कमिश्नर साहब, जरा रानी तालाब आइए! रीवा के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पर अवैध वसूली से जनता बेहाल, प्रशासन मौन क्यों? सम्पत्ति कर अधिकारी से लेकर आयुक्त तक, सब पर उठे सवाल!

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले रानी तालाब पर इन दिनों खुलेआम अवैध वसूली का खेल चल रहा है, जिससे आम जनता की जेब पर सीधा डाका डाला जा रहा है। आरोपों के अनुसार, रानी तालाब में प्रवेश और पार्किंग के लिए निर्धारित शुल्क से कहीं अधिक राशि वसूली जा रही है। जहाँ प्रवेश शुल्क मात्र ₹2 निर्धारित है, वहीं श्रद्धालुओं और पर्यटकों से ₹10 तक वसूले जा रहे हैं। इसी तरह, वाहन पार्किंग का शुल्क ₹2 निर्धारित है, लेकिन ठेकेदार के कर्मचारी ₹10, ₹20 और यहां तक कि ₹50 तक वसूल रहे हैं। यह सब खुलेआम एक कर्मचारी द्वारा किया जा रहा है, और नगर पालिका निगम के अधिकारियों की कथित उदासीनता या मिलीभगत पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
पूर्व ठेकेदार द्वारा '60-40' के कमीशन का आरोप: नगर निगम की भूमिका पर सवाल
आरोप यह भी है कि यह मनमानी वसूली सिर्फ वर्तमान ठेकेदार द्वारा नहीं की जा रही है, बल्कि पूर्व के ठेकेदार द्वारा भी नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ मिलकर 60-40 के अनुपात में कमीशनखोरी की जा रही है। यानी, वसूली गई राशि का एक बड़ा हिस्सा अधिकारियों की जेब में जा रहा है। यह स्थिति नगर पालिका निगम के शीर्ष अधिकारियों, खासकर नगर निगम आयुक्त की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। आश्चर्यजनक रूप से, ऐसा प्रतीत होता है कि नगर निगम आयुक्त को दूर-दूर तक इसकी खबर नहीं है कि पूर्व ठेकेदार द्वारा अभी भी वसूली की जा रही है, और इसमें संपत्ति कर अधिकारी एवं कई अन्य अधिकारी भी कथित रूप से लिप्त हैं। रानी तालाब में प्रवेश शुल्क कितना है और कितना वसूला जा रहा है? यह सीधे तौर पर जनता से हो रही ठगी का स्पष्ट उदाहरण है।
सीमित कर्मचारी और 'खुली छूट' का फायदा: नगर निगम क्यों नहीं बढ़ा रहा कर्मचारियों को?
यह भी बताया गया है कि इतने बड़े रानी तालाब परिसर में, जहाँ प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं, सिर्फ एक कर्मचारी ही प्रवेश शुल्क और पार्किंग शुल्क वसूलने के लिए बैठा रहता है। नगर पालिका निगम रानी तालाब में कर्मचारियों को क्यों नहीं बढ़ाता है? यह सवाल उठता है कि क्या कम कर्मचारियों की तैनाती जानबूझकर की गई है ताकि अवैध वसूली में आसानी हो और जवाबदेही से बचा जा सके। ठेकेदार इस सीमित व्यवस्था का फायदा उठाकर मनमानी कर रहा है, और रानी तालाब में पार्किंग के लिए कितना पैसा लगता है और कितना ले रहे हैं? इसका कोई निश्चित पैमाना नहीं है, जिससे ग्राहकों को लूटा जा रहा है।
कमिश्नर के भ्रमण से 'दूध का दूध, पानी का पानी' होने का दावा: क्या होगी जांच?
