स्वतंत्रता दिवस पर शर्मसार हुआ रीवा: कार्यक्रम से लौट रही छात्रा का अपहरण कर मुंबई में किया गैंगरेप

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) हर साल 15 अगस्त को पूरा देश स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाता है, लेकिन इस बार रीवा में एक ऐसी दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है जिसने इस पावन दिन के महत्व को ही धूमिल कर दिया है। मऊगंज जिले की एक नाबालिग छात्रा के साथ बेहद गंभीर वारदात हुई है। स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम से लौट रही इस छात्रा का दो युवकों ने अपहरण कर लिया। आरोपी उसे घुमाने का झांसा देकर अपने साथ ले गए और फिर उसे हजारों किलोमीटर दूर मुंबई ले गए। इस दौरान, उन्होंने कई दिनों तक उसका शारीरिक शोषण किया, जिससे न सिर्फ उसका शरीर बल्कि उसकी आत्मा भी लहूलुहान हो गई। घटना के बाद आरोपी उसे वापस रीवा में छोड़कर फरार हो गए। इस जघन्य अपराध ने समाज में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्वतंत्रता दिवस के दिन मासूमियत पर हमला: मऊगंज में छात्रा का अपहरण कैसे हुआ?
यह दर्दनाक वारदात 15 अगस्त की है। हर साल की तरह, मऊगंज जिले की रहने वाली यह किशोरी अपने स्कूल में आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम में शामिल होने गई थी। तिरंगे को सलामी देने, देशभक्ति के गीत गाने और एक बेहतर भविष्य के सपने संजोने के बाद, वह खुशी-खुशी अपने घर वापस जा रही थी। यह एक सामान्य दिन था, लेकिन उसे क्या पता था कि रास्ते में उसकी जिंदगी का सबसे बुरा अनुभव उसका इंतजार कर रहा था।

जब वह टड़हर मोड़ के पास पहुंची, तो उसकी मुलाकात आरोपी संतोष पटेल से हुई, जो अपने ट्रक के साथ खड़ा था। संतोष ने किशोरी को बहलाने-फुसलाने की कोशिश की। उसने उसे घुमाने का लालच दिया। एक मासूम बच्ची, जिसने अभी तक दुनिया की बुराई नहीं देखी थी, उसे यह लालच सच लगा। उसने विश्वास किया और ट्रक में बैठ गई। उस समय ट्रक में उसका मालिक पंकज सोनी भी मौजूद था। यह वही क्षण था जब मासूमियत का अपहरण हुआ और हैवानियत का सफर शुरू हुआ।

रीवा से मुंबई तक का भयावह सफर: ट्रक में कैसे हुआ शारीरिक शोषण?
ट्रक में बैठने के बाद, किशोरी को जल्द ही एहसास हो गया कि वह एक बड़ी गलती कर चुकी है। दोनों आरोपी उसे रीवा से सीधे मुंबई ले गए। रीवा से मुंबई की दूरी 1000 किलोमीटर से अधिक है। यह सफर सिर्फ दूरी का नहीं था, बल्कि किशोरी के लिए एक मानसिक और शारीरिक यंत्रणा का भी सफर था। रास्ते में और मुंबई पहुंचने के बाद, ट्रक के मालिक पंकज सोनी ने कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया। आरोपियों ने लगभग पाँच दिनों तक उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। एक चलती-फिरती गाड़ी में, एक निर्जन स्थान पर, उस बच्ची के साथ जो कुछ हुआ, उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।

इस पूरी घटना ने उसके मन पर गहरा आघात पहुँचाया। पाँच दिनों तक वह डर और दहशत के साये में जीती रही। उसे उम्मीद थी कि शायद कोई मदद करेगा, लेकिन वह अकेली और असहाय थी। यह दिखाता है कि कैसे कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं और मानवता को शर्मसार कर सकते हैं।

वापस लौटना और हिम्मत से परिजनों को आपबीती बताना
पाँच दिनों बाद, शायद अपने अपराध की गंभीरता का एहसास होने या किसी डर की वजह से, आरोपी उसे वापस रीवा लाए और बस स्टैंड पर छोड़कर भाग गए। उन्होंने सोचा होगा कि लड़की डरकर चुप रहेगी। लेकिन उनकी सोच गलत थी।

किशोरी, जो शारीरिक और मानसिक रूप से बुरी तरह टूट चुकी थी, किसी तरह हिम्मत जुटाकर बस से अपने घर पहुंची। उसने अपने परिवार को पूरी आपबीती सुनाई। परिजनों के लिए यह एक भयानक सदमा था। उनके चेहरे पर खुशी के बजाय डर, गुस्सा और दर्द था। उन्होंने तुरंत अपनी बेटी के साथ हुई इस जघन्य वारदात की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई। यह किशोरी की हिम्मत और उसके परिवार के समर्थन का ही नतीजा था कि यह मामला प्रकाश में आया।

पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई: क्या आरोपी पकड़े जाएंगे?
थाना प्रभारी राजेश पटेल ने बताया कि परिजनों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। दोनों आरोपियों, संतोष पटेल और पंकज सोनी, के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं के तहत अपहरण और दुष्कर्म का मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। विभिन्न टीमें बनाई गई हैं और उनके संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। उम्मीद है कि जल्द ही दोनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होंगे।

यह सिर्फ एक पुलिस केस नहीं है, बल्कि यह रीवा के पुलिस प्रशासन के लिए एक चुनौती भी है कि वे इस मामले में तेजी से कार्रवाई करके दोषियों को सख्त सजा दिलाएं। यह समाज में एक संदेश देगा कि ऐसे अपराध करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

समाज की सुरक्षा पर गंभीर सवाल: क्या हम अपनी बेटियों को सुरक्षित रख सकते हैं?
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम वास्तव में एक स्वतंत्र और सुरक्षित समाज में रहते हैं? एक तरफ, हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और देशभक्ति की बातें करते हैं, वहीं दूसरी तरफ, हमारी बेटियां सड़कों पर सुरक्षित नहीं हैं। यह घटना समाज के हर वर्ग के लिए एक सबक है। हमें अपने बच्चों को सिर्फ पढ़ना-लिखना नहीं सिखाना चाहिए, बल्कि उन्हें दुनिया के खतरों से भी अवगत कराना चाहिए। साथ ही, हमें समाज में एक ऐसा माहौल बनाना होगा जहाँ महिलाएं और लड़कियाँ बिना किसी डर के रह सकें। यह सिर्फ सरकार या पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है।

अगर हम सब मिलकर जागरूक हों और ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं, तभी हम अपनी बेटियों के लिए एक सुरक्षित भविष्य का निर्माण कर पाएंगे।

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