Rewa MahaShivratri 2024 : शहर के प्रसिद्ध मंदिरों में महाशिवरात्रि पर भोले का अभिषेक करने सुबह से शिवालयों में लगा जमावड़ा, जगह-जगह भंडारे का आयोजन

 
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रीवा। रीवा। भगवान भोलेनाथ तथा माता पार्वती के शुभ विवाह का प्रतीक दिवस महाशिवरात्रि पर जहां शहर में गाजे बाजे के साथ बारात निकल रही है वहीं विभिन्न शिवालियों में ओम नमः शिवाय के जयकारे गूंज रहे हैं। किला स्थित भगवान महामृत्युंजय और उर्राट स्थित ओंकारेश्वर देवालय, कोठी कंपाउंड मनकामेश्वर देवालय गुड़ स्थित कष्टहर नाथ तथा देव तालाब स्थित शिवालय में अपार जन समुदाय सुबह से ही दर्शन के लिए कतार में लगे हुए हैं।

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देश के साथ ही महाशिवरात्रि का पर्व रीवा जिले में धूमधाम से मनाया जा रहा है। देवतालाब शिव मंदिर और महामृत्युंजय शिवलिंग में भक्तों की आस्था उमड़ी हुई है। यहां सुबह 4 बजे से जल चढ़ाने वालों की भारी संख्या में भीड़ लगी हुई है। सभी भक्त बारी-बारी से भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर जल, पुष्प, और धतूरा चढ़ा रहे है। इसी तरह मनकामेश्वर महादेव मंदिर, गुढ़ स्थित भैरवनाथ शिव मंदिर में लोग दर्शन पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। इधर मंदिर में भक्तों की भीड़ को देखते हुए एक दिन पहले ही जिला प्रशासन ने तैयारियां पूर्ण कर ली थी। भीड़ को देखते हुए मंदिरों में जगह-जगह शिव भक्तों की टोली व पुलिस बल का इंतजाम किया गया है। शहर में जहां एक तरफ शिव बारात निकाली गई है वहीं जगह-जगह भंडारे का आयोजन भी किया गया है। बता दें कि शिव बरात निकालने की परंपरा विगत एक दशक से चालू है।

भंडारे और सांस्कृतिक कार्यक्रम का क्रम पूरे दिन रहेगा जारी

शिव बारात और भंडारे का आयोजन हर वर्ष की तरह शिव बारात आयोजन समिति द्वारा किया गया है। पचमठा धाम से शुरू होने वाली शिव यात्रा में धर्म ध्वजा, घोड़ा, बग्घी, बाबा महाकाल की पालकी, शहनाई, नगड़िया, विशाल हनुमान की झांकी, आर्केस्ट्रा सहित विश्व का सबसे बड़ा नगाड़ा भी शामिल होगा। शहर भर में 108 जगहों पर शिव बारात का स्वागत किया जाएगा।

पचमठा धाम में दोपहर 12 बजे से रात तक महाशिवरात्रि पर्व धूम-धाम से मनाया जाएगा। वहीं विशाल भण्डारा भी दोपहर से शुरू होकर देर रात तक जारी रहेगा। प्रयागराज के तरुण चोपड़ा ग्रुप के द्वारा संगीतमय प्रस्तुति दी जाएगी। शिवरात्रि महोत्सव में इंडियन आइडल और सारेगमापा के कलाकार भी मनमोहक प्रस्तुतियों से लोगों को मंत्र मुग्ध करेंगे।

देवतालाब शिव मंदिर का इतिहास

देवतालाब स्थित शिव मंदिर क्षेत्र में आस्था का केन्द्र बना हुआ है। वैसे तो यहां रोजाना हजारों भक्त आते हैं। लेकिन महाशिवरात्रि, अधिकमास और सावन सोमवार में भक्तों की आस्था देखते ही बनती है। मंदिर के पुजारियों ने बताया कि देवतालाब मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने रातों-रात कर दिया था। कहा जाता है कि पहले यहां मंदिर नहीं था। लेकिन दूसरे दिन भक्तों को विशालकाय मंदिर दिखा तो क्षेत्र का प्रचार हुआ। श्रद्धालु बताते हैं कि देवतालाब शिव मंदिर का लिंग काफी रहस्यमयी है। इतिहासविदों का मानना है कि यह लिंग दिन में चार बार रंग बदलता है। एक प्रकार से कहा जाए तो देवतालाब, तालाबों का नगर है। यहां मंदिर के आसपास कई तालाब है। शिव मंदिर परिसर वाले तालाब को शिव-कुंड के नाम से जानते हैं। इस कुंड से जल भरकर ही श्रद्धालु भोलेनाथ के पंच शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि शिव लिंग के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर है, जहां चमत्कारिक मणि मौजूद है।

1001 छिद्रों वाला महामृत्युंजय शिव मंदिर

रीवा शहर के किला स्थित महामृत्युंजय शिव मंदिर भक्तों के बीच आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यहां बसंत पंचमी और शिवरात्रि को बड़ा मेला लगता है। शिवलिंग की खासियत यह है कि महामृत्युंजय रूप में है। अर्थात 1001 छिद्रों वाला शिवलिंग है। वैसे तो यहां रोजाना श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, लेकिन हर सोमवार और अधिकमास के महीने में भगवान की एक झलक पाने के लिए भक्त खुद को नहीं रोक पाते है।

टल जाती है अकाल मौत

मंदिर के पुजारियों ने बताया है कि रीवा जिले में दुनिया का एकमात्र शिव मंदिर है, जहां भगवान शिव के मृत्युंजय रूप की पूजा होती है। मान्यता है कि शिव आराधना करने से आयु लंबी होती है। आने वाले संकट दूर होते हैं। शिवालय का महात्म्य द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समतुल्य माना जाता है। यहां विराजमान शिवलिंग की बनावट संसार के बाकी अन्य शिवलिंगों से भिन्न है। क्योंकि 1001 छिद्रों वाला शिवलिंग विश्व के किसी भी मंदिर में नहीं है।

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