Rewa News : वायरल हुआ रीवा का ये किस्सा: फर्जी मार्कशीट से 'बचना' चाहा, लेकिन कुख्यात अपराधी लकी साकेत को मिली 7 साल की सजा!

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के बोदाबाग निवासी प्रशांत देवांगन उर्फ लकी साकेत, जो एक कुख्यात अपराधी के रूप में जाना जाता है, को आखिरकार उसके धोखे की भारी कीमत चुकानी पड़ी है. मारपीट के एक मामले में कक्षा 10वीं की फर्जी मार्कशीट का इस्तेमाल कर खुद को नाबालिग साबित करते हुए ज़िला एवं सत्र न्यायालय रीवा से जमानत लेने वाले लकी साकेत को अब 7 वर्ष के सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई गई है. यह फैसला 14वें अपर सत्र न्यायाधीश श्री संतोष कुमार तिवारी ने सुनाया है.

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क्या था पूरा जालसाजी का खेल?

शासकीय अधिवक्ता डी.एन. मिश्रा ने इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि लकी साकेत पर 14 मार्च 2014 को सुनील सिंह (पिता राम सिंह, निवासी सिंगल नर्सिंग होम के बगल, बारा) के साथ मारपीट का आरोप था. लकी अपने साथियों के साथ सुनील सिंह के घर में घुस गया था और उनकी माँ-बहन को अश्लील गालियाँ देते हुए मारपीट की थी.

इस घटना के बाद, लकी साकेत के खिलाफ अपराध क्रमांक 145/14 के तहत धारा 294, 452, 506बी, 34 IPC के तहत मामला दर्ज किया गया. पुलिस द्वारा मामला दर्ज होते ही, लकी मौके से फरार हो गया और गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत लेने का प्रयास किया.

यहां से शुरू हुआ फर्जीवाड़े का खेल: लकी ने अग्रिम जमानत के लिए वर्ष 2013 की कक्षा 10वीं की एक जाली मार्कशीट (रोल नंबर 13323881) अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय में प्रस्तुत की. इस फर्जी मार्कशीट पर उसने अपनी जन्मतिथि बदलकर खुद को नाबालिग दर्शाया था, ताकि नाबालिग होने का फायदा उठाकर आसानी से जमानत मिल सके.

ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

न्यायालय ने लकी साकेत को अग्रिम जमानत तो दे दी (बेल नंबर 467/14), लेकिन अभियोजन पक्ष के आग्रह पर इस मार्कशीट की सत्यता की जांच के निर्देश दिए. अभियोजन ने न्यायालय को बताया कि प्रशांत देवांगन लगातार शहर में घूमकर अपने साथियों के साथ अपराध करता रहा है और उसका व्यापक आपराधिक रिकॉर्ड है. यह भी बताया गया कि उसके पूर्व के मुकदमों में वह बालिग था, लेकिन इस मामले में खुद को नाबालिग घोषित कर रहा है.

न्यायालय के आदेश पर, थाना विश्वविद्यालय में पदस्थ निरीक्षक आदित्य सिंह ने मार्कशीट की जांच शुरू की. जांच में यह पाया गया कि आरोपी लकी साकेत ने कभी कक्षा 10वीं की परीक्षा दी ही नहीं थी. उसने धोखाधड़ी से यह फर्जी अंकसूची बनवाई थी ताकि अग्रिम जमानत का लाभ मिल सके.

सख्त धाराओं में सज़ा

फर्जी मार्कशीट के खुलासे के बाद, पुलिस ने माननीय न्यायालय के आदेश के पालन में लकी साकेत के खिलाफ थाना विश्वविद्यालय में IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), और 471 (जाली दस्तावेज़ का असली के रूप में उपयोग) का एक और मामला दर्ज किया.

इस मामले की पैरवी शासकीय अधिवक्ता डी.एन. मिश्रा ने की. उन्होंने न्यायालय में कुल 11 गवाहों के बयान दर्ज कराए. सभी साक्ष्यों और दस्तावेजों के आधार पर, 14वें अपर सत्र न्यायाधीश श्री संतोष कुमार तिवारी ने आरोपी प्रशांत देवांगन उर्फ लकी साकेत को दोषी पाया और उसे निम्नलिखित सज़ाएं सुनाईं:

  • धारा 420: 5 वर्ष का कारावास और ₹1,000 जुर्माना
  • धारा 467: 7 वर्ष का कारावास और ₹2,000 जुर्माना
  • धारा 468: 5 वर्ष का कारावास और ₹1,000 जुर्माना
  • धारा 471: 7 वर्ष का कारावास और ₹2,000 जुर्माना

अदालत के इस फैसले ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि न्यायपालिका को धोखा देने की कोशिश करने वाले अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा और ऐसे कृत्यों के लिए उन्हें कठोरतम सज़ा भुगतनी पड़ेगी

6 मामलों में हुआ था पेश
आरोपी के पास से 32 बोर की पिस्टल, दो जिंदा कारतूस, जिला बदर कार्रवाई का उल्लंघन, चोरी की बाइक क्रमांक एमपी 17 एमएच 6761 पल्सर आरोपी के पास से जप्त, फर्जी मार्कसीट के जरिए पुलिस को दे रहा था चकमा सहित 6 मामले लकी के खिलाफ पुलिस ने दर्ज किये थे।

सख्त कानूनी कार्रवाई और सज़ा
इस खुलासे के बाद, लकी साकेत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत एक नया मामला दर्ज किया गया, जिसमें धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), और 471 (जाली दस्तावेज़ का उपयोग करना) शामिल थीं.

ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार तिवारी की अदालत ने सभी सबूतों और 11 गवाहों के बयानों की समीक्षा के बाद लकी साकेत को दोषी करार दिया. उसे निम्नलिखित धाराओं के तहत सज़ा सुनाई गई:

धारा 420: 5 साल का कारावास और ₹1,000 जुर्माना.
धारा 467: 7 साल का कारावास और ₹2,000 जुर्माना.
धारा 468: 5 साल का कारावास और ₹1,000 जुर्माना.
धारा 471: 7 साल का कारावास और ₹2,000 जुर्माना.

पब्लिक प्रॉसिक्यूटर डी.एन. मिश्रा ने बताया कि लकी साकेत अपने साथियों के साथ शहर में घूमकर लगातार अपराध करता रहा है. अदालत का यह फैसला अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश है कि कानून के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. अदालत के इस फैसले ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि न्यायपालिका को धोखा देने की कोशिश करने वाले अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा और ऐसे कृत्यों के लिए उन्हें कठोरतम सज़ा भुगतनी पड़ेगी.

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