Rewa News : "मरीजों की मौतों पर अस्पतालों का खेल: नियमों की अनदेखी में प्रशासन भी शामिल"

 
fdf

प्राइवेट चिकित्सा संस्थानों में मरीजों की सुरक्षा और इलाज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सरकारी गाइडलाइंस जारी की जाती हैं। लेकिन हाल ही में कुछ प्राइवेट अस्पतालों में नियमों के विपरीत संचालन, देखभाल में लापरवाही और इलाज में कोताही के कारण कई मौतें सामने आई हैं। इस पर नियामक एजेंसियों द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। शहर में नर्सिंग होम संचालन को लेकर अस्पतालों और वरिष्ठ नागरिक सुविधा केंद्रों के सामने जारी कड़ी निगरानी व नियमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट एवं क्षेत्रीय हाईकोर्टों ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य नर्सिंग होमों में नागरिकों की सुरक्षा, उचित देखभाल और चिकित्सा मानकों की गारंटी सुनिश्चित करना है।

गाइडलाइंस का उल्लंघन और इसके परिणाम

स्वास्थ्य मंत्रालय एवं राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (NMC) द्वारा जारी क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट्स (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन) अधिनियम, 2010 और संबंधित निर्देशों के अनुसार, किसी भी चिकित्सा संस्था को आवश्यक मानकों, उपकरण, स्टाफिंग और आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होती है। यदि कोई अस्पताल इन मानकों का पालन करने से चूकता है तो:

  • अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित या रद्द किया जा सकता है,

  • भारी जुर्माना लगाया जा सकता है,

  • मरीजों की मौत के मामले में आरोपी चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल प्रबंधन पर आपराधिक कार्रवाई भी की जा सकती है।

हाल के मामलों का संक्षिप्त विवरण

  1. मुंबई में [XYZ हॉस्पिटल] का मामला:
    मुंबई स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में पिछले कुछ महीनों में मरीजों की इलाज के दौरान अनदेखी के कारण कई मृत्यु के मामले सामने आए। जांच में यह बात सामने आई है कि अस्पताल में स्टाफ की कमी, आवश्यक उपकरणों की अनुपलब्धता और मानक संचालन प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ। संबंधित राज्य स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत जांच शुरू की और अस्पताल के लाइसेंस पर अस्थायी रोक लगा दी है।

  2. दिल्ली के [ABC हॉस्पिटल] में मौतें:
    दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में भी हाल ही में अनचाही मौतें दर्ज हुईं। मरीजों के इलाज में देरी, साफ-सफाई और संक्रमण नियंत्रण में चूक जैसी समस्याओं के कारण यह मौतें हुईं। इस संदर्भ में, दिल्ली प्रशासन ने अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज की है और जिले के मेडिकल काउंसिल द्वारा विस्तृत जाँच मंशा की गई है।

इन घटनाओं के बाद, कई राज्यों में नियामक एजेंसियों ने एक साझा बयान जारी किया है कि अस्पतालों में गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन न करने पर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। अधिकारियों ने कहा है कि यदि अस्पताल में मरीजों की जान के साथ खेला जाता है तो केवल आर्थिक जुर्माना ही नहीं बल्कि जेल की सजा भी हो सकती है।

कानूनी कार्रवाई की संभावना

  • लाइसेंस निलंबन/रद्दीकरण:
    नियमों के उल्लंघन के बाद संबंधित अधिकारियों द्वारा अस्पताल का लाइसेंस निलंबित या स्थायी रूप से रद्द किया जा सकता है।

  • आपराधिक मामला:
    यदि मरीजों की मौत चिकित्सा लापरवाही या अनदेखी के कारण हुई है, तो गंभीर मामलों में अस्पताल के संबंधित अधिकारियों और चिकित्सा अधिकारियों पर धारा 304A (दुर्घटना द्वारा मौत) एवं अन्य प्रावधानों के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है।

  • वित्तीय जुर्माना एवं मुआवजा:
    पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए और अस्पताल द्वारा हुई लापरवाही का मुआवजा देने के लिए वित्तीय जुर्माना भी लगाया जाता है।