शिकायतकर्ता ने बताया है कि यदि कमिश्नर साहब स्वयं रानी तालाब का भ्रमण करें और वहां की वसूली प्रक्रिया का जायजा लें, तो "दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा"। यह बताता है कि अनियमितताएं इतनी स्पष्ट हैं कि एक साधारण निरीक्षण से ही उनका खुलासा हो सकता है। कमिश्नर साहब रानी तालाब का भ्रमण क्यों करें? यह जरूरी है क्योंकि यह मामला सीधे तौर पर जनता से जुड़े वित्तीय शोषण और सरकारी अधिकारियों की कथित मिलीभगत का है।
भ्रष्टाचार रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?
यह गंभीर आरोप रीवा नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। रानी तालाब में भ्रष्टाचार रोकने के लिए क्या किया जा सकता है? इसके लिए तत्काल प्रभाव से निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
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उच्च स्तरीय जांच: इस पूरे मामले की कमिश्नर स्तर पर या उससे भी ऊपर की किसी एजेंसी से निष्पक्ष और गहन जांच कराई जाए।
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दोषियों पर कड़ी कार्रवाई: जांच में दोषी पाए जाने वाले ठेकेदार, पूर्व ठेकेदार और नगर निगम के कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी और विभागीय कार्रवाई की जाए।
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पारदर्शिता लाना: प्रवेश और पार्किंग शुल्क की दरों को स्पष्ट रूप से दर्शाने वाले बोर्ड लगाए जाएं, और डिजिटल भुगतान के विकल्प उपलब्ध कराए जाएं।
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कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना: वसूली के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों को तैनात किया जाए और उनकी नियमित निगरानी की जाए।
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शिकायत निवारण तंत्र: जनता के लिए शिकायत दर्ज कराने हेतु एक सुलभ और प्रभावी शिकायत काउंटर या हेल्पलाइन नंबर स्थापित किया जाए। क्या रानी तालाब में कोई शिकायत काउंटर है? फिलहाल ऐसा कोई प्रभावी तंत्र मौजूद नहीं दिखता।
जनता की जेब पर डाका: स्थानीय प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
यह स्थिति रीवा के स्थानीय प्रशासन और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। भाजपा की मोहन सरकार भले ही सुशासन के लाख दावे करे, लेकिन रानी तालाब जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल पर हो रही यह खुली लूट इन दावों को खोखला साबित करती है। जनता की जेब में खुलेआम डकैती डाली जा रही है, और ऐसा लगता है कि नियमों को ताक पर रखकर ठेकेदार द्वारा अवैध वसूली कैसे की जा रही है और कौन शामिल है? यह सब आंखों के सामने हो रहा है। पूर्व ठेकेदार और वर्तमान ठेकेदार का क्या संबंध है? इस पर भी जांच होनी चाहिए ताकि पूरे नेक्सस का खुलासा हो सके।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
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रानी तालाब में प्रवेश शुल्क और पार्किंग शुल्क कितना निर्धारित है?
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प्रवेश शुल्क ₹2 और वाहन पार्किंग शुल्क ₹2 निर्धारित है।
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वसूली कितनी की जा रही है?
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प्रवेश के लिए ₹10 और पार्किंग के लिए ₹10, ₹20, यहाँ तक कि ₹50 तक वसूले जा रहे हैं।
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इस अवैध वसूली में किन पर मिलीभगत का आरोप है?
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नगर निगम के कर्मचारियों, अधिकारियों और संपत्ति कर अधिकारी सहित कई अधिकारियों पर पूर्व ठेकेदार के साथ मिलकर 60-40 के कमीशन पर लिप्त होने का आरोप है।
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नगर निगम आयुक्त को इस मामले की जानकारी है या नहीं?
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आरोप है कि नगर निगम आयुक्त को इस अवैध वसूली की दूर-दूर तक खबर नहीं है।
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शिकायतकर्ता ने इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या सुझाव दिया है?
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शिकायतकर्ता ने कमिश्नर द्वारा स्वयं रानी तालाब का भ्रमण करने का सुझाव दिया है, जिससे सच्चाई सामने आ सके।
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