रीवा में न्याय के लिए भटकती रेप पीड़िता: देवर पर लगा दुष्कर्म का आरोप, दो महीने से फरार आरोपी

 
dfdff

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा में न्याय की तलाश एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। एक रेप पीड़िता ने शुक्रवार को डीआईजी कार्यालय पहुँचकर अपनी पीड़ा बताई। उसका आरोप है कि उसके देवर ने उसका कई वर्षों तक शोषण किया, लेकिन शिकायत दर्ज होने के दो माह बाद भी पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है। इस दौरान आरोपी पक्ष ने पीड़िता पर केस वापस लेने का दबाव बनाने के लिए उस पर जानलेवा हमला भी किया।

पीड़िता की आपबीती सुनने के बाद डीआईजी राजेश सिंह ने न्याय का आश्वासन दिया है। यह घटना दर्शाती है कि कानून का पालन करवाने वाली संस्थाएं किस तरह से अपराधियों को खुला घूमने का मौका दे रही हैं, जिससे पीड़ितों की जिंदगी और भी मुश्किल हो जाती है। यह मामला सिर्फ एक महिला की पीड़ा का नहीं, बल्कि पूरे समाज और कानून व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है।

नहाते हुए वीडियो बनाना और दुष्कर्म: कैसे शुरू हुआ शोषण का सिलसिला?
जवा थाना क्षेत्र की रहने वाली इस महिला ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि शोषण का यह दर्दनाक सिलसिला आज से कई साल पहले शुरू हुआ था। उस समय आरोपी ने गुपचुप तरीके से उसका नहाते हुए वीडियो बना लिया था। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर उसने पीड़िता का लगातार यौन शोषण किया। यह एक ऐसा अपराध था जिसने न केवल पीड़िता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया, बल्कि उसे परिवार के भीतर ही एक असुरक्षित माहौल में रहने पर मजबूर कर दिया।

वीडियो की धमकी ने पीड़िता को एक गहरी मानसिक पीड़ा में धकेल दिया था। वह अपने ही घर में एक कैदी की तरह महसूस कर रही थी, जहाँ उसके हर कदम पर डर और शर्मिंदगी का साया था। उसके लिए अपने देवर के इस घिनौने कृत्य का विरोध करना असंभव-सा लग रहा था, क्योंकि वह अपनी निजता के सार्वजनिक होने से डर रही थी। यह घटना यह दिखाती है कि कैसे डिजिटल युग में ब्लैकमेलिंग का डर किसी की जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है।

'शादी का झांसा' और 'सिंदूर का खेल': क्या पति से रिश्ता तोड़ने का था षड्यंत्र?
जब पीड़िता ने हिम्मत करके अपने पति को अपने देवर की करतूतों के बारे में बताया, तो आरोपी ने एक और साजिश रची। उसने पीड़िता को शादी का झांसा देते हुए उसकी मांग में सिंदूर भर दिया और दावा किया कि अब वे पति-पत्नी हैं। इस घटना ने पति-पत्नी के बीच दरार पैदा कर दी और उनके रिश्ते में कड़वाहट आ गई। आरोपी का यह कदम न सिर्फ पीड़िता को धोखा देने का प्रयास था, बल्कि यह उसके पति से उसे अलग करने की एक सोची-समझी चाल भी थी।

इस तरह की घटनाएँ अक्सर भारतीय समाज में महिलाओं के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती हैं, जहाँ शादी जैसे पवित्र रिश्ते को आपराधिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आरोपी ने पीड़िता को फंसाने के लिए समाज के सांस्कृतिक और भावनात्मक प्रतीकों का दुरुपयोग किया, जिससे वह और भी कमजोर हो गई। पति से अनबन होने के बाद, पीड़िता अकेली पड़ गई थी, जिससे आरोपी के लिए उसका शोषण जारी रखना और भी आसान हो गया था।

4 साल का दर्दनाक सफर: क्यों पीड़िता को इतने सालों तक चुप रहना पड़ा?
पीड़िता के अनुसार, आरोपी ने पिछले चार से पांच वर्षों तक उसका लगातार यौन शोषण किया। इस दौरान उसने पीड़िता से पैसे और गहने भी ऐंठ लिए। यह केवल शारीरिक शोषण नहीं था, बल्कि एक तरह का आर्थिक और भावनात्मक शोषण भी था। पीड़िता को इतने लंबे समय तक चुप रहना पड़ा क्योंकि वह सामाजिक कलंक, परिवार के टूटने और आरोपी द्वारा वीडियो वायरल करने की धमकी से डरी हुई थी।

चार से पांच साल का यह समय पीड़िता के जीवन का एक काला अध्याय था, जिसने उसे हर तरह से तोड़ दिया था। इस अवधि में, उसने न केवल अपनी गरिमा खोई, बल्कि अपनी आर्थिक और मानसिक स्वतंत्रता भी खो दी थी। यह दर्दनाक अनुभव यह दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति का डर और समाज का मौन एक अपराधी को इतने लंबे समय तक अपनी हरकतों को जारी रखने का मौका दे सकता है।

