Rewa News : "सिस्टम सो रहा था, कैमरा चल रहा था: रीवा में महिला पुलिस का वीडियो विवाद, कार्रवाई नदारद"

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। रीवा में ड्यूटी के दौरान महिला पुलिस कर्मियों द्वारा बनाए गए एक वीडियो ने सोशल मीडिया पर तीव्र चर्चा का कारण बना। इस वीडियो में पुलिस कर्मियों के व्यवहार से संबंधित कुछ दृश्यों को कैद किया गया था, जिसके चलते विवाद का माहौल उत्पन्न हुआ। विवाद और प्रतिक्रियाओं को देखते हुए संबंधित इंस्टाग्राम अकाउंट को हटाने का फैसला तुरंत किया गया।

घटना का विवरण
रीवा के पुलिस बल में कार्यरत महिला कर्मियों ने अपने ड्यूटी के दौरान एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उनके संवाद, हाव-भाव या कार्यशैली के ऐसे पहलुओं को दर्शाया गया जो समाज और अंदरूनी अधिकारियों की नजरों में अनपेक्षित थे। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही जनता में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। शिकायतें और आलोचनाओं की बढ़ती लहर को देखते हुए, उच्च अधिकारी जल्दबाज़ी में कदम उठाते हुए संबंधित इंस्टाग्राम अकाउंट को डिलीट कर दिया गया।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया और सवाल
इस घटना पर पुलिस विभाग ने स्पष्ट किया कि ड्यूटी के दौरान प्रोफेशनल मानकों का पालन करना अनिवार्य है। वीडियो में दिखाए गए कुछ दृश्य अगर आंतरिक नियमों और आचार संहिता के विरुद्ध पाए गए, तो दोषियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, प्रशासन ने इस कदम को एक अस्थायी समाधान बताते हुए आगे चलकर पूरी जांच का आश्वासन भी दिया है।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
वीडियो हटाए जाने के बाद भी सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर चर्चा जारी है। कुछ नागरिकों ने इसे पुलिस से छूट का प्रमाण बताया, तो वहीं कई ने आरोप लगाया कि यह कदम पारदर्शिता के प्रति अनिच्छा को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पुलिस कर्मियों के कार्य-प्रदर्शन को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश और जवाबदेही व्यवस्था होना अति आवश्यक है।

आगे की कार्रवाई

  • पुलिस विभाग द्वारा इस घटना की निरपेक्ष जांच शुरू कर दी गई है।
  • जिम्मेदार कर्मियों के खिलाफ आंतरिक शिकायत निवारण प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी।
  • भविष्य में ऐसे वीडियो रिकॉर्डिंग और सोशल मीडिया पर अनावश्यक पोस्टिंग से निपटने के लिए नई गाइडलाइंस तैयार करने का निर्देश भी दिए गए हैं।

निष्कर्ष:
रीवा की इस घटना ने न केवल पुलिस व्यवस्था में जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि डिजिटल युग में सरकारी एजेंसियों की छवि पर भी गंभीर प्रश्न चिह्न लगा दिए हैं। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वे जल्द से जल्द इस मामले की जांच करें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएँ न हो।

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