रीवा में OBC नेता का 'फिल्मी ड्रामा': गर्लफ्रेंड के साथ पकड़े गए, फिर पत्नी ने ही पलटा बयान, क्या है 'राजनीतिक साजिश'?

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा में उस दिन का घटनाक्रम, जब ओबीसी महासभा के प्रदेश महासचिव पप्पू कनौजिया को उनकी पत्नी ने एक फ्लैट में एक महिला के साथ रंगे हाथों पकड़ा, पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गया है। इस घटना ने कनौजिया के सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। हालांकि, इस घटना के दो दिन बाद कनौजिया का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने इसे अपनी छवि को धूमिल करने का एक राजनीतिक षड्यंत्र बताया है। यह घटना जिस तरह से सामने आई, और उसके बाद जिस तरह से बयानों में बदलाव आया है, वह कई सवाल खड़े करता है। कनौजिया ने अपनी सफाई में खुद को गरीबों और शोषितों का मसीहा बताया है और आरोप लगाया है कि उनकी राजनीतिक हत्या करने की कोशिश की जा रही है।

पूरा घटनाक्रम: कैसे हुआ यह विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब पप्पू कनौजिया की पत्नी को उनके पति के बारे में कुछ शक हुआ। सूत्रों के अनुसार, पत्नी को कनौजिया के किसी दूसरी महिला के साथ संबंध होने का संदेह था। इसी शक के चलते, वह शनिवार की शाम एक फ्लैट पर पहुंची, जहाँ उन्होंने अपने पति को एक महिला के साथ पकड़ा। यह देखते ही पत्नी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने हंगामा करना शुरू कर दिया और महिला के साथ मारपीट की, जिसमें वह बुरी तरह से घायल हो गई और उसके चेहरे से खून बहने लगा। इस पूरे हाई-वोल्टेज ड्रामे के बीच, पप्पू कनौजिया कथित तौर पर फ्लैट की बालकनी से ड्रेनेज पाइप के सहारे नीचे उतरकर फरार हो गए। उनकी प्रेमिका वहीं फंसी रह गई, जिसे बाद में पुलिस ने बचाया।

कनौजिया का पलटवार: क्या यह राजनीतिक षड्यंत्र है?
अपने वीडियो बयान में, पप्पू कनौजिया ने कहा कि उनके खिलाफ यह पूरी घटना एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके विरोधियों ने उनकी छवि को खराब करने के लिए उनकी पत्नी को गुमराह किया और उकसाया। उन्होंने यह भी कहा कि जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उसे तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और उसमें सच्चाई नहीं है। कनौजिया ने खुद को गरीबों, अल्पसंख्यकों और शोषितों का प्रतिनिधि बताया और कहा कि वह हमेशा उनके हक के लिए लड़ते रहे हैं। उनके अनुसार, यही कारण है कि कुछ प्रभावशाली लोग उनकी प्रगति से खुश नहीं हैं और उन्हें राजनीति से हटाने की कोशिश कर रहे हैं। कनौजिया ने इस घटना को अपनी राजनीतिक हत्या करार दिया है।

पत्नी का बदलता बयान: क्या है सच?
इस मामले में सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब पप्पू कनौजिया की पत्नी ने सोशल मीडिया पर एक और वीडियो जारी किया। इस वीडियो में, उन्होंने अपने पहले के बयान से पलटते हुए कहा कि उनके पति का चरित्र साफ है और उन्हें गलतफहमी हो गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें किसी ने उकसाया था। यह बयान तब आया जब घटना के ठीक अगले दिन पत्नी ने एक वीडियो जारी कर अपने पति से अपनी और अपने बच्चों की जान को खतरा बताया था। दो दिनों के भीतर पत्नी के बयान में आया यह बदलाव कई सवाल खड़े करता है। क्या उन पर किसी तरह का दबाव था? या फिर यह मामला अब सुलझ गया है? यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।

पुलिस की भूमिका और आगे की कार्रवाई: क्या कहती है पुलिस?
घटना की जानकारी मिलते ही बिछिया थाना पुलिस मौके पर पहुंची थी। थाना प्रभारी मनीषा उपाध्याय ने बताया कि पति पर चरित्र शंका को लेकर पत्नी ने हंगामा किया था। पुलिस ने दोनों पक्षों को शांत रहने और सार्वजनिक स्थान पर हंगामा न करने की सलाह दी थी। इस दौरान मारपीट में घायल महिला को अस्पताल भी पहुंचाया गया था। हालांकि, पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है, क्योंकि पत्नी की तरफ से कोई शिकायत नहीं की गई है। पुलिस ने सिर्फ एक एनसीआर (Non-Cognizable Report) दर्ज की है। इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि मारपीट और सार्वजनिक स्थान पर हंगामे जैसी घटना के बावजूद, कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

गरीबों की लड़ाई या राजनीतिक स्टंट: कनौजिया का दोहरा चरित्र?
पप्पू कनौजिया ने खुद को हमेशा गरीबों और शोषितों का मसीहा बताया है, लेकिन उनकी यह व्यक्तिगत घटना उनके सार्वजनिक चरित्र पर एक दाग लगा रही है। एक तरफ वह खुद को समाज के लिए लड़ने वाला नेता बताते हैं, और दूसरी तरफ, उनकी व्यक्तिगत जीवनशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। क्या कोई नेता जो अपने परिवार के प्रति ईमानदार नहीं है, वह समाज के प्रति ईमानदार हो सकता है? यह सवाल आम जनता के मन में उठ रहा है। कनौजिया ने इस घटना को राजनीतिक साजिश बताया है, लेकिन जिस तरह से वह घटनास्थल से भागे, और जिस तरह से उनकी पत्नी ने पहले और बाद में अलग-अलग बयान दिए, यह सब कनौजिया के दावों पर संदेह पैदा करता है। इस घटना ने उनकी राजनीतिक साख को काफी नुकसान पहुंचाया है और यह देखना बाकी है कि वह इस छवि से कैसे बाहर निकल पाते हैं।

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