Rewa News : पानी-पानी रीवा: जब 'घर' डूबा, तो MLA ने खोली सरकार की पोल-पट्टी, बोले- 'लापरवाही से आई बाढ़!'

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा जिले में शुक्रवार को हुई लगातार 20 घंटे की मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है. नदी-नाले उफान पर हैं, निचले इलाकों की बस्तियों में नदी का पानी घुस गया है, और हालात इतने बिगड़ गए हैं कि स्वयं गुढ़ से बीजेपी विधायक नागेंद्र सिंह के बीहर नदी किनारे स्थित फार्म हाउस में भी पानी भर गया. फार्म हाउस का निचला हिस्सा तालाब में तब्दील हो गया. इस भयावह स्थिति पर विधायक नागेंद्र सिंह ने अपनी ही सरकार और स्वयं को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
बाढ़ से हाहाकार: रेस्क्यू जारी, कई मोहल्ले जलमग्न
शुक्रवार सुबह 8 बजे से शनिवार सुबह तक रीवा में हुई लगातार बारिश ने नदी-नालों का जलस्तर अचानक बढ़ा दिया, जिससे कई ग्रामीण और शहरी इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए. कई जगहों पर लोग अपने घरों में ही फंस गए. प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत हरकत में आते हुए नगर निगम और SDERF (राज्य आपदा आपातकालीन प्रतिक्रिया बल) की टीमों को राहत कार्य के लिए रवाना किया. एसडीईआरएफ की टीम ने तत्परता दिखाते हुए अब तक तकरीबन 23 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है, जिनमें खैरा गांव के 23 लोग शामिल थे.
विधायक के फार्म हाउस में घुसा पानी, सरकार पर बरसे
बीहर नदी का जलस्तर बढ़ने से लाड़ली लक्ष्मी पथ के रास्ते में बना गुढ़ विधायक नागेंद्र सिंह का फार्म हाउस भी बाढ़ की चपेट में आ गया. शुक्रवार रात से पानी धीरे-धीरे फार्म हाउस में घुसना शुरू हुआ और शनिवार शाम तक ग्राउंड फ्लोर पूरी तरह से तालाब में तब्दील हो गया, पानी अंदर के कमरों तक पहुंच गया.
इस स्थिति पर विधायक नागेंद्र सिंह ने अपनी ही राज्य और केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा, "रीवा का दुर्भाग्य है कि बाढ़ से निपटने के लिए पहले से कोई इंतजाम नहीं किए गए. इस पर कोई काम नहीं किया गया जिससे बार-बार बाढ़ न आए." उन्होंने स्वीकार किया, "यह हमारी ही लापरवाही है, क्योंकि 20 साल से हम ही सरकार में हैं."
अधूरे सुझाव और 'धूल फांकती' रिपोर्टें
विधायक नागेंद्र सिंह ने बताया कि पिछली बार एक्सपर्ट की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें बाढ़ के खतरे से निजात पाने के लिए बीहर नदी के गहरीकरण या दोनों तरफ बड़े-बड़े बांध बनाने का सुझाव दिया गया था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि "रीवा में जितने भी निर्माण कार्य हुए हैं, वे पानी के निकास को या तो कम करने वाले हैं या पूरी तरह बंद करने वाले हैं." उन्होंने पुराने निर्माणों पर भी सवाल उठाए, "बीहर नदी में बने 150 साल पुराने बड़े पुल के ऊपर से आज तक बाढ़ का पानी क्रॉस नहीं हुआ, मगर इसके बाद जब 3 अन्य पुलों का निर्माण हुआ, तो क्यों उनकी चौड़ाई और ऊंचाई कम रखी गई? क्यों बाढ़ के समय उनमें पानी आता है?"
विधायक ने 2016 में आई बाढ़ के बाद गठित एक कमेटी का जिक्र किया, जिसमें चीफ इंजीनियर समेत एक्सपर्ट की टीम ने बाढ़ से निजात पाने के लिए योजना तैयार की थी. उन्होंने अफ़सोस जताते हुए कहा कि "उनकी रिपोर्ट आज भी फाइलों के बीच धूल फांक रही है."
ऐतिहासिक बाढ़ और वर्तमान स्थिति
रीवा में इससे पहले 1997 में भयंकर बाढ़ आई थी, जिसने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी. इसके बाद 2003 और 2016 में भी भीषण जल सैलाब आया था, जिसमें कई गांव बर्बाद हो गए थे. अब एक बार फिर वैसे ही हालात निर्मित हुए हैं.
मौके का निरीक्षण करने पहुंचे तहसीलदार शिवशंकर शुक्ला ने बताया कि प्रशासन स्तर पर पहले से तैयारियां की गई थीं, लेकिन लगातार 20 घंटे की बारिश से बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो गए. रेस्क्यू टीमें लगातार बचाव कार्य कर रही हैं और फार्म हाउस से भी पानी निकासी की व्यवस्था की जा रही है.
मध्य प्रदेश में 17 जुलाई तक ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, और आज 41 जिलों में भारी बारिश की आशंका है, जिससे मंडला में पहले ही 7 लोगों की मौत हो चुकी है. यह स्थिति दर्शाती है कि राज्य को अभी भी बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी और ठोस योजनाओं की आवश्यकता है.