Rewa News : न्यायाधीश विवेक अग्रवाल की बेंच में रीवा एसपी को 'जमकर फटकार': दुष्कर्म मामले की जांच में लापरवाही पर अदालत सख्त
Updated: Jun 11, 2025, 14:38 IST

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। रीवा में न्यायिक व्यवस्था के भीतर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जहाँ न्यायाधीश विवेक अग्रवाल की बेंच ने एक गंभीर आपराधिक मामले की जांच में लापरवाही और देरी को लेकर रीवा के पुलिस अधीक्षक (SP) को जमकर फटकार लगाई है। अदालत ने पुलिस की कार्यप्रणाली और जांच के स्तर पर गहरा असंतोष व्यक्त किया।
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मामले की सुनवाई के दौरान उठे तीखे सवाल:
यह मामला एक दुष्कर्म से जुड़ा है, जहाँ पीड़िता के बयान दर्ज करने और जांच को आगे बढ़ाने में पुलिस की ओर से भारी चूक देखी गई। न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान पुलिस अधिकारी से कई तीखे प्रश्न पूछे:
- पीड़िता के बयान दर्ज करने में देरी: न्यायाधीश ने सवाल उठाया कि जब पीड़िता सतना में रहती है, तो उसके बयान क्यों नहीं दर्ज किए गए। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, "सर पहले तू मेरा एक साल हो गया खसरा के लिए सुधार के लिए...प्रसास में आपको आपके पेरों में मेहन्दी लगी हुई थी आप जा सकते थे स्टेट्मेंट रिकॉर्ट करने के लिए।" यह टिप्पणी पुलिस की निष्क्रियता पर गहरा सवाल उठाती है।
- जनता का पुलिस पर अविश्वास: न्यायाधीश ने सीधे कहा, "आम जनता को पुलिस के उपर से बिल्कुल भरोसा नहीं है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जांच की इस तरह की कार्यप्रणाली स्वीकार्य नहीं है।
- जांच अधिकारी (IAO) पर प्रश्न: न्यायाधीश ने जांच अधिकारी की पहचान पूछते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई न होने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने पुलिस अधिकारी से पूछा कि क्या वे इस तरह के आचरण का समर्थन करते हैं, और यदि नहीं, तो ऐसा शपथ पत्र क्यों दायर किया गया।
- SP के पर्यवेक्षण में कमी: SP द्वारा 4 अक्टूबर को चार्जशीट जारी करने की बात कहने पर, न्यायाधीश ने उनके अपने पर्यवेक्षण पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि SP का थानों के ऊपर क्या परवेक्षण रहता है, कब-कब दौरे किए जाते हैं, कब-कब जांच की जाती है, और कब-कब दस्तावेज देखे जाते हैं।
- जांच की धीमी प्रगति: SP ने बताया कि अप्रैल में कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने 2022 के 875 लंबित अपराधों को कम करके 590 तक पहुँचाया है। हालांकि, न्यायाधीश ने एक विशिष्ट बिंदु पर इंगित करते हुए कहा कि 13 सितंबर 2023 के बाद मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है, जबकि SP अप्रैल में ही आ गए थे। उन्होंने कहा, "देखना क्या है उसमें करना है अब देखना नहीं है।"
- जांच पूरी न होने पर चिंता: न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि उन्हें चार्जशीट नहीं, बल्कि एक अंतिम रिपोर्ट चाहिए, जिसमें पुलिस अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग करे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समस्या यह है कि "इन्वेस्टिगेशन नहीं करते था और प्राज़ान नहीं करते था...इन्वेस्टिगेशन इज नॉट कम्प्लीटेड इन ईदर डायरेक्शन।"