Rewa News : पहली जोरदार बारिश में बिगड़ी ECO PARK की शक्ल

 
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नियम विरुद्ध तरीके से बीहर नदी के टापू में इको पार्क बनाने का भुगतना पड़ा खामियाजा

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। शहर में पिछले 15 वर्षों से विकास के नाम पर किस तरह का खेल हो रहा है वह अब जनता की नजरों से छुपा नहीं है। तालाब उन्नाणीकरण से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग के सौंदरीकरण के नाम पर कई वर्षों से खुला खेल चल रहा है। कहीं पेड़ पौधे लगाए जा रहे हैं तो कहीं जलियां लगाई जा रही है। इसी तरह के कई तालाबों का गहरीकरण कर सौंदरीकरण कर शहर को खूबसूरत बनाने का प्रयास किया गया किंतु घटिया निर्माण कार्य के चलते उक्त तालाबों का आकर्षण अब शहर की जनता के बीच नहीं रहा।

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यह अलग बात है कि सुबह मॉर्निंग वॉक करने वाले लोग जरूर यहां पहुंच जाते हैं इसी तरह अगर बात की जाए इको पार्क की तो बीहर नदी की किनारे टापू में बसे जंगल को इको पार्क में तब्दील करने की योजना लगभग 8 वर्ष पहले बनी। शुरुआत में करोड़ों रुपए की लागत से उक्त बीहर नदी में झुलापुल का निर्माण कराया गया उक्त पुल बीहर नदी में आई बाढ़ की भेंट चढ़ गया। इसके बाद भी जिम्मेदारों ने कोई सबक नहीं लिया और जबरन बीहर नदी के टापू में इको पार्क निर्माण करा डाला गया और जनता के लिए लोकार्पित भी कर दिया गया।

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हालांकि उक्त इको पार्क में प्रवेश शुल्क अधिक होने के कारण आम जनता के पहुंच से दूर रहा मध्यम वर्ग एवं धनाडय वर्ग के लोग ही इस इको पार्क का लुफ्त उठाने परिवार सहित पहुंचते हैं। शहर के विकास का ढिंढोरा पीटने वाले लोगों के आंखों की नींद आज उस समय उड़ गई जब सुबह यह जानकारी लगी की रात भर हुई बारिश में इको पार्क के टापू का आधा हिस्सा जलमग्न हो चुका था।

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उल्लेखनीय है की जहां पूरे देश में एक और बारिश का सिलसिला जोरदार तरीके से जारी है और बाढ़ से जल जीवन अस्त व्यस्त है वही रीवा जिले में पानी न बरसाने की वजह से लोग गर्मी एवं उमस से परेशान थे किंतु रीवा जिले से रूठे इंद्रदेव कल प्रसन्न हुए और दोपहर बाद से शहर में तेज बारिश का दौर शुरू हुआ वा लगातार पूरी रात जारी रहा। यह जरूर था कि बारिश कभी झमाझम हो जाती थी तो कभी रुक-रुक कर हो रही थी किंतु बारिश पूरी रात हुई जिसका खामियाजा यह हुआ की बीहर नदी की टापू में बना इको पार्क आधा जलमग्न हो गया। यह तो गनीमत रही की टापू में आई इस बाढ़ की वजह से कोई जनहानि नहीं हुई अगर दिन में इस तरह से बाढ़ का पानी टापू में चढ़ा होता तो किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता था।

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