REWA : विंध्यवासियों को जनसंपर्क मंत्री ने दी एक और सौगात : संस्कृत विश्वविद्यालय का भूमिपूजन कर,तीन पीढियां का सपना किया पूरा

 
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REWA NEWS : श्री रामानुज संस्कृत विश्वविद्यालय का भूमिपूजन रीवा में हो गया है। यहां लक्ष्मणबाग मंदिर परिसर में जनसंपर्क एवं पीएचई मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने आधार शिला रखी है। आयोजन में सांसद जनार्दन मिश्र और पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह उपस्थित रहे। समारोह में सिरमौर के पत्रकार इंजीनियर राजेंद्र पाण्डेय द्वारा लिखित पुस्तक मां भारती के सपूत विंध्य के लाल का विमोचन मंत्री शुक्ल अरैी सांसद ने किया।

विश्व की ज्ञान की सर्वश्रेष्ठ किताबें संस्कृत में ही है
शुक्ल ने कहा कि संस्कृत भाषा दुनिया की अनेक भाषाओं की जननी है। विश्व में ज्ञान की सर्वश्रेष्ठ किताबें संस्कृत में ही है। वेद पुराण उपनिषद का अप्रतिम ज्ञान संस्कृत भाषा के माध्यम से मिलता है। संस्कृत हमें ज्ञान के साथ-साथ जीवन के सच्चे संस्कार देती है। कोई व्यक्ति किसी भी भाषा का हो, कितनी भी उन्नति कर जाए। जीवन के जन्म से लेकर मरण तक के संस्कार संस्कृत के मंत्रों से पूरे होते हैं।

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तीन पीढियां का सपना पूरा
आज विंध्यवासियों का तीन पीढियां का सपना पूरा हो रहा है। यहां संस्कृत विद्वानों की कमी नहीं है। पूरे विंध्य में संस्कृत के विद्यालय और महाविद्यालय हैं। स्वामी ऋषि कुमार, पंडित रामसागर शास्त्री, कुशल प्रसाद शास्त्री, भगवानदत्त शास्त्री और अन्य संस्कृत विद्वानों ने बरसों विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्रयास किया। आज उन सब का आशीर्वाद और भगवान की कृपा से यह कार्य पूरा हो रहा है।

मुख्यमंत्री का योगदान
मुख्यमंत्री ने संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना में बहुत बड़ा योगदान दिया है। लगातार प्रयास करने के बाद सौगात मिली है। विश्वविद्यालय सनातन धर्म के विकास का केंद्र बनेगा। आज सनातन धर्म को कई ओर से चुनौती मिल रही है। इसे देश विरोधी तत्वों द्वारा मिटाने का प्रयास हो रहा है। ऐसे में संस्कृत भाषा ही है जो सनातन धर्म को आगे बढ़ाने और हमेशा हमेशा के लिए कायम रखने का प्रयास करेगी।

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संस्कृत का अध्ययन गौरव का विषय: सांसद
सांसद जनार्दन मिश्रा ने कहा कि संस्कृत भाषा का विद्वान सदैव विनम्र और आध्यात्मिक होता है। हमारे देश में कभी संस्कृत का अध्ययन गौरव का विषय होता था। हमारे देश के पराभव का प्रमुख कारण यही है कि हमने संस्कृत भाषा को संरक्षित करने पर ध्यान नहीं दिया। संस्कृत उपेक्षित हुई तो देश का भी पराभव हुआ। दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान संस्कृत के ग्रंथों में है। हमें अपना नाता जोड़ना होगा।

यह विश्वविद्यालय मूर्त रूप लेगा
संस्कृत विद्वान डॉ. अंजनी प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि विश्वविद्यालय बनने के साथ यहां विद्यार्थियों की आवश्यकता होगी। हर गांव, हर घर संस्कृत अध्ययन के लिए अपने प्रतिभाशाली संतानों को हमें दे। जब यह विश्वविद्यालय मूर्त रूप ले तो इसमें सनातन परंपरा के अनुसार वेद, व्याकरण, ज्योतिष और कर्मकांड का अध्ययन कराया जाए। इसमे अध्यापन वैदिक परंपरा के अनुसार किया जाए।

विद्वानों को बहुत बड़ा उपहार दिया: अवस्थी
विदुषी डॉ. ज्ञानवती अवस्थी ने कहा कि मंत्री ने रीवा का कलेवर बदल दिया है। संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करके पूरे क्षेत्र के विद्वानों को बहुत बड़ा उपहार दिया है। संस्कृत विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा है। हमने स्वयं संस्कृत की उपेक्षा की, लेकिन जब विदेशी विद्वानों ने यहां के वेदों का अध्ययन कर उनकी प्रामाणिकता सिद्ध की तब। हमारे पास संस्कृत में कितना बड़ा ज्ञान कोष है।

6 कर्मचारियों की अनुकंपा नियुक्ति के आदेश
समारोह में बलभद्र प्रसाद शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त किया। संचालन करते हुए जयराम शुक्ल ने विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर संस्कृत के विकास की गाथा के विभिन्न आयामों से परिचय कराया। समारोह में कलेक्ट्रेट कार्यालय के छह कर्मचारियों को मंत्री शुक्ल ने अनुकंपा नियुक्ति के आदेश प्रदान किया।

ये विद्वान उपस्थित हुए
समारोह में बलराम शास्त्री, जयंत खन्ना, केशव प्रसाद पाण्डेय, शिवम चतुर्वेदी, डॉ. सत्यजीत पाण्डेय, डॉ. प्रभाकर चतुर्वेदी, शेषमणि पटेल, संस्कृत महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. कल्पना तिवारी, दीनानाथ शास्त्री, धर्मेन्द्र पाण्डेय एवं बड़ी संख्या में विद्वान आचार्य एवं संतगण और संस्कृत के विद्वान एवं संम्रान्तजन उपस्थित रहे।

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