Rewa News : प्रमोटी शिक्षक हाई स्कूल के छात्रों को पढ़ने में असमर्थ : प्राचार्य के लिए भी बन गए सरदर्द
रीवा। युक्तियुक्तकरण के चलते शिक्षकों का प्रमोशन तो हो गया, लेकिन पठन-पाठन व्यवस्था और बिगड़ गई है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाने वाले तमाम शिक्षकों को हाई स्कूल की कक्षाएं लेने में पसीना छूट रहा है। उन्हें इन कक्षाओं में पढ़ाने का अनुभव न होने से पठन-पाठन प्रभावित है। इससे प्राचार्य भी परेशान है। उन्हें चिंता है कि ऐसी स्थिति में परीक्षा का परिणाम क्या होगा?
दो दिन पहले शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-1 में प्राचार्यों की एक समीक्षा बैठक बुलाई गई। थी। इसमें अधिकारियों के सामने प्राचार्यों ने अपनी पीड़ा व्यक्ति की। प्राचार्यों ने बताया कि प्रमोशन के बाद जो शिक्षक आए है, वे पढ़ा नहीं पा रहे हैं। ऐसे में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जो स्थिति है, उससे परीक्षा परिणाम बिगड़ेगा। गौरतलब है कि युक्तियुक्तकरण के तहत शिक्षकों के प्रमोशन किए गए। प्राथमिक शिक्षक, सहायक शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षकों का प्रभार दिया गया। माध्यमिक शिक्षकों को उच्च माध्यमिक शिक्षक बनाया गया। अब यही प्रमोशन प्राचार्यों के लिए सिरदर्द बन गया है। प्रमोशन लेकर शिक्षक उच्च पदों के प्रभार पर नवीन स्कूलों में पहुंच तो गए लेकिन उनसे पढ़ाते नहीं बन पा रहा है। कक्षाओं में क्लास नहीं ले पा रहे हैं। वे पढ़ाने से बचते फिर रहे हैं।
स्कूल दूर हैं, इसलिए जाने से कर रहे परहेज
पदोन्नति की काउंसलिंग के दौरान शहर से दूर स्कूल मिलने पर भी कई शिक्षकों का मन नहीं लग रहा है। ऐसे में उन्होंने नाम के लिए ही आमद दी है। वे स्कूल नहीं जा रहे है। इससे भी पढ़ाई प्रभावित है। वे जुगाड़ लगा रहे हैं कि नजदीकी स्कूल में किसी तरह आ जाएं।
बोर्ड परीक्षाओं के लिए ढाई माह
बोर्ड परीक्षा के लिए अब ज्यादा समय नहीं बचा है। फरवरी माह में ही परीक्षाएं आयोजित होगी। इस तरह अब ढाई माह का ही समय रह गया है। पढ़ाई के लिए कम समय बचने से प्राचार्य सबसे ज्यादा परेशान है। यदि परिणाम खराब हुआ तो गाज उन पर ही गिरती है। प्राचार्यों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर ऐसी स्थिति में क्या करें।
और इनकी अपनी समस्या
जिले में कई ऐसे भी शिक्षक है, जिन्हें उच्च पद के प्रभार को लेकर आदेश का इंतजार है। ऐसे में वे भी पढ़ाने पर ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं। उच्च पद प्रभार के लिए काउंसिलिंग हो गई, लेकिन आदेश कब जारी होगा, यह पता नहीं। आदेश के इंतजार में शिक्षक दिन गिन रहे हैं। जिसका असर शैक्षणिक व्यवस्था में पड़ रहा है। इससे छात्र भी परेशान हैं। पढ़ाई न होने से उनका टेंशन भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है।