पति ने क्यों दिया साथ छोड़ा: क्या सामाजिक दबाव ने पीड़िता को किया अकेला?
जब पीड़िता ने हिम्मत करके पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, तो सामाजिक दबाव के कारण उसके पति ने भी उसका बहिष्कार कर दिया। यह एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति थी, क्योंकि जिस व्यक्ति को पीड़िता का साथ देना चाहिए था, वही समाज के डर से उससे दूर हो गया। यह घटना भारतीय समाज में पीड़ितों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को उजागर करती है, जहाँ पीड़िता को ही अक्सर दोषी ठहराया जाता है।

पति का साथ छोड़ना पीड़िता के लिए एक और बड़ा आघात था। जिस परिवार की सुरक्षा में वह रह रही थी, उसी ने उसे अकेला छोड़ दिया। इस अलगाव ने न केवल पीड़िता को भावनात्मक रूप से कमजोर किया, बल्कि उसे कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए भी अकेली छोड़ दिया।

जानलेवा हमला और DIG तक की गुहार: क्या पुलिस अब कार्रवाई करेगी?
अपनी शिकायत के बाद भी न्याय की उम्मीद में बैठी पीड़िता पर आरोपी पक्ष ने गुरुवार को हमला कर दिया और उसे जान से मारने की कोशिश भी की। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि जब तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक पीड़िता सुरक्षित नहीं है। इस हमले के बाद, पीड़िता ने रीवा के डीआईजी राजेश सिंह से मिलकर अपनी जान-माल की सुरक्षा और आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है।

डीआईजी ने पीड़िता को जल्द न्याय दिलाने और आरोपी की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया है। यह देखना होगा कि पुलिस इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई करती है, क्योंकि अब यह मामला सिर्फ रेप का नहीं, बल्कि पीड़िता की सुरक्षा और पुलिस की जवाबदेही का भी है।

कानूनी प्रावधान और पुलिस की जिम्मेदारी: क्या है रेप केस में गिरफ्तारी का नियम?
भारत में दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों के लिए कड़े कानून हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 के तहत दुष्कर्म एक गैर-जमानती अपराध है, जिसमें आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी आवश्यक है। इसके अलावा, धमकी और मारपीट के लिए भी अलग-अलग धाराएं हैं। पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह शिकायत दर्ज होने के तुरंत बाद आरोपी को गिरफ्तार करे, ताकि वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ न कर सके और पीड़ित को धमका न सके।

इस मामले में दो महीने की देरी पुलिस की लापरवाही को दर्शाती है। कानून के अनुसार, ऐसे गंभीर मामलों में पुलिस को किसी भी दबाव में आए बिना कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके।

समाज की चुप्पी और पीड़िता का बहिष्कार: हमें क्यों संवेदनशील होना चाहिए?
इस तरह की घटनाओं में समाज की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। अक्सर, लोग पीड़ितों पर ही सवाल उठाते हैं और उन्हें बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। हमें यह समझना चाहिए कि ऐसे मामलों में पीड़िता को समाज के समर्थन की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। हमें पीड़िता के साथ खड़े होकर उसे न्याय दिलाने में मदद करनी चाहिए, न कि उसे अकेला छोड़ देना चाहिए।

समाज का हर नागरिक, चाहे वह कोई भी हो, एक जागरूक नागरिक बनकर ऐसे अपराधियों का विरोध कर सकता है और पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद कर सकता है।

निष्कर्ष
रीवा में रेप पीड़िता की यह कहानी समाज और कानून दोनों के लिए एक चेतावनी है। यह दिखाता है कि कैसे अपराधियों को खुला छोड़ने से उनके हौसले बुलंद होते हैं और पीड़ितों की जान खतरे में पड़ जाती है। अब डीआईजी के आश्वासन के बाद यह देखना बाकी है कि पुलिस इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई करती है और पीड़िता को कब न्याय मिलता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
प्रश्न: पीड़िता ने डीआईजी कार्यालय क्यों गई?
उत्तर: पीड़िता डीआईजी कार्यालय इसलिए गई क्योंकि पुलिस दो महीने बाद भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी और आरोपी पक्ष ने उस पर जानलेवा हमला किया था।

प्रश्न: आरोपी पर क्या आरोप लगाए गए हैं?
उत्तर: आरोपी पर वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने, दुष्कर्म करने, शादी का झांसा देने, पैसे और गहने ऐंठने का आरोप है।

प्रश्न: आरोपी की गिरफ्तारी में देरी क्यों हो रही है?
उत्तर: लेख में इस बात पर सवाल उठाया गया है कि दो महीने बाद भी आरोपी को क्यों गिरफ्तार नहीं किया गया है, जबकि मामला इतना गंभीर है।

प्रश्न: क्या पुलिस ने पीड़िता को सुरक्षा का आश्वासन दिया है?
उत्तर: हाँ, डीआईजी राजेश सिंह ने पीड़िता को न्याय और जल्द गिरफ्तारी का आश्वासन दिया है।

प्रश्न: पीड़िता के साथ उसके पति का क्या व्यवहार रहा?
उत्तर: जब पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई, तो सामाजिक दबाव में उसके पति ने भी उसका साथ छोड़ दिया।

Related Topics

Latest News