Rewa News : प्रार्थना हॉस्पिटल में चिकित्सकों की लापरवाही से हो चुकी है कई मौतें, फिल्मी स्टाइल में होता है दवाइयों में गोलमाल : पढ़िए पूरी खबर

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। जिले के न्यू बस स्टैंड के पास स्थित प्रार्थना हॉस्पिटल में चिकित्सकों के लापरवाही से मरीज की मौत होना आम बात हो चुकी है। वही मौत होने के बाद परिजनों द्वारा शिकायत करने और कार्रवाई की मांग करना भी आम बात हो चुकी है। वही स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच करने के बाद उचित कार्रवाई करने का आश्वासन देना भी आम बात हो चुकी है। शहर का जिस तेजी से विकास हो रहा है उसी तेजी से शहर में निजी नर्सिंग होम की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर सफेद कोट पहनकर मरीजों के परिजनों कि जेब काटकर मौत बांटने का काम करने में जुटे हुए है।
बता दे कि आए दिन किसी न किसी नर्सिंग होम में भर्ती मरीज की मौत पर हंगामें की स्थिति निर्मित होना आम बात हो गाई है। एक बार फिर ताजा मामला प्रार्थना अस्पताल से सामने आया है जहां पर भर्ती अंजली सिंह पत्नी भंवर सिंह निवासी पड़रा की महिला चिकित्सक सोनल अग्रवाल द्वारा उपचार में लापरवाही करने से मौत हो गई, इसके बाद पूरा परिवार सदमे में है। और पुलिस प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग से शिकायत कर कार्रवाई की मांग कर रहा है।
ताजा मामला शहर के समान मोहल्ले में स्थित प्रार्थना नर्सिंग होम का बताया जा रहा है जहां पर भर्ती अंजली सिंह पत्नी भंवर सिंह निवासी पडरा प्रार्थना हॉस्पिटल में कार्यरत महिला चिकित्सक सोनल अग्रवाल द्वारा उपचार कराया जा रहा था। चिकित्सक द्वारा गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति सामान्य बताई थी और 22 फरवरी को डिलीवरी की अनुमानित तिथि बताई गई थी।
4 फरवरी 2025 को प्रसूता को लेकर उसके पति भंवर सिंह प्रार्थना हॉस्पिटल चेकअप के लिए ले गए हैं जहां पर मौजूद महिला चिकित्सक ने प्रसूता को भर्ती करने के लिए कहा और मरीज के शरीर में पानी की कमी बताते हुए फौरन डिलीवरी करने को कहा जबकि प्रसूता की स्थिति बिलकुल सामान्य थी और समय आने पर नॉर्मल डिलीवरी हो सकती थी किंतु पैसे के लालच में महिला चिकित्सक सोनल अग्रवाल द्वारा आनन फानन में अस्पताल में भर्ती कर रात तकरीबन 11:30 बजे प्रसूता के परिजन को यह जानकारी दी गई की 10:48 पर ऑपरेशन से बच्ची पैदा हुई है और जच्चा बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं जिसके बाद प्रसूता के परिजन अपने घर चले गए।
दूसरे दिन सुबह प्रसूता के पति ने अपने घर में फोन कर यह बताया कि अंजलि की हालत काफी खराब है चिकित्सक 10 यूनिट ब्लड चढ़ाने की बात कर रहे हैं। और प्रसूता के बच्चेदानी से लगातार पानी जा रहा है जिस कारण तत्काल प्रसूता को जबलपुर के सैल्वी अस्पताल में ले जाने की सलाह दी किंतु इससे पहले नर्सिंग होम का बकाया बिल जमा करने को कहा।
प्रस्तुत के पति द्वारा बीमा कराया गया था जिसके कागजात पति द्वारा अस्पताल में सबमिट भी किए गए थे किंतु बीमा क्लेम की मंजूरी समय पर न मिलने से प्रार्थना हॉस्पिटल के चिकित्सक महिला को रेफर करने के लिए तैयार नहीं थे। अगले दिन सुबह 4:30 बजे बीमा कंपनी का अप्रूवल मिला तब सुबह लगभग 5:00 बजे वेंटीलेटर वाली एंबुलेंस में अंजली सिंह को स्विफ्ट कराकर जबलपुर रवाना किया गया।
इस दरमियान लगभग चार-पांच घंटे प्रसूता ऑपरेशन थिएटर पर ही पड़ी रही और उसका किसी भी प्रकार से कोई उपचार नहीं किया गया और प्रसूता को लगातार ब्लीडिंग होती रही 5 फरवरी को सुबह प्रसूता को लेकर परिजन जबलपुर पहुंचे तब तक बहुत देर हो चुकी थी। प्रार्थना हॉस्पिटल के चिकित्सकों की लापरवाही की वजह से जच्चा बच्चा दोनों की मौत हो गई। मृतका के परिजनों ने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर प्रार्थना हॉस्पिटल में कार्यरत महिला चिकित्सक एवं प्रार्थना हॉस्पिटल के प्रबंधन के ऊपर कार्यवाही करने की मांग की गई है।
पैसे की लालच में 4 से 5 घंटे बिना इलाज के पड़ी रही प्रसूता
