चलती कार से कूदने वाली उस बेटी की जीत: राजनिवास का कमरा नंबर 4 और वो 'हैवान' महंत, रीवा कोर्ट का ऐतिहासिक न्याय, 5 दरिंदों को आखिरी सांस तक कालकोठरी की सजा!

 
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रीवा राजनिवास गैंगरेप केस में बड़ा फैसला। महंत सीताराम सहित 5 को आखिरी सांस तक उम्रकैद की सजा और 1 लाख जुर्माना। पूरी रिपोर्ट यहाँ पढ़ें।

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा जिले को हिलाकर रख देने वाले राजनिवास (सर्किट हाउस) गैंगरेप कांड में न्याय की जीत हुई है। धर्म और रसूख की आड़ में छिपे दरिंदों को उनके किए की सबसे कड़ी सजा मिली है। रीवा की विशेष अदालत (पॉक्सो एक्ट) ने मुख्य आरोपी महंत सीताराम उर्फ सीताराम दास सहित पांच दोषियों को उनके प्राकृतिक जीवन के अंत (अंतिम सांस तक) तक जेल में रहने की सजा सुनाई है। संजय त्रिपाठी और पप्पू उर्फ़ रवि शंकर शुक्ला के ख़िलाफ़ धारा 120 (B), 376 (D) 212,176,201,202,IPC और पास्को एक्ट की धारा 5,6 और 17 के अंतर्गत आरोप था जिसमे उनको दोषमुक्त घोषित किया गया है उनकी ओर से पैरवी अधिवक्ता राजीव सिंह परिहार (शेरा सिंह) ने की अधिवक्ता का कहना है की माननीय न्यायालय ने संजय त्रिपाठी की प्रतिष्ठा वापस की है.  

न्यायालय का सख्त संदेश: अंतिम सांस तक सलाखों के पीछे
विशेष न्यायाधीश पद्मा जाटव की अदालत ने इस मामले को समाज के लिए कलंक मानते हुए दोषियों पर कोई दया नहीं दिखाई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे कृत्य करने वालों के लिए समाज में कोई जगह नहीं है। सजा के साथ-साथ प्रत्येक दोषी पर 1 लाख रुपये का भारी अर्थदंड भी लगाया गया है। इस फैसले ने यह साबित कर दिया कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और वे अपराधी के 'गेरुए चोले' या राजनीतिक पहुँच से नहीं डरते।

28 मार्च 2022: जब राजनिवास में हुआ था खौफनाक अपराध
यह शर्मनाक घटना 28 मार्च 2022 की है। रीवा के वीआईपी इलाके में स्थित सर्किट हाउस (राजनिवास) के कमरा नंबर 4 में इस वारदात को अंजाम दिया गया था।

  • झांसा और जाल: आरोपी विनोद पांडे ने एक नाबालिग किशोरी को किसी काम के बहाने सर्किट हाउस बुलाया था।
  • नशीली शराब का प्रयोग: पीड़िता के पहुँचते ही उसे जबरन नशीली शराब पिलाई गई, जिससे वह बेसुध हो गई।
  • गैंगरेप: इसके बाद तथाकथित महंत सीताराम और उसके सहयोगियों ने बारी-बारी से पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।

चलती कार से कूदकर बचाई थी जान: पीड़िता का अदम्य साहस
वारदात के बाद आरोपी पीड़िता को कहीं और ले जाने की फिराक में थे। इसी दौरान पीड़िता ने अदम्य साहस का परिचय दिया और चलती कार से छलांग लगा दी। चोटिल होने के बावजूद वह किसी तरह अपनी जान बचाकर भागी और पुलिस तक पहुँची। उसकी इस बहादुरी ने ही पुलिस को अपराधियों के गिरेबान तक पहुँचने का मौका दिया।

दोषियों के नाम और उनकी भूमिका:

  • महंत सीताराम उर्फ सीताराम दास: (मुख्य साजिशकर्ता और बलात्कारी) – घटना का मास्टरमाइंड जिसे अंतिम सांस तक जेल की सजा हुई है।
  • विनोद पांडे: (मुख्य सहयोगी और साजिशकर्ता) – पीड़िता को झांसे से सर्किट हाउस लाने वाला।
  • धीरज मिश्रा: (सह-आरोपी) – सामूहिक दुष्कर्म और घटना में संलिप्तता।
  • अंशुल मिश्रा: (सह-आरोपी) – अपराध में सक्रिय भागीदारी।
  • मोनू पयासी: (सह-आरोपी) – घटना में शामिल अन्य दोषी।

