Rewa News : फर्जी नियुक्ति में DEO-बाबू की जोड़ी ने किया न्याय का चीरहरण – खुद को बचाया, मासूम पर FIR ठोक दी!

 
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रीवा, मध्यप्रदेश। जहाँ एक ओर शासन पारदर्शिता और भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन की बात करता है, वहीं रीवा के शिक्षा विभाग में तो घोटालों का थिएटर” चल रहा है — मुख्य भूमिका में हैं DEO साहब और उनके प्रिय बाबू!

मामला था फर्जी अनुकंपा नियुक्ति का।  
मां कभी सरकारी सेवा में थी नहीं, लेकिन बेटा सरकारी सेवा में पहुँच गया — बिना कलेक्टर की स्वीकृति, फर्जी दस्तावेज़ों पर, और ₹3 लाख की सेटिंग में।
इस फर्जीवाड़े की स्क्रिप्ट लिखी बाबू रमा द्विवेदी ने, निर्देशन किया DEO सुदामा गुप्ता ने, और अभिनय किया पूरे विभाग ने।

पर क्लाइमैक्स देखिए...

जब मामला खुला और मीडिया ने सवाल उठाए, तो DEO साहब ने कमाल कर दिया —  
जो खुद फर्जी नियुक्ति का आदेश जारी करने वाले थे, उन्होंने उल्टा नियुक्ति पाने वाले युवक पर FIR दर्ज करवा दी!
और बाबू रमा द्विवेदी को?  
उन्हें तो *“क्लीन चिट का प्रसाद”* दे दिया!

अब विभाग में चर्चा है कि –  
FIR भी उसी पर जिसकी नियुक्ति हुई, और बचाव भी उसी का जिसने सब प्लान किया!” वाह री प्रशासनिक ईमानदारी!

DEO साहब और बाबू की ‘गहरी दोस्ती’
बताया जाता है कि DEO साहब और यह लिपिक *इतने करीबी हैं कि बाबू उन्हें जो फाइल दिखाए वही मंजूर हो जाती है।*  
कलेक्टर तक को गुमराह कर यह नियुक्ति करा दी गई।   और अब जब मामला सामने आया, तो कलेक्टर को भी *‘मैनेज’* कर यह बताने की कोशिश की जा रही है कि “गलती तो सिर्फ युवक की थी”।

मतलब – भ्रष्टाचार का गढ़ बनाने वाले बच गए, और मोहरा बन गया गरीब युवक!

सवाल जो जनता पूछ रही है:
- बिना कलेक्टर अनुमोदन के आदेश किसने पास किया?  
- FIR बाबू और DEO पर क्यों नहीं?  
- विभागीय जांच क्यों नहीं बैठाई गई?  
- क्या यही है "गुड गवर्नेंस" का सरकारी मॉडल?

“अगर इस प्रकरण में दोषी अधिकारी और लिपिक को बचाया गया, तो जनता जान जाएगी कि सिस्टम किसके लिए बना है — न्याय के लिए या जुगाड़ के लिए!”

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