Rewa News : 'कोरेक्स सिटी' का दाग गहराया! पुलिस-राजनेताओं की मिलीभगत या निकम्मापन? कबाड़ी मोहल्ला फिर बना नशे का गढ़!

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो)  रीवा। रीवा को 'कोरेक्स सिटी' का दाग देने वाले नशे के काले कारोबार पर पुलिस और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी या निष्क्रियता लगातार सवालों के घेरे में है। एक बार फिर, अगड़ाल गांव से सामने आए एक वायरल वीडियो ने सिस्टम की पोल खोल दी है, जिसमें एक किराना दुकान में खुलेआम प्रतिबंधित नशीली सिरप कोरेक्स बेची जा रही है। वीडियो में सिरप बेचने वाला व्यक्ति दिलीप प्रताप मिश्रा बताया जा रहा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ऐसे 'दिलीप प्रताप मिश्रा' पनप क्यों रहे हैं?

कबाड़ी मोहल्ला: नशे का अभेद्य किला?
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब रीवा आईजी गौरव राजपूत के निर्देश पर पुलिस 'ऑपरेशन प्रहार' चला रही है। लेकिन हकीकत यह है कि यह 'प्रहार' सिर्फ कागजों तक सीमित लग रहा है। शहर के कुख्यात कबाड़ी मोहल्ले सहित कई इलाकों में कोरेक्स की अवैध बिक्री धड़ल्ले से जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रोज नए-नए वीडियो सामने आते हैं, जो अलग-अलग जगहों से नशे के इस कारोबार को उजागर करते हैं, फिर भी कबाड़ी मोहल्ला आज तक कोरेक्स मुक्त क्यों नहीं हो पाया? क्या यह इलाका पुलिस के लिए अभेद्य किला बन गया है, या फिर इसके पीछे कोई गहरी साठगांठ है?

राजेंद्र शुक्ला और रीवा के विधायक: आखिर कब तक आंखें मूंदे रहेंगे?
रीवा में कोरेक्स की बिक्री लंबे समय से एक बड़ी चुनौती रही है, जिसने युवा पीढ़ी के भविष्य को लील लिया है। कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा ने रीवा को 'कोरेक्स सिटी' कहा, सांसद जनार्दन मिश्रा और उपमुख्यमंत्री ने भी सार्वजनिक मंचों से इस समस्या का जिक्र किया और कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए। लेकिन इन बयानों और निर्देशों का जमीन पर कितना असर हुआ, यह वायरल वीडियो और खुलेआम बिकती कोरेक्स की बोतलें बता रही हैं।

सवाल सीधा है: क्या रीवा के सभी विधायक, जिनमें दिग्गज नेता राजेंद्र शुक्ला भी शामिल हैं, इस गंभीर समस्या पर सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित रहेंगे? जब शहर का युवा नशे की गिरफ्त में डूब रहा है, तब उनकी चुप्पी या अप्रभावी कार्रवाई समझ से परे है। जनता जानना चाहती है कि आखिर क्यों इस अवैध कारोबार पर पूर्ण विराम नहीं लग पा रहा है? क्या यह प्रशासनिक विफलता है, या फिर इसमें कहीं न कहीं राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और पुलिस-राजनेताओं की 'अंदरूनी समझ' भी शामिल है?

पुलिस की ढुलमुल नीति और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी: कौन है जिम्मेदार?
स्थानीय लोगों का आक्रोश चरम पर है। वे साफ कहते हैं कि ऐसे लगातार सामने आ रहे वीडियो यह दर्शाते हैं कि जिले में मेडिकल नशीले पदार्थों की बिक्री अभी भी जारी है और पुलिस केवल खानापूर्ति कर रही है। 'ऑपरेशन प्रहार' जैसे अभियान महज दिखावा बनकर रह गए हैं। यह आवश्यक है कि पुलिस प्रशासन अपनी ढुलमुल नीति छोड़े और सभी जनप्रतिनिधि, विशेषकर राजेंद्र शुक्ला, अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल इस जहर को खत्म करने में करें, न कि सिर्फ बयान देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ें। रीवा की जनता अब सिर्फ घोषणाएं नहीं, ठोस कार्रवाई चाहती है!

(नोट: यह खबर वायरल वीडियो और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। रीवा न्यूज़ मीडिया इस वायरल वीडियो की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है, लेकिन इसमें उठाये गए सवाल और चिंताएं वास्तविक हैं।)

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