रीवा संजय गाँधी गैंगरेप: "मेरी बेटी को इंसाफ चाहिए!" डिप्टी CM के भांजे अधीक्षक पर आंच, पुलिस पर भी 'बचाव' का आरोप - पूरा तंत्र बेनकाब!

ऋतुराज द्विवेदी राज्य ब्यूरो रीवा/भोपाल। रीवा, मध्य प्रदेश: रीवा के संजय गांधी अस्पताल में इलाज के लिए अटेंडर के तौर पर आई एक नाबालिग के साथ कथित गैंगरेप का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घटना ने पुलिस और अस्पताल प्रशासन दोनों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता और उसके परिवार ने पुलिस पर मामला दर्ज करने में टालमटोल करने, दबाव बनाने और अपराधियों को बचाने का आरोप लगाया है।
घटना की रात: ब्लैकमेलिंग से लेकर सामूहिक दुष्कर्म तक का आरोप
पीड़िता और उसके परिजनों के मुताबिक, यह वारदात 8 और 9 मई की दरम्यानी रात हुई। उनका आरोप है कि अस्पताल के तीन वॉर्ड बॉय और एक अन्य व्यक्ति ने मिलकर नाबालिग के साथ गैंगरेप किया। पीड़िता ने बताया कि उसकी मां इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थीं। अटेंडर के तौर पर उसका नंबर अस्पताल की पर्ची में दर्ज था, जहाँ से वॉर्ड बॉय महेंद्र ने उसका नंबर चुरा लिया। महेंद्र ने पीड़िता को कई बार वॉट्सऐप पर मैसेज किए, जिस पर उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
पीड़िता का आरोप है कि महेंद्र ने उसकी डीपी (डिस्प्ले पिक्चर) पर लगी फोटो को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से एडिट कर न्यूड तस्वीर बनाकर भेजी और उसे वायरल करने की धमकी दी। इस ब्लैकमेलिंग के जरिए वह लगातार पीड़िता पर मुलाकात का दबाव बनाता रहा।
घटना वाली रात, पीड़िता ने बताया कि उसे गले में दर्द था, तो महेंद्र ने उसे एक गोली दी। गोली खाते ही उसका पूरा शरीर सुन्न पड़ने लगा। इसके बाद महेंद्र उसे अस्पताल से कुछ ही दूरी पर घसीटता हुआ एक कमरे के भीतर ले गया। पीड़िता के अनुसार, उसका शरीर और दिमाग दोनों सुन्न पड़ चुके थे। इसी बीच 3 और लोग वहाँ आ पहुंचे और उन्होंने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। पीड़िता ने कहा कि वह बदहवास और बेहोशी की हालत में थी। शारीरिक शोषण के बाद आरोपी उसे वहीं छोड़कर फरार हो गए। किसी तरह वह लड़खड़ाते हुए अस्पताल चौकी पहुंची और चक्कर खाकर चौकी के पास ही मंदिर के सामने गिर पड़ी। उसने डॉक्टरों को भी बताया कि कई लोगों ने उसके साथ रेप किया है।
पुलिस पर संगीन आरोप: एफआईआर में टालमटोल और दबाव
पीड़िता और उसके परिवार ने रीवा पुलिस पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पुलिस ने शुरुआत में मामला दर्ज करने में टालमटोल की और सिर्फ छेड़छाड़ की धाराओं में एफआईआर दर्ज की। पीड़िता के भाई ने बताया कि पुलिस ने दिन में बयान दर्ज करने के लिए घर बुलाया, लेकिन बयान नहीं लिए। इसके बजाय, रात में उन्हें गोविंदगढ़ रेस्ट हाउस बुलाया गया, जहाँ पूरे परिवार को धमकाया गया।
पीड़िता के भाई का आरोप है कि पुलिस ने उनकी बहन को परिवार से अलग कर दिया और किसी से मिलने नहीं दिया। उन्हें कभी किसी जगह तो कभी किसी जगह ले जाकर लगातार समझौता करने का दबाव बनाया जाता रहा। उन्होंने कहा कि पुलिस ने जबरन बयान और कथन लिखे, जबकि उनकी बहन कुछ और बताती रही और पुलिस कुछ और लिखती रही। पीड़िता के भाई ने यहाँ तक कहा कि मामला सामने आने के बाद पूछताछ के बहाने पूरे परिवार को 24 घंटे तक बंधक बनाया गया और उन्हें खाने-पीने तक के लिए कुछ नहीं दिया गया।
पिता की पीड़ा: "हमें अपराधियों की तरह ट्रीट किया जा रहा है"
पीड़िता के पिता ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, "मैं बदनसीब हूं कि बेटी के साथ ऐसा हुआ और अब न्याय मांगने पर हमें अपराधी की तरह ट्रीट किया जा रहा है।" उन्होंने आशंका जताई कि संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टर ही मेडिकल रिपोर्ट बनाते हैं, और मेडिकल रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ हो सकती है। उन्होंने कोर्ट से मामले का संज्ञान लेने की अपील की। पिता ने यह भी कहा कि अब तक वह पुलिस के पास शिकायत कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें पुलिस के खिलाफ शिकायत करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
सीसीटीवी फुटेज और अस्पताल अधीक्षक के बदलते बयान
घटना से जुड़ा एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है, जिसमें स्ट्रेचर पर किसी को ले जाते हुए देखा जा सकता है। दावा है कि स्ट्रेचर पर पीड़िता लेटी है, जबकि उसे ले जा रहे लोग आरोपी ही हैं, जो बाद में उसे अस्पताल के एक अन्य विभाग के सामने छोड़कर मौके से फरार हो गए।
अस्पताल अधीक्षक राहुल मिश्रा ने इस मामले में पहले ऑन कैमरा बयान दिया था कि "दो वॉर्ड बॉय द्वारा दुष्कर्म की सूचना पर पीड़िता को भर्ती किया गया है और रिकॉर्ड में भी यही दर्ज है।" लेकिन बाद में वह अपने बयान से पलट गए और कहा कि सिर्फ छेड़छाड़ की जांच हो रही है।
राजनीतिक हस्तक्षेप और सवाल
इस घटना को लेकर मध्य प्रदेश की राजनीति में भी उबाल आ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने आरोप लगाया है कि अस्पताल अधीक्षक राहुल मिश्रा, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल के भांजे हैं, और इसी कारण मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। पटवारी ने ट्वीट कर कहा कि "मध्य प्रदेश में जंगलराज की एक और तस्वीर सामने है," जहाँ पुलिस रिपोर्ट लिखने की जगह पीड़िता के परिवार पर दबाव बना रही है। कमलनाथ ने भी महिला सुरक्षा को लेकर उपमुख्यमंत्री से इस घटना पर जवाब मांगा है।
इस बीच, रीवा के एसपी विवेक सिंह ने कहा कि छेड़खानी की सूचना मिलने पर मामला दर्ज किया गया है और तीन संदिग्ध हिरासत में हैं। उन्होंने परिवार को गोविंदगढ़ रेस्ट हाउस बुलाने के पीछे तर्क दिया कि वह स्थान परिवार के लिए नजदीक था।
इस पूरे मामले ने रीवा में न्याय व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं, जिसकी जाँच और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग लगातार उठ रही है।