रीवा के फाइव स्टार 'स्वच्छता' दावे पर थूका शिक्षा विभाग: कलेक्टर का पारा हाई, पूछा- ये दफ्तर है या 'पान-गुटका' घर?

रीवा शिक्षा विभाग का 'काला सच': फाइव स्टार शहर में सबसे गंदा सरकारी दफ्तर
ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर, जिसे हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण में फाइव स्टार रेटिंग का गौरव हासिल हुआ है, उसी शहर के केंद्र में स्थित जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय की तस्वीरें सरकारी दावों की पोल खोल रही हैं। यह कार्यालय, जो शिक्षा और अनुशासन का केंद्र होना चाहिए, खुद गंदगी का एक जीता-जागता उदाहरण बन गया है। कार्यालय की दीवारें, फर्श और यहां तक कि अधिकारियों के केबिन भी पान और गुटके की पीकों से रंगी हुई हैं। यह सिर्फ एक दीवार की बात नहीं है, बल्कि पूरा दफ्तर, उसके छह कमरे और हर कोना गंदगी से अटा पड़ा है। यह स्थिति न सिर्फ विभाग की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि उन सरकारी दावों पर भी सवालिया निशान लगाती है, जिनके दम पर रीवा को 'स्वच्छ' शहर का दर्जा मिला है।
दावे कुछ और, हकीकत कुछ और: क्या स्वच्छता सिर्फ सर्वेक्षण के लिए है?
रीवा को फाइव स्टार रेटिंग मिली, यह खबर सुनकर शहरवासी गर्व महसूस कर रहे थे, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की बदहाल स्थिति ने इस गर्व को शर्म में बदल दिया है। अगर स्वच्छता सर्वेक्षण करने वाली टीम ने एक बार भी इस दफ्तर का जायजा लिया होता, तो शायद रीवा को सिंगल स्टार भी नहीं मिल पाता। यह गंदगी किसी रिपोर्ट या सर्वेक्षण में नहीं, बल्कि खुद कार्यालय की दीवारों और फर्श पर मौजूद है। यह दिखाता है कि स्वच्छता अभियान का असर सिर्फ दिखावे तक ही सीमित है और सरकारी दफ्तरों में इसकी कोई अहमियत नहीं है। क्या रीवा में गंदगी सिर्फ शिक्षा विभाग फैला रहा है? यह एक बड़ा सवाल है, जिसका जवाब शहर के अन्य सरकारी कार्यालयों की स्थिति भी दे सकती है।
जिम्मेदारों का दोषारोपण: शिक्षकों पर ठीकरा फोड़ते कर्मचारी
जब इस दयनीय स्थिति के बारे में कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों से सवाल किया गया, तो उन्होंने बड़ी आसानी से इसका दोष शिक्षकों और अन्य आगंतुकों पर मढ़ दिया। उनका कहना था कि बाहर से आने वाले लोग ही इस तरह की गंदगी फैलाते हैं। हालांकि, यह बात हास्यास्पद है, क्योंकि खुद कई कर्मचारी पान-गुटका खाते हुए नजर आए। यह दर्शाता है कि जिम्मेदारी लेने के बजाय वे दूसरों पर दोष मढ़ने में व्यस्त हैं। जब कर्मचारी खुद ही नियमों का पालन नहीं करते, तो वे दूसरों से सरकारी कार्यालयों में स्वच्छता कैसे बनाए रखें की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? यह एक गंभीर मुद्दा है जो विभाग के अंदर की संस्कृति को उजागर करता है।
अनुशासन सिखाने वाले खुद अनुशासनहीन: एक शर्मनाक विरोधाभास