न्यायालय का फैसला (संक्षिप्त में):

  • सजा: इन सभी 5 दोषियों को उनके प्राकृतिक जीवन के अंत यानी "अंतिम सांस तक" आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
  • जुर्माना: कोर्ट ने दोषियों पर 1-1 लाख रुपये का अर्थदंड (जुर्माना) भी लगाया है।
  • बरी हुए: साक्ष्यों की कमी के कारण 4 अन्य आरोपियों (संजय त्रिपाठी, रवि शंकर शुक्ला, जानवी दुबे और तौसीद अंसारी) को दोषमुक्त कर दिया गया है।

साक्ष्यों का अभाव: 4 आरोपी हुए दोषमुक्त
इस मामले में कुल 9 लोगों को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने संजय त्रिपाठी, रवि शंकर शुक्ला, जानवी दुबे और तौसीद अंसारी को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है। अभियोजन पक्ष इन चारों के खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा, जिसके चलते उन्हें संदेह का लाभ मिला।

अभियोजन की जीत: 140 दस्तावेज और डीएनए रिपोर्ट
सरकारी वकील के अनुसार, यह केस काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि मुख्य आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति था। पुलिस और अभियोजन पक्ष ने वैज्ञानिक पद्धति का सहारा लिया:

  • डीएनए (DNA) टेस्ट: पीड़िता के कपड़ों और मौके से मिले नमूनों का मिलान कराया गया, जो मैच हुआ।
  • सीसीटीवी और सीडीआर: सर्किट हाउस के सीसीटीवी फुटेज और आरोपियों की मोबाइल लोकेशन (CDR) ने उनके अपराध स्थल पर होने की पुष्टि की।
  • गवाह: कुल 22 गवाहों ने निर्भीक होकर अदालत में बयान दर्ज कराए, जिससे आरोपियों का झूठ टिक नहीं सका।

सरकारी परिसर में 'अधर्म' का अंत
सर्किट हाउस जैसे सरकारी और सुरक्षित स्थान पर एक तथाकथित धर्मगुरु द्वारा ऐसी घिनौनी वारदात को अंजाम देना रीवा के माथे पर कलंक था। राजनिवास का वह कमरा नंबर 4 लंबे समय तक इस खौफनाक याद का गवाह बना रहा। लेकिन आज के फैसले ने उस अंधकार को न्याय की रोशनी से खत्म कर दिया है।

निष्कर्ष: समाज का कानून पर बढ़ा विश्वास
रीवा के इस फैसले की चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है। लोगों का कहना है कि अगर ऐसी ही त्वरित और सख्त सजा हर केस में मिले, तो अपराधियों के मन में खौफ पैदा होगा। महंत सीताराम जैसे लोग जो धर्म की आड़ में अपराध का साम्राज्य चलाते हैं, उनके लिए यह निर्णय एक कड़ा सबक है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. रीवा राजनिवास कांड का मुख्य आरोपी कौन था? उत्तर: मुख्य आरोपी महंत सीताराम उर्फ विनोद पांडे था, जिसे अब अंतिम सांस तक जेल की सजा सुनाई गई है।
Q2. यह घटना कब और कहाँ हुई थी? उत्तर: यह घटना 28 मार्च 2022 को रीवा के सर्किट हाउस (राजनिवास) के कमरा नंबर 4 में हुई थी।
Q3. दोषियों पर कितना जुर्माना लगाया गया है? उत्तर: न्यायालय ने दोषियों पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
Q4. क्या इस मामले में कुछ लोग बरी भी हुए हैं? उत्तर: हाँ, कुल 9 आरोपियों में से 4 को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया है।
Q5. सजा सुनाने वाले न्यायाधीश का नाम क्या है? उत्तर: यह ऐतिहासिक फैसला विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) पद्मा जाटव की अदालत द्वारा सुनाया गया है।

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