REWA: विश्व का पहला सफेद शेर मोहन आज ही दिन मिला था, महाराजा के साथ फुलबॉल खेलता था मोहन, रविवार के दिन सिर्फ दूध पीता था
इतिहासकार असद खान के मुताबिक 27 मई 1951 को तत्कालीन महाराजा मार्तंड सिंह सीधी जिले के पंनखोर के जंगल में जोधपुर महाराज अजीत सिंह के साथ शिकार खेलने गए थे। इसी दौरान उनको एक बाघिन अपने तीन बच्चों के साथ नजर आई। उसमें से बाघिन का एक बच्चा बिल्कुल अद्भुत था। जिसका रंग पूरी तरह से सफेद था। देखते ही देखते सफेद बाघ एक गुफा में जाकर छिप गया। महाराजा मार्तंड सिंह को वो बाघ इतना पसंद आया कि वे उसे पकड़वाकर अपने साथ ले आए।
मोहन की तीन बाघिनों से हुए 21 सफेद बाघ
मोहन के साथ तीन बाघिन भी रखी गई। जिनके नाम बेगम,सुकेसी और राधा रखे गए। मोहन और तीन बाघिनों से उनके 34 बच्चे हुए उनमें से 21 सफेद थे। इन 21 बच्चों में अकेले 14 बच्चे राधा के थे। पूरी दुनिया में आज जितने भी सफेद शेर आज नजर आते हैं सब इसी मोहन के वंशज हैं। 1960 में अमेरिका को 10000 डॉलर में मोहिनी को बेच दिया गया। जिसका स्वागत उस समय के तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ने किया।
शाही अंदाज में की जाती थी मोहन की देखभाल
मोहन की देखभाल शाही अंदाज में की जाती थी। महाराजा मार्तंड सिंह मोहन के साथ फुटबॉल खेलते थे। मोहन उनकी सीटी की आवाज बहुत अच्छी तरीके से पहचानता था। रविवार के दिन मोहन को 2 लीटर दूध दिया जाता था।
मोहन का नाम पूरे सम्मान के साथ लिया जाता था। मोहन को मोहन सिंह जी के नाम से पुकारा जाता था। मोहन की अंतिम संतान विराट की मौत 8 जुलाई 1976 को गोविंदगढ़ किले में हुई। आज मोहन की वजह से रीवा की पहचान पूरी दुनिया में होती है। मोहन की मौत 19 दिसंबर 1969 को हुई। मोहन की मौत हुए आज लगभग 54 साल हो गए। लेकिन मोहन आज भी रीवा के लोगों के दिलों दिमाग में इस कदर छाया हुआ है।