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय वह जगह है, जहां रोजाना बड़ी संख्या में शिक्षक, प्राचार्य और विभागीय अधिकारी आते हैं। ये वही लोग हैं जो बच्चों को अनुशासन, शिक्षा और संस्कार सिखाते हैं। लेकिन जब वे अपने ही कार्यस्थल पर गंदगी फैला रहे हैं, तो यह एक शर्मनाक विरोधाभास है। उनकी लापरवाही और स्वच्छता के प्रति उदासीनता साफ बताती है कि वे जिन मूल्यों की शिक्षा देते हैं, उनका पालन खुद नहीं करते। यह एक ऐसा उदाहरण है जो दिखाता है कि शिक्षा का नैतिक मूल्य सिर्फ किताबों तक ही सीमित रह गया है। रीवा में गंदगी कौन फैला रहा है, इस सवाल का जवाब सिर्फ दीवारों पर लगी पीक नहीं, बल्कि जिम्मेदार लोगों का व्यवहार भी दे रहा है।
जैसे ही जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की गंदगी की तस्वीरें सामने आईं, प्रभारी कलेक्टर डॉ. सौरभ संजय सोनवणे ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने इसे "बेहद शर्मनाक" बताया और कहा कि शासकीय कार्यालयों में स्वच्छता को लेकर सख्त निर्देश हैं। उन्होंने तुरंत ही डीईओ रामराज मिश्रा से लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। डॉ. सोनवणे ने चेतावनी दी है कि यदि जवाब संतोषजनक नहीं मिला, तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह कदम दिखाता है कि रीवा कलेक्टर इस पर क्या कर रहे हैं, और वे इस तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह कार्रवाई यह भी दर्शाती है कि शासन का ध्यान जमीनी हकीकत पर भी है।
क्या है इस गंदगी का समाधान?
इस तरह की घटनाएँ सिर्फ शिक्षा विभाग तक सीमित नहीं हैं। यह एक व्यापक समस्या है जो कई सरकारी दफ्तरों में देखी जा सकती है। इसका समाधान केवल चेतावनी या स्पष्टीकरण तक सीमित नहीं हो सकता। सरकारी कार्यालयों में स्वच्छता कैसे बनाए रखें, इसके लिए सख्त नियम और उनका पालन सुनिश्चित करना होगा। सीसीटीवी कैमरे लगाना, कर्मचारियों और आगंतुकों के लिए जुर्माने का प्रावधान करना, और नियमित निरीक्षण जैसी पहल की जा सकती हैं। सबसे महत्वपूर्ण है मानसिकता में बदलाव लाना। जब तक जिम्मेदार लोग खुद यह नहीं समझेंगे कि स्वच्छता केवल एक सरकारी अभियान नहीं, बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी है, तब तक इस तरह की गंदगी दिखती रहेगी।
FAQ
Q1: रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में गंदगी का मुख्य कारण क्या है?
A1: मुख्य कारण पान और गुटके की पीक हैं, जो दीवारों और फर्श पर बिखरी हुई हैं।
Q2: इस मामले में प्रशासन ने क्या कार्रवाई की है?
A2: प्रभारी कलेक्टर डॉ. सौरभ संजय सोनवणे ने इस पर नाराजगी जताते हुए जिला शिक्षा अधिकारी रामराज मिश्रा से लिखित स्पष्टीकरण मांगा है।
Q3: क्या इस तरह की गंदगी से रीवा शहर की स्वच्छता रैंकिंग पर असर पड़ सकता है?
A3: हाँ, यदि स्वच्छता सर्वेक्षण टीम ने इस कार्यालय का निरीक्षण किया होता, तो शहर की फाइव स्टार रेटिंग पर गंभीर असर पड़ सकता था।
Q4: स्वच्छता को लेकर सरकारी कार्यालयों के लिए क्या निर्देश हैं?
A4: कमिश्नर सहित शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि सभी सरकारी कार्यालयों में स्वच्छता बनाए रखी जाए।
Q5: कर्मचारी गंदगी के लिए किसे जिम्मेदार ठहरा रहे हैं?
A5: कर्मचारी गंदगी के लिए कार्यालय में आने वाले शिक्षकों और अन्य लोगों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, हालांकि खुद भी कई कर्मचारी पान-गुटका खाते हुए पाए गए।