दूसरे दिन बाद प्रसूता की तबीयत बिगड़ने लगी जिसके कारण उसे फिर से प्रार्थना अस्पताल में भर्ती कराया गया, प्रसूता के पति ने अपने घर में फोन कर यह बताया कि अंजलि की हालत काफी खराब है चिकित्सक 10 यूनिट ब्लड चढ़ाने की बात कर रहे हैं। और प्रसूता के बच्चे दानी से लगातार पानी जा रहा है जिस कारण तत्काल प्रसूता को जबलपुर के सैल्वी अस्पताल में ले जाने की सलाह दी किंतु इससे पहले नर्सिंग होम का बकाया बिल जमा करने को कहा। प्रस्तुत के पति द्वारा बीमा कराया गया था जिसके कागजात पति द्वारा अस्पताल में सबमिट भी किए गए थे किंतु बीमा क्लेम की मंजूरी समय पर न मिलने से प्रार्थना हॉस्पिटल के चिकित्सक महिला को रेफर करने मांग कर रहे हैं, किंतु अभी कार्रवाई शून्य मात्रा टिकी हुई है।
जिंदगी नहीं मौत बांट रहा प्रार्थना अस्पताल
प्रार्थना अस्पताल शुरू से ही विवादों में रहा है। यहां आए दिन कोई न कोई विवाद खड़ा होता ही रहता है। अधिकांश मामलों में मरीज की मौत हुई है। परिजन लापरवाही का आरोप लगाते रहे है। इसके बाद भी प्रार्थना अस्पताल के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण मरीजों और उनके परिजनों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। और मरीज आए दिन काल के गाल में समा रहे है।
फिल्मी स्टाइल में होता है दवाइयों में गोलमाल
प्रार्थना अस्पताल के सौदेबाजी से परेशान एक मरीज के परिजन अमित कुमार मिश्रा ने सोशल मीडिया में एक वीडियो जारी कर बताया कि गब्बर इस बैंक मूवी की तरह फिल्मी स्टाइल में प्रार्थना अस्पताल में मरे हुए व्यक्तियों के इलाज सहित दवाइयों में गोलमाल किया जाता है उन्होंने बताया कि वो अपनी वाइफ की डिलीवरी के लिए प्रार्थना अस्पताल पहुंचे थे जहां अस्पताल परिसर में संचालित मेडिकल स्टोर में डॉक्टरों की लिखी हुई दवाइयां खरीदी थी, जहां डॉक्टरों ने दवाइयां कम लिखी थी और मेडिकल स्टोर में उपस्थित कर्मचारियों द्वारा अधिक का बिल बनाकर दिया गया था, वहीं पूरे दिन में डॉक्टरों द्वारा लगभग 10 से 20 हजार की दवाइयां लिखी जाती है, वही अमित कुमार मिश्रा ने जब इसकी जांच की तो पता चला की दवाइयां की संख्या अधिक लिखी गई थी जबकि दवाइयां कब मिली और बिल अधिक दवाइयों का बना हुआ था, जब इसकी शिकायत डॉ. सोनल अग्रवाल से की गई तो उन्होंने अपने मेडिकल स्टोर के कर्मचारियों को बुलाया और डाट लगाकर कहा कि दोबारा ऐसा नहीं होगा, वही जब दोबारा डॉक्टरों द्वारा दवाई लिखी लेने अमित पहुंचे तो फिर मेडिकल स्टोर कर्मचारियों ने दवाइयां कम और बिल अधिक का बना दिया, वही अमित ने एक बार फिर जब इस बात का विरोध किया तो मेडिकल स्टोर कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि यहां ऐसा ही होता है।
डॉ. सोनल अग्रवाल के बर्खास्तगी की फाइल ठंडे बस्ते में
जिन डॉ. सोनल अग्रवाल की लापरवाही से प्रसूता की मौत का आरोप लगाया गया है। वो श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के संजय गांधी अस्पताल में भी नाम मात्र के लिए पदस्थ है, सूत्र बताते हैं कि नाम संजय गांधी अस्पताल का और पूरा समय डॉ सोनल अग्रवाल प्रार्थना अस्पताल में प्रैक्टिस के नाम पर देती है। बता दे कि उनके ऊपर पूर्व में किए गए करवाई में श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में बर्खास्ती की गाज गिरनी अभी बाकी है।
विगत कई सालों से मामला लटका हुआ है। भोपाल से भी जांच टीम आई थी। जांच टीम ने भी मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी डॉ. सोनल अग्रवाल की बर्खास्तगी नहीं की गई। वही बात दे को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने एक मरीज के इलाज की शिफारिश भी की थी। इसके बाद भी डॉ. सोनल अग्रवाल ने मरीज को निजी अस्पताल में भेज दिया था। इस मामले ने इतना तुल पकड़ा था कि अधीक्षक और डीन तक बदल गए थे। डॉ सोनल अग्रवाल और एचओडी डॉ बीनू सिंह के खिलाफ जांच बैठ गई थी। दोनों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। डॉ. सोनल अग्रवाल को श्याम शाह मेडिकल कॉलेज से ही बर्खास्त करने का प्रस्ताव कार्यकारिणी की बैठक में रखा गया था। किंतु कार्रवाई की फाइल ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है. वहीं अब तक इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है।