रीवा की 'अनपढ़' कलाकार ने ICU के पास रील बनाकर बघेली समाज को किया शर्मसार! CMO की 'वैधानिक कार्रवाई' की चेतावनी से बघेली कलाकार बैकफुट पर; क्या अब होगा कानूनी एक्शन?

 
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ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा संभाग के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण चिकित्सा केंद्र, संजय गांधी स्मृति (SGM) अस्पताल में एक अत्यंत शर्मनाक घटना सामने आई है। एक स्थानीय बघेली कलाकार, शैलू शर्मा, ने अस्पताल के अति-संवेदनशील आईसीयू (ICU) वार्ड के ठीक पास फिल्मी गानों पर थिरकते हुए एक रील बनाकर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपलोड कर दी। इस हरकत ने न केवल अस्पताल के नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि उन गंभीर मरीजों के प्रति भी घोर संवेदनहीनता दिखाई, जो जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे होते हैं।

तीन दिन से मां भर्ती, बेटी का ध्यान रील बनाने पर: नैतिकता पर गंभीर सवाल
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, शैलू शर्मा ने स्वयं यह स्वीकार किया कि वह अपनी बीमार मां का इलाज करवाने अस्पताल गई थी और उनकी माँ वहाँ पिछले तीन दिनों से भर्ती थीं। यह तथ्य इस पूरे मामले को और भी गंभीर बना देता है।

  • सवाल यह है कि जिस परिसर में एक बेटी की माँ गंभीर रूप से भर्ती है, वहाँ अन्य गंभीर मरीजों की पीड़ा की परवाह किए बिना वह कैसे 'फिल्मी गानों पर ठुमके' लगाने का निर्णय ले सकती है?
  • एक कलाकार होने के नाते, जिसे समाज के विभिन्न पहलुओं की समझ होनी चाहिए, ऐसी संवेदनशील जगह पर डांस और शूटिंग करना उनकी 'कलाकार' की उपाधि पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। यह कृत्य किसी अनपढ़ व्यक्ति की गलती न होकर, जानबूझकर सोशल मीडिया की लोकप्रियता और लाइक्स के लिए की गई संवेदनहीन हरकत प्रतीत होती है।

अस्पताल प्रबंधन का कड़ा रुख और 'वैधानिक कार्रवाई' की चेतावनी
वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होते ही अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया। रीवा जैसे बड़े संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में इस तरह की घटना से प्रबंधन ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की।

अस्पताल के CMO यत्नेश त्रिपाठी ने स्पष्ट शब्दों में कहा:
"हमारे पास दुखिया और गंभीर मरीज आते हैं। अस्पताल कोई डांस या रील बनाने की जगह नहीं है। यह गंभीर नियमों का उल्लंघन है। मामले की जांच कर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।"

  • प्रबंधन की इस चेतावनी के बाद यह स्पष्ट हो गया कि इस मामले को केवल अनदेखा नहीं किया जाएगा। रील बनाने वालों को अक्सर लगता है कि माफी मांग कर वे बच निकलेंगे, लेकिन यहाँ प्रशासन ने कड़ा संदेश दिया है कि संवेदनशील स्थानों पर इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।

'बघेली कलाकार शैलू शर्मा का माफीनामा क्यों अधूरा है' और 'अनभिज्ञता' का बहाना
अस्पताल प्रबंधन की सख्त कार्रवाई की चेतावनी के बाद, शैलू शर्मा बैकफुट पर आ गईं और उन्होंने एक माफीनामा जारी किया।
शैलू शर्मा ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि उन्होंने गलती की है और वह दोबारा ऐसा नहीं करेंगी, लेकिन उनके माफीनामे में एक बचाव का तत्व भी दिखा:

"मुझे इस बात की जानकारी बिल्कुल नहीं थी कि यहां पर रील नहीं बनाना चाहिए। वहाँ पर कोई सिक्योरिटी गार्ड मौजूद नहीं था और न ही किसी ने मुझे रोका। इसलिए मैंने रील बना ली।"

कठोर सवाल:

  • क्या किसी को यह बताने की ज़रूरत है कि आईसीयू वार्ड के पास जहां गंभीर मरीज भर्ती हैं, वहाँ तेज म्यूजिक पर डांस नहीं करना चाहिए?
  • क्या किसी भी कलाकार या शिक्षित व्यक्ति को सार्वजनिक स्थल की संवेदनशीलता का इतना भी ज्ञान नहीं होता?
  • सिक्योरिटी गार्ड का न होना नियमों का उल्लंघन करने का लाइसेंस कैसे बन सकता है?
  • यह 'अनभिज्ञता' का बहाना कमजोर लगता है और कानूनी कार्रवाई से बचने का प्रयास अधिक प्रतीत होता है।

'रील बनाने वालों को माफ क्यों नहीं करना चाहिए' और समाज पर इसका प्रभाव
आपके अनुसार, ऐसे लोगों को सिर्फ माफी देकर छोड़ देने की बजाय कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, और यह मांग पूरी तरह जायज है। जब किसी सार्वजनिक स्थान पर नियम तोड़ने वाला व्यक्ति, खासकर एक कलाकार या प्रभावशाली व्यक्ति, केवल माफी मांग कर बच निकलता है, तो समाज में गलत संदेश जाता है।

  • नियमों की अवहेलना को बढ़ावा: इससे अन्य लोग भी यह मानकर चलते हैं कि वे पहले रील बना सकते हैं, और बाद में माफी मांगकर बच निकलेंगे।
  • कानून का डर कम होना: यह घटना दर्शाती है कि पहले वीडियो वायरल किया जाता है, फिर अधिकारियों तक बात पहुँचती है, और अंत में माफी मांग ली जाती है। यह प्रक्रिया नियमों को कमजोर करती है।
  • संवेदनशीलता का पतन: यह प्रवृत्ति लोगों को लाइक्स और व्यूज के लिए किसी भी सीमा को लांघने के लिए प्रेरित करती है, जिससे समाज में संवेदनशीलता का स्तर गिरता है।

'आईसीयू के पास रील बनाने पर क्या कार्रवाई होगी' – आगे की राह
अस्पताल प्रबंधन ने वैधानिक कार्रवाई की बात कही है। सार्वजनिक स्थानों, खासकर सरकारी अस्पतालों में, बिना अनुमति वीडियोग्राफी करना और परिसर की शांति भंग करना अपराध की श्रेणी में आ सकता है।

  • IPC की धाराएँ: शांति भंग करना, उपद्रव करना (Nuisance), और सरकारी संपत्ति पर अनाधिकृत शूटिंग जैसे मामलों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
  • प्रशासनिक दंड: अस्पताल प्रशासन परिसर में प्रवेश पर रोक लगा सकता है और एक मजबूत मिसाल कायम कर सकता है।
  • अन्य राज्यों में उदाहरण: पूर्व में कई अस्पतालों में रील बनाने वाले कर्मचारियों और छात्रों पर जुर्माना, निलंबन, या ट्रेनिंग बढ़ाने जैसी कठोर कार्रवाई की गई है।

इस मामले में प्रबंधन को न सिर्फ रील डिलीट करवाकर, बल्कि एक मिसाल कायम करते हुए कठोर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट संदेश जाए कि रीवा के संजय गांधी अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थानों पर सस्ती लोकप्रियता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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