, तो आप डरें नहीं। आप सीधे लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत कर सकते हैं। शिकायतकर्ता की पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती है। आप लिखित आवेदन, फोन कॉल या सीधे कार्यालय में उपस्थित होकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए आम जनता का सहयोग अत्यंत आवश्यक है।

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