REWA : रायपुर पुलिस के कारनामों पर आखिर कब लगेगी लगाम? जिंदगी और मौत से लड़ रहे फरियादी, दर्ज कर दिया SCST का फर्जी मुकदमा

 
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रीवा. कहते हैं जब रक्षक ही भक्षक बन बैठें तो किससे सुरक्षा की उम्मीद करें। यही हाल इन दिनों जिले के रायपुर कर्चुलियान थाना क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। हमेशा अपनी कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में रहने वाली रायपुर पुलिस इन दिनों बेलगाम हो गई है जिसका परिणाम है की क्षेत्र की जनता अब पुलिसिए रवैये से त्रस्त हो चुकी है। बीते दिनों एक ऐसा ही मामला सामने आया जो बेहद चौकने वाला है जिसने रायपुर कर्चुलियान पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार ग्राम खैरा निवासी 54 वर्षीय बुजुर्ग अमरनाथ शर्मा सिंचाई विभाग रीवा में नौकरी करते हैं। रोज की तरह बीती रात ड्यूटी समाप्त कर अपनी मोटर साइकिल से गृहग्राम खैरा जा रहे थे, रात करीब 9 बजे ग्राम गोरगांव 164 हरिजन बस्ती रौरा सब स्टेशन के पास पहुंचे तो रोड पर एक आटो खड़ी थी जिसमें कुछ लोग शराबखोरी कर रहे थे,कुछ समय इंतजार करने के बाद भी जब आटो नहीं निकली तो उन्होंने आटो को रोड से हटाने की बात कही जो आटो पर बैठे लोगों को नागबार गुजरी और दीपक साकेत अपने साथियों के साथ लाठी डंडे लेकर आटो से उतरा और गाली गलौज करते हुए मारपीट पर उतारू हो गया इसी बीच फरियादी के चिल्लाने पर राहुल तिवारी व प्रदीप यादव ने बीच बचाव करते हुए बुजुर्ग की जान बचाई। इतना सबकुछ होने के बाद भी आरोपी गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी देते हुए वहां से चले गए। जिससे पीड़ित अमरनाथ शर्मा के सिर में गंभीर चोंट लगने के साथ ही,सिर के बाएं तरफ,दाहिने गाल एवं बाएं हांथ की बीच वाली उंगली में काफी चोंटे आईं।

आनन फानन में घटना की सूचना पुलिस को दी गई जिस पर फरियादी को घायल अवस्था में रायपुर स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां से उपचार के दौरान थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। स्वास्थ्य में आराम न मिलने पर डाक्टर द्वारा संजय गाँधी अस्पताल रेफर कर दिया गया जहाँ बिगड़ती हालत को देखते हुए वहाँ से उपचार हेतु नागपुर रेफर कर दिया गया जहाँ वर्तमान समय में घायल बुजुर्ग उपचार जारी है। सिर में गंभीर चोंट के चलते लगभग 20 टांके लगे हुए हैं एवं घायल की हालत नाजुक बनी हुई है। प्राथमिकी दर्ज कर रायपुर पुलिस ने खानापूर्ति कर दी मामले में ना ही कोई गंभीर धारा लगाई और ना ही हफ्तेभर बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी की।

इस दौरान लगातार रायपुर कर्चुलियान थाना प्रभारी उपनिरीक्षक पुष्पेन्द्र यादव से संपर्क करने पर वह शहडोल ड्यूटी का हवाला देते हुए वापस लौटकर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन देते रहे जिसकी काल रिकार्डिंग मीडिया के पास मौजूद है।

इसी बीच अब रायपुर पुलिस ने अपना असली रूप दिखाते हुए आरोपियों की 3 दिन बाद थाने में बुलाकर पहले तो भय दिखाया फिर काउंटर केश के लिए दक्षिणा लेकर उनकी आवभगत की और फरियादी घायल बुजुर्ग के ऊपर ही बिना किसी जाँच पड़ताल के उस समय एससीएसटी एक्ट का फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया जब वह जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा था।

