कलेक्टर का आदेश: 'शिबू' शिक्षक सस्पेंड, प्राचार्य J.P. जायसवाल सहित 3 बड़े अधिकारियों पर 'बर्खास्तगी' की गाज! अब भोपाल तक हिलेगा सिस्टम!

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा का शिक्षा विभाग इस समय भ्रष्टाचार और घोर लापरवाही की पराकाष्ठा को दर्शा रहा है। एक तरफ जहाँ विभाग पर फर्जी नियुक्तियों के घोटाले के गंभीर आरोप लगे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ, मार्तंड क्रमांक एक के गर्ल्स हॉस्टल (Girls' Hostel) में बच्चों को दूषित और ज़हरीला भोजन परोसे जाने की जघन्य घटना सामने आई है। बच्चों को दूषित भोजन क्यों दिया गया, यह सवाल केवल लापरवाही का नहीं, बल्कि आपराधिक संवेदनहीनता का है।
भोजन में कीड़े मिलने की इस घटना ने छात्र संगठनों को उग्र कर दिया, जिसके बाद प्रशासन पर त्वरित कार्रवाई का दबाव बढ़ा। कलेक्टर कार्यालय ने मामले की गंभीरता को समझते हुए, इस पूरे कांड के कथित 'मैनेजर' को निलंबित कर दिया है, लेकिन सवाल यह है कि फर्जी नियुक्तियों के आरोपों पर सरकार क्या कर रही है, जबकि बच्चों के जीवन से खिलवाड़ पर कार्रवाई शुरू हो गई है?
'हॉस्टल मैनेजर' शिबू सस्पेंड: भ्रष्टाचार का 'किंगपिन' प्राथमिक शिक्षक!
कलेक्टर कार्यालय ने इस पूरे मामले में सबसे पहली गाज प्राथमिक शिक्षक शिवेश श्रीवास्तव (Shivesh Srivastava) पर गिराई है, जिन्हें स्थानीय तौर पर 'शिबू' के नाम से जाना जाता है।
निलंबन का कारण: शिवेश श्रीवास्तव, जो आधिकारिक तौर पर हॉस्टल के मैनेजर (Manager) के रूप में कार्यरत थे, बच्चों को दूषित भोजन परोसे जाने और हॉस्टल प्रबंधन में व्यापक अनियमितताओं के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार पाए गए हैं।
भ्रष्टाचार की जड़ें: सूत्रों के मुताबिक, शिवेश श्रीवास्तव सिर्फ मैनेजर नहीं थे, बल्कि पूरे हॉस्टल की खरीद-फरोख्त और वित्तीय लेनदेन पर उनका पूर्ण नियंत्रण था। पूर्व में वार्डन राम कैलाश पांडेय ने खुद यह खुलासा किया था कि शिवेश ही सामग्री की आपूर्ति करता था और बिल पर जबरन हस्ताक्षर करवाता था, जो यह दर्शाता है कि वह इस भ्रष्टाचार के 'किंगपिन' थे।
उनका निलंबन यह स्पष्ट संदेश है कि हॉस्टल मैनेजर को क्यों निलंबित किया गया —क्योंकि उन्होंने बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया और धन की हेराफेरी की।
4 दोषी रडार पर: प्राचार्य से लेकर वार्डन तक पर गिरेगी गाज
कलेक्टर के आदेश पर हुई जांच के बाद, निलंबन की कार्रवाई केवल शिबू श्रीवास्तव तक सीमित नहीं रहेगी। तीन अन्य प्रमुख अधिकारी भी इस मामले में दोषी पाए गए हैं और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रस्ताव भोपाल स्थित उच्च अधिकारियों को भेज दिया गया है।
कार्रवाई के लिए प्रस्तावित 3 अन्य दोषी:
- जय प्रकाश (प्राचार्य): उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य होने के नाते, उन पर प्रशासनिक लापरवाही और शिवेश श्रीवास्तव को संरक्षण देने का गंभीर आरोप है।
- कैलाश प्रसाद पांडे (वार्डन, बालक छात्रावास): उन पर हॉस्टल की व्यवस्थाओं में उदासीनता और भ्रष्टाचार में सहयोग करने का आरोप है।
- छाया मिश्रा (वार्डन, बालिका छात्रावास): गर्ल्स हॉस्टल की वार्डन होने के नाते, उन पर बच्चों की सुरक्षा और भोजन की गुणवत्ता के प्रति घोर संवेदनहीनता का आरोप है, जिसके चलते बच्चों को दूषित भोजन परोसा गया।
यह स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार कैसे रोकें, इसका पहला कदम उच्च पदों पर बैठे गैर-जिम्मेदार अधिकारियों को हटाना है।
निष्कर्ष: शिक्षा की जड़ों में भ्रष्टाचार और तत्काल सुधार की मांग
यह घटना रीवा के शिक्षा विभाग की जवाबदेही और पारदर्शिता पर एक काला धब्बा है। एक तरफ फर्जी नियुक्तियों से विभाग की साख तार-तार हुई है, और दूसरी तरफ हॉस्टल में बच्चों के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है।
- मूल समस्या: यह दर्शाता है कि प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही का घोर अभाव है। बच्चों की सुरक्षा के प्रति उदासीनता चरम पर है।
- तत्काल सुधार: केवल निलंबन पर्याप्त नहीं है। इस घटना की उच्च-स्तरीय न्यायिक जाँच होनी चाहिए, ताकि फर्जी नियुक्तियों और हॉस्टल भ्रष्टाचार में शामिल सभी 'बड़े चेहरों' को बेनकाब किया जा सके। बच्चों का सुरक्षित और स्वच्छ भोजन सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम स्तर पर सुधार की तत्काल आवश्यकता है।