रीवा का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल: 13 करोड़ की MRI मशीन को लगी 'डाई' की नज़र, जांच शुरू होने से पहले ही फंसी नई मुसीबत

 
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सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 13 करोड़ की एमआरआई मशीन चालू नहीं, टेक्नीशियन की ट्रेनिंग के बाद अब डाई की आपूर्ति में देरी

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 13 करोड़ की एमआरआई मशीन, जो गरीबों को सस्ती जांच की सुविधा देने के लिए स्थापित की गई थी, विभिन्न कारणों से अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। पहले योग्य टेक्नीशियन की कमी और अब जांच के लिए जरूरी डाई की अनुपलब्धता ने इसके संचालन को और टाल दिया है।

यह मशीन, जिसे डिप्टी सीएम के प्रयासों से स्थापित किया गया था, का उद्घाटन हुए दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन आम जनता को अभी तक इसका लाभ नहीं मिल पाया है।

क्यों हो रही है रीवा एमआरआई मशीन में देरी?
अस्पताल प्रशासन के सामने एक के बाद एक नई चुनौतियाँ खड़ी होती जा रही हैं। सबसे पहले, एमआरआई मशीन को चलाने के लिए योग्य टेक्नीशियन नहीं थे। इस समस्या को हल करने के लिए, एक्स-रे टेक्नीशियन को कंपनी के इंजीनियरों द्वारा ट्रेनिंग दी गई। जब यह प्रक्रिया पूरी हो गई और लगा कि अब जांच शुरू हो जाएगी, तब एक नया मुद्दा सामने आया – जांच में उपयोग होने वाली डाई की कमी।

एमआरआई में डाई का क्या उपयोग है और क्यों है यह जरूरी?
एमआरआई (MRI) जांच के दौरान डाई का उपयोग विशेष रूप से उन मामलों में किया जाता है, जहाँ डॉक्टर को ट्यूमर, रक्त वाहिकाओं, या अन्य आंतरिक असामान्यताएं (abnormalities) का पता लगाना होता है। यह डाई, जिसे गैडोलीनियम नामक एक कंट्रास्ट एजेंट कहा जाता है, स्कैन में विशिष्ट ऊतकों को अधिक स्पष्टता से दिखाता है। इसके उपयोग से जांच रिपोर्ट अधिक विस्तृत और सटीक होती है, जिससे डॉक्टर को सही निदान (diagnosis) करने में मदद मिलती है। विशेषज्ञों के अनुसार, बिना डाई के की गई कुछ जांचें अपूर्ण और अविश्वसनीय हो सकती हैं, यही कारण है कि अस्पताल के एचओडी (HOD) ने डाई की आपूर्ति होने तक मशीन को शुरू करने से मना कर दिया है।

एमआरआई जांच के लिए डाई कहां से मिलेगी?
रीवा शहर में डाई की कोई स्थानीय आपूर्ति नहीं है। अस्पताल प्रबंधन ने निजी एमआरआई सेंटरों से भी संपर्क किया, लेकिन वहां भी कोई संतोषजनक समाधान नहीं मिला। फिलहाल, प्रबंधन ने ग्वालियर की अमृत फार्मेसी से संपर्क किया है और डाई की आपूर्ति के लिए कोटेशन (quotation) मांगा है। उम्मीद है कि जल्द ही आपूर्ति के लिए एक अनुबंध (contract) किया जाएगा। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया में समय लगेगा, जिसके कारण गरीबों को सस्ती एमआरआई जांच के लिए और इंतजार करना पड़ेगा।

अतीत की अड़चनें और गरीबों की महंगी जांच की राह
एमआरआई मशीन को शुरू करने में शुरू से ही कई बाधाएं आईं। पहले, योग्य टेक्नीशियन की कमी थी। अस्पताल ने एक्स-रे टेक्नीशियन को नियुक्त किया, जबकि कई सीटी और एमआरआई सर्टिफिकेट धारक बेरोजगार घूम रहे थे। अब जब टेक्नीशियन प्रशिक्षित हो गए हैं, तो डाई की कमी एक नई समस्या बन गई है।

इन सभी अड़चनों का सीधा असर गरीब और मध्यम वर्ग के मरीजों पर पड़ रहा है, जिन्हें अभी भी महंगे निजी केंद्रों में एमआरआई जांच कराने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जब तक यह समस्या हल नहीं हो जाती, रीवा के मरीजों को सस्ती और विश्वसनीय जांच की सुविधा नहीं मिल पाएगी।

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