संबंधित मामले में रायपुर कर्चुलियान थाना प्रभारी का कहना था की आरोपी के भी उंगली में चोट लगी है। अब आप स्वयं सोचिए की शराब के नशे में आधा दर्जन युवक अपने गांव घर में रास्ते से जा रहे एक बुजुर्ग पर हमला कर दें और उसे लहुलुहान कर दें और राहगीर बीच बचाव कर उनकी जान बचाएं। ऐसी स्थिति में एक अकेला बुजुर्ग अपनी जान बचाने हांथ पैर पटकेगा या नहीं। यदि हांथ पैर पटकेगा तो स्वाभाविक है की सामने वाले को पकड़ेगा उस दौरान यदि मारपीट करने वाले आरोपी की उंगली में चोंट आ ही जाए तो सोचिए पुलिस के लिए कितनी बड़ी घटना हो गई। अब सबसे बड़ा प्रश्न यह है की यदि आरोपियों के साथ मारपीट हुई थी उनको चोंट लगी थी तो घटना के तुरंत बाद उन्होंने थाने में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई,आखिर 3 दिन बाद क्यों थाने गए। संबंधित मामले में सबसे बड़ा प्रश्न यह है की यदि किसी बुजुर्ग पर आधा दर्जन युवक हमला करते हैं और घायल को गंभीर चोंट आईं हो तो पुलिस ने सामान्य धाराओं में मामले को रफा दफा करते हुए आरोपियों को पकड़कर पूंछतांछ करने की बजाय बुजुर्ग फरियादी पर ही एससीएसटी एक्ट का फर्जी मामला कैसे दर्ज कर दिया और घायल को पकड़ने रीवा से हरिजन थाने की पुलिस भी जा पहुंची।

नए नबेले दरोगा के भरोसे चल रहा निरीक्षक स्तर का थाना
कहते हैं पुलिस विभाग में सीनियर्टी का बड़ा महत्व है, हो भी क्यों ना अनुभव हर जगह काम जो आता है। वैसे तो रायपुर कर्चुलियान थाना निरीक्षक स्तर का थाना है परंतु राजनैतिक रसूख के चलते उप निरीक्षक ही इस थाने को चला रहे हैं।

  •  इस पर सवाल उठना भी लाजमी है आखिर निरीक्षक स्तर के थाने को उप निरीक्षक के हाँथों क्यों सौंप दिया गया है?

क्या जिले में निरीक्षकों की कमी है या फिर निरीक्षक इस काबिल नहीं हैं की उन्हें थाने की कमान सौंपी जा सके। सच्चाई चाहे जो भी हो लेकिन कारण यह भी है की जोड़ तोड़ की सरकार ने अपने विधायकों को थानेदार की पोस्टिंग कराने का अधिकार जो दे दिया है। ऐसा इसलिए भी है की रायपुर कर्चुलियान थाना प्रभारी पुष्पेन्द्र यादव जैसे नए नबेले दरोगा पर विधायक नागेंद्र सिंह का आशीर्वाद है। अच्छा भी है नवेले दरोगा को विधायक के पीए से जीहुजूरी कर अच्छी पोस्टिंग भी मिल गई और मनमानी करने की छूट भी। लेकिन रीवा पुलिस के इतिहास पर गौर करें तो ऐसे पता नहीं कितने दरोगा आए और अपनी ही करनी का फल पाकर चले भी गए। वर्तमान में कार्यकुशल पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह भले ही फ्रंट लाइन में कार्य न कर रहें हो लेकिन उनकी निगाह अपने मातहतों पर बराबर है, समय आने पर भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर गाज भी गिरेगी और बेलगाम दरोगा पर लगाम भी लगाई जाएगी।

अंगद पर कब गिरेगी चुनाव आयोग की गाज
वैसे रायपुर कर्चुलियान थाना प्रभारी उपनिरीक्षक पुष्पेन्द्र यादव को रीवा जिले में काफी समय हो चला है। चोरहटा से लेकर रायपुर तक का सफर यादगार व आरामदायक भी रहा होगा। अब चुनाव आयोग की निगाह भी पुलिस के ऐसे नुमाइंदों पर है जो काफी समय से एक ही जिले में पदस्थ हैं और राजनैतिक आकाओं के इशारे पर काम कर रहे हैं। हालांकि रायपुर कर्चुलियान थाने में और भी कई ऐसे कर्मचारी पदस्थ हैं जिनका दामन दागदार होने के साथ ही जुगाड़ की बदौलत काफी समय से थाने में ही नहीं बल्कि एक ही जिले में अंगद की तरह जमे हुए हैं।

बाँकी का पढ़िए अगले अंक में....

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