रीवा में पप्पू कनौजिया कांड ने खोली कई परतें: PM आवास में चल रहा था अवैध 'गोरखधंधा', 53 मकानों पर हुई कार्रवाई

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर में गरीबों और बेघर लोगों को छत मुहैया कराने के लिए बनाई गई महत्वाकांक्षी पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। नगर निगम द्वारा किए गए एक सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि गोल क्वाटर्स में आवंटित किए गए कई मकानों को लाभार्थियों ने खुद रहने के बजाय किराए पर दे दिया है। यह न केवल सरकारी नियमों का उल्लंघन है, बल्कि उन असली जरूरतमंदों के साथ भी अन्याय है जिन्हें इस योजना का लाभ मिलना चाहिए था।
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एक घरेलू विवाद के बाद पार्षदों ने कमिश्नर से सभी पीएम आवासों की जांच की मांग की। नगर निगम आयुक्त डॉ. सौरभ सोनवणे ने इस मांग को गंभीरता से लेते हुए तत्काल एक टीम का गठन किया और सर्वे शुरू करवाया। इस सर्वे में जो तथ्य सामने आए हैं, वे न केवल हैरान करने वाले हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी सवालिया निशान खड़े करते हैं।
पीएम आवास को किराए पर देने के क्या नियम हैं?
पीएम आवास योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न-आय वर्ग के परिवारों को सस्ती दरों पर आवास उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत आवंटित मकानों को किसी भी सूरत में किराए पर नहीं दिया जा सकता। यह आवंटन नियमों के विरुद्ध है और इसे एक गंभीर अपराध माना जाता है। ऐसे मामलों में प्रशासन को मकान खाली कराने और संबंधित लाभार्थी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार होता है।
इस तरह का दुरुपयोग सरकारी खजाने को भी नुकसान पहुंचाता है क्योंकि सरकार सब्सिडी के रूप में भारी राशि खर्च करती है ताकि गरीबों को घर मिल सके। जब ये घर किराए पर दिए जाते हैं, तो इसका फायदा उन लोगों को नहीं मिलता जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, बल्कि कुछ चालाक लोगों को मिलता है जो नियमों को ताक पर रखकर पैसा कमाते हैं।
सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे: 136 में से 53 मकान किराए पर
नगर निगम की टीम ने 8 अगस्त को गोल क्वाटर्स के कुछ ब्लॉकों (जी1, जी2, जी3, जी13, जी14, जी15, और जी16) में कुल 136 पीएम आवासों का सर्वे किया। इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि आवंटित मकानों में लाभार्थी स्वयं रह रहे हैं या नहीं।
सर्वे में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे सरकारी योजना के दुरुपयोग की भयावह तस्वीर पेश करते हैं:
- 63 लाभार्थी ही अपने आवंटित मकानों में स्वयं निवास करते पाए गए।
- 10 मकानों पर ताला लगा हुआ था।
- सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि 53 मकानों को लाभार्थियों ने किराए पर दे दिया था।
इनमें से कई किराएदारों ने बताया कि वे स्वयं के मकान में निवास कर रहे हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि मकान के असली मालिक इस नियम-विरुद्ध काम में शामिल हैं। जिन लोगों ने मकानों को किराए पर दिया है, उनमें उमाशंकर द्विवेदी, दीपक शुक्ला, दिव्या भुजवा, आशा खटिक, सीता खटिक, धनेन्द्र सेन, मुन्नी बाई और दिनेश विश्वकर्मा जैसे नाम सामने आए हैं।
पीएम आवासों को किराए पर देने का यह गोरखधंधा कैसे चल रहा था?
यह गोरखधंधा लंबे समय से चल रहा था और प्रशासन की नजरों से छिपा हुआ था। अक्सर, इस तरह के मामले तब सामने आते हैं जब कोई बड़ा विवाद या घटना होती है। बिछिया आवास में हुई घरेलू हिंसा के बाद जब पार्षदों ने जांच की मांग की, तब जाकर इस मामले की परतें खुलनी शुरू हुईं।
ऐसा माना जाता है कि कई लाभार्थियों ने सस्ते दरों पर मकान आवंटित करा लिए, लेकिन खुद वहां रहने के बजाय उन्हें किराए पर देकर मोटी कमाई शुरू कर दी। चूंकि ये मकान गरीबों के लिए होते हैं, इसलिए अक्सर प्रशासन उन पर इतनी कड़ी निगरानी नहीं रखता, जिसका फायदा उठाकर लोग नियमों का उल्लंघन करते हैं।
कमिश्नर का सख्त रुख: खाली कराए जाएंगे 53 मकान
नगर निगम आयुक्त डॉ. सौरभ सोनवणे ने इस गंभीर अनियमितता पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने तत्काल इन सभी 53 मकानों को खाली कराने के निर्देश जारी किए हैं। उनका मानना है कि इस तरह की लापरवाही और नियमों का उल्लंघन बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आयुक्त ने स्पष्ट कहा है कि इन 53 मामलों में शासन के नियमों के अनुसार विधिवत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सर्वे टीम में सहायक यंत्री राजेश कुमार चतुर्वेदी, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट टीम से वरुण मिश्रा, उडऩदस्ता दल से सूर्यकुमार तिवारी, जे.पी. विश्वकर्मा, भैयालाल यादव, रवी यादव सहित अन्य कर्मचारी शामिल थे। यह टीम अब आगे की कार्रवाई करेगी और सुनिश्चित करेगी कि अवैध रूप से किराए पर दिए गए सभी मकान खाली कराए जाएं।
इस कार्रवाई से एक सख्त संदेश जाएगा कि सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह उन सभी लोगों के लिए एक सबक होगा जो सोचते हैं कि वे नियमों को तोड़कर सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
FAQ
Q1: पीएम आवास योजना का उद्देश्य क्या है?
A: पीएम आवास योजना का उद्देश्य गरीबों और बेघर लोगों को सस्ते दरों पर पक्के मकान उपलब्ध कराना है ताकि उन्हें रहने के लिए एक सुरक्षित छत मिल सके।
Q2: रीवा में कितने पीएम आवासों को किराए पर दिया गया?
A: नगर निगम द्वारा किए गए सर्वे में 136 मकानों की जांच की गई, जिसमें से 53 मकानों को लाभार्थियों ने किराए पर दिया हुआ पाया।
Q3: क्या पीएम आवास को किराए पर देना कानूनी है?
A: नहीं, पीएम आवास को किराए पर देना कानूनी नहीं है। यह योजना के नियमों का सीधा उल्लंघन है, और ऐसा करने पर मकान खाली कराए जा सकते हैं और कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
Q4: रीवा प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई कर रहा है?
A: नगर निगम आयुक्त डॉ. सौरभ सोनवणे ने सभी 53 अवैध रूप से किराए पर दिए गए आवासों को तत्काल खाली कराने का निर्देश दिया है और नियमों के अनुसार कार्रवाई करने की बात कही है।
Q5: इस घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
A: एक घरेलू विवाद के बाद पार्षदों ने कमिश्नर से सभी पीएम आवासों की जांच करने की मांग की थी, जिसके बाद यह सर्वे कराया गया और खुलासा हुआ।