निदेशक और जिम्मेदारी की माँग

स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की दिशा में यह स्पष्ट संदेश है – मरीजों की जान और स्वास्थ्य से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चिकित्सा संस्थानों के संचालन में पारदर्शिता, उच्च मानकों का पालन और मरीजों की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। पत्रकारों, नागरिकों और पीड़ित परिवारों की संयुक्त आवाज़ से उम्मीद जताई जा रही है कि नियामक एजेंसियां जल्द ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगी।

सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश:

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कुछ वर्षों में वरिष्ठ नागरिकों के हक़ और उनके उचित उपचार को सुनिश्चित करने हेतु कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं। कोर्ट ने निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया है:

  • पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग:
    नर्सिंग होमों को स्थानीय स्वास्थ्य विभाग और नगरपालिका द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार पंजीकरण करवाना अनिवार्य किया गया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि बिना वैध लाइसेंस के संचालन को अवैध माना जाएगा।

  • सेवा मानक एवं देखभाल:
    नियमों के अंतर्गत, नर्सिंग होमों को उच्च गुणवत्ता की देखभाल, नियमित चिकित्सा जांच, आपातकालीन सेवाएं, और स्वच्छता एवं सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करना आवश्यक है।

  • स्वतंत्र जांच एवं शिकायत निवारण तंत्र:
    वरिष्ठ नागरिकों के हक़ों के उल्लंघन को रोकने हेतु सुप्रीम कोर्ट ने एक त्वरित, पारदर्शी और स्वतंत्र शिकायत निवारण तंत्र की मांग की है। इससे नर्सिंग होम में किसी भी प्रकार की लापरवाही के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।

हाईकोर्ट के आदेश:

क्षेत्रीय हाईकोर्टों ने स्थानीय प्रशासन एवं नर्सिंग होमों के प्रबंधकों पर यह आदेश जारी किया है कि:

  • नियम एवं प्रावधानों का कड़ाई से पालन:
    शहर में स्थित नर्सिंग होम अब राज्य के स्वास्थ्य नियमों के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित मापदंडों का पालन करेंगे।
    न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, उन संस्थानों पर निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया है जो पूर्व में शिकायतों और मानकों की कमी के कारण आलोचना में रहे हैं।

  • नियमित निरीक्षण एवं लेखा-जोखा:
    हाईकोर्ट ने राज्य स्वास्थ्य और न्यायिक अधिकारियों को आदेश दिया है कि नर्सिंग होमों का नियमित निरीक्षण किया जाए एवं उनके कार्यों का लेखा-जोखा रखा जाए।
    किसी भी लापरवाही में न केवल आर्थिक जुर्माना बल्कि संबंधित अधिकारियों पर आपराधिक कार्यवाही की भी सिफारिश की गई है।

प्रभाव और कार्यवाही:

इन आदेशों के बाद कई शहरों में नर्सिंग होम प्रबंधन ने अपने संचालन में सुधार की दिशा में कदम उठाना शुरू कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये कदम न केवल वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाएंगे, बल्कि नर्सिंग होम संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित करेंगे।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने भी घोषणा की है कि जल्द ही एक विशेष निरीक्षण समिति का गठन किया जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार नर्सिंग होम संचालन की समीक्षा करेगी। इससे न केवल अनुपालन सुनिश्चित होगा बल्कि किसी भी शिकायत पर त्वरित कार्रवाई भी संभव होगी।

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के आदेश शहर में नर्सिंग होमों को एक नई दिशा देने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। इन नियमों का कड़ाई से पालन न केवल वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की सुरक्षा का स्तर बढ़ाएगा, बल्कि राज्य में चिकित्सा सेवाओं के प्रति लोगों के विश्वास को भी पुनर्स्थापित करेगा। अब नर्सिंग होमों के प्रबंधकों को न केवल प्रशासनिक बल्कि कानूनी जिम्मेदारियों का भी पालन करना होगा, जिससे भारत में बुजुर्गों का सम्मान, सुरक्षा और उचित देखभाल सुनिश्चित हो सकेगी।

Related Topics

Latest News