यह सिर्फ़ एक छात्र नहीं, पूरे सिस्टम की नाकामी है! रीवा की घटना ने बताया क्यों फेल हो रही है सरकारी शिक्षा

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) सरकारें लगातार देश की शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक बनाने और छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने का प्रयास कर रही हैं। इसी क्रम में, ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के तहत देश भर के सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल बोर्ड और इंटरैक्टिव पैनल जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं दी जा रही हैं। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को तकनीक से जोड़कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, ताकि वे पारंपरिक ब्लैकबोर्ड से हटकर एक आधुनिक और आकर्षक माहौल में सीख सकें। लेकिन, रीवा जिले के एक सरकारी स्कूल से सामने आए एक वीडियो ने इस पूरी पहल पर न सिर्फ सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी उजागर कर दिया है कि किस तरह संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है। इस वीडियो में एक छात्र क्लासरूम में लगी स्मार्ट टीवी पर पढ़ाई की जगह एक लोकप्रिय ऑनलाइन गेम ‘फ्री फायर’ खेलता हुआ नजर आ रहा है। यह घटना सिर्फ एक लापरवाही नहीं है, बल्कि यह पूरी शिक्षा प्रणाली की जवाबदेही, निगरानी और प्राथमिकता पर एक गहरा सवाल है।

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कहां हुआ यह मामला और कौन सा गेम खेला जा रहा था? 
यह चौंकाने वाला मामला रीवा जिले के चाकघाट तहसील अंतर्गत त्योंथर में स्थित चंद्रपुर शासकीय हाई स्कूल का है। इस स्कूल में सरकार द्वारा छात्रों की पढ़ाई के लिए एक स्मार्ट टीवी लगाई गई थी। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक छात्र इस स्मार्ट टीवी पर 'फ्री फायर' (Free Fire) नामक एक बेहद लोकप्रिय और हिंसा-आधारित ऑनलाइन गेम खेल रहा है। इस गेम की लत बच्चों में तेजी से बढ़ रही है, और इसका क्लासरूम में खेला जाना एक गंभीर चिंता का विषय है। छात्र क्लास में गेम क्यों खेलते हैं? यह सवाल इस घटना के बाद हर किसी के मन में है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, यह मामला स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग के संज्ञान में आया है, जिसने अब जांच का आदेश दिया है। इस वीडियो ने यह साफ कर दिया है कि जिस तकनीक को शिक्षा का माध्यम बनना था, वह छात्रों के लिए मनोरंजन का साधन बन गई है।

सरकार की पहल और उसका दुरुपयोग: डिजिटल इंडिया का क्या यही उद्देश्य है? 
मध्य प्रदेश सरकार, ‘डिजिटल इंडिया’ के सपने को साकार करने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। ये स्मार्ट टीवी और डिजिटल उपकरण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटने के लिए लगाए गए हैं, ताकि सभी बच्चों को समान अवसर मिलें। लेकिन, चंद्रपुर हाई स्कूल का यह वीडियो दिखाता है कि इस पहल का उद्देश्य अधूरा रह गया है। डिजिटल शिक्षा का दुरुपयोग कैसे हो रहा है? यह सवाल उन सभी लोगों के लिए है जो इस परियोजना से जुड़े हैं। यह घटना सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी ही नहीं है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है। जिस समय छात्रों को विज्ञान, गणित या इतिहास की डिजिटल क्लास देखनी चाहिए थी, उस समय वे हिंसात्मक गेम खेलकर अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। यह एक ऐसी विडंबना है जो पूरे सिस्टम पर सवाल उठाती है।

शिक्षकों की भूमिका और निगरानी पर उठे सवाल: क्लासरूम में गेम कैसे खेला जा रहा था? 
वायरल वीडियो की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह सब कक्षा के भीतर हो रहा था, और वीडियो में कहीं भी किसी शिक्षक या पर्यवेक्षक की उपस्थिति का संकेत नहीं मिलता। इससे शिक्षकों की निगरानी और जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं। शिक्षकों को क्या करना चाहिए? जब छात्रों को डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने की अनुमति दी गई है, तो यह सुनिश्चित करना शिक्षकों की ज़िम्मेदारी है कि उनका उपयोग केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हो। शिक्षकों को न सिर्फ पढ़ाने के लिए, बल्कि क्लासरूम में अनुशासन और सीखने के माहौल को बनाए रखने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है। इस घटना से यह साफ हो गया है कि शिक्षकों की ओर से इस मामले में गंभीर लापरवाही बरती गई है। यह सिर्फ एक छात्र की गलती नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी व्यवस्था की विफलता है जहाँ निगरानी का अभाव है।

सरकारी धन की बर्बादी और छात्रों का भविष्य: क्या संसाधनों का सही उपयोग हो रहा है? 
स्कूलों में स्मार्ट टीवी जैसे संसाधन उपलब्ध कराना एक महंगा काम है, जिसके लिए जनता के टैक्स का पैसा खर्च होता है। इन संसाधनों का उद्देश्य छात्रों की सीखने की क्षमता को बढ़ाना और उन्हें तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है। लेकिन जब इन संसाधनों का दुरुपयोग होता है, तो यह न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य के लिए भी एक बड़ा खतरा है। स्मार्ट टीवी का सही इस्तेमाल कैसे करें? इस प्रश्न पर गंभीरता से विचार करना होगा। यदि छात्र क्लासरूम में भी गेम खेलते रहेंगे, तो उनका ध्यान पढ़ाई से हट जाएगा और इसका असर उनके शैक्षिक प्रदर्शन पर पड़ेगा। यह घटना इस बात की चेतावनी है कि केवल संसाधन उपलब्ध कराना पर्याप्त नहीं है; उनका सही और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

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क्या है जिला शिक्षा अधिकारी का बयान और क्या होगी कार्रवाई? 
वीडियो वायरल होने के बाद, जिला शिक्षा अधिकारी रामराज मिश्रा ने इस मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने मीडिया को बताया कि वीडियो सामने आया है और संबंधित अधिकारियों को जांच करने के लिए निर्देशित किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, उन्होंने सभी स्कूलों को निर्देश देने की बात कही है कि वे यह सुनिश्चित करें कि छात्र स्मार्ट टीवी का सही लाभ उठाएं। क्या इस मामले में कोई कार्रवाई होगी? यह सवाल अभी भी बना हुआ है। हालांकि, अधिकारी का यह बयान एक सकारात्मक संकेत है कि मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है, लेकिन वास्तविक कार्रवाई ही यह तय करेगी कि क्या इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोका जा सकेगा।

शिक्षा व्यवस्था के लिए सबक और आगे की राह: कैसे करें सुधार? 

चंद्रपुर हाई स्कूल की यह घटना पूरी शिक्षा व्यवस्था के लिए एक सबक है। केवल तकनीकी संसाधन प्रदान करना ही समाधान नहीं है। आवश्यक है कि:

  • शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों को इन डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने और छात्रों की निगरानी करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाए।
  • स्पष्ट दिशा-निर्देश: छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए इन उपकरणों के उपयोग से संबंधित स्पष्ट नियम और दिशा-निर्देश होने चाहिए।
  • नियमित निगरानी: स्कूल और जिला स्तर पर इन सुविधाओं के उपयोग की नियमित निगरानी की जानी चाहिए ताकि दुरुपयोग को रोका जा सके।
  • माता-पिता की भागीदारी: माता-पिता को भी अपने बच्चों के ऑनलाइन व्यवहार और गेमिंग की आदतों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।

इस घटना को एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही को रोका जा सके और 'डिजिटल इंडिया' का सपना सही मायने में साकार हो सके।

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