'दलाल' अधिकारियों से रीवा जिल पंचायत फुल! इंजीनियर एस.बी. रावत के वीडियो से हड़कंप, CEO ने 7 दिन में मांगा 'सबूत या इस्तीफा'!

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्यप्रदेश के रीवा में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक-2 में पदस्थ कार्यपालन यंत्री (Executive Engineer) एस.बी. रावत के एक वायरल वीडियो ने जिला पंचायत के गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। इस वीडियो में यंत्री रावत जिला पंचायत के अधिकारियों और कर्मचारियों को सीधे तौर पर 'दलाल' बताते हुए उन पर पैसे लेकर भ्रष्टाचार से संबंधित फाइलें दबाने का गंभीर आरोप लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो को मीडिया में प्रमुखता से प्रसारित किए जाने के बाद, प्रशासन सक्रिय हो गया है और इस मामले पर उच्चस्तरीय कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
कार्यपालन यंत्री का विवादास्पद वीडियो
यंत्री एस.बी. रावत का यह वीडियो उस समय सामने आया जब वह कार्यकालीन समय में अपना बयान सार्वजनिक रूप से मीडिया को दे रहे थे। वीडियो में उनके द्वारा लगाए गए आरोपों ने सरकारी कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। किस प्रकार भ्रष्टाचार की फाइलें दबाई जा रही हैं, यह एक प्रमुख बिंदु है जिस पर रावत ने आरोप लगाया है।
रावत ने सीधे शब्दों में कहा कि:
- जिला पंचायत में कई अधिकारी और कर्मचारी 'दलाल' की भूमिका निभा रहे हैं।
- ये लोग पैसे लेकर (घूस लेकर) भ्रष्टाचार से जुड़ी फाइलों को आगे बढ़ने से रोक रहे हैं।
यह बयान न सिर्फ जिला पंचायत रीवा की छवि को धूमिल करता है, बल्कि आम जनता में शासन और प्रशासन को लेकर एक नकारात्मक धारणा पैदा कर रहा है।
जिला पंचायत सीईओ ने मांगा स्पष्टीकरण
मामले की गंभीरता को देखते हुए, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) ने तुरंत कार्यपालन यंत्री एस.बी. रावत से स्पष्टीकरण (Explanation) मांगा है। सीईओ ने जारी पत्र में एक सख्त चेतावनी दी है:
सीईओ की चेतावनी के मुख्य बिंदु:
- साक्ष्य पेश करें: यदि यंत्री के पास कोई प्रमाण है कि कोई अधिकारी या कर्मचारी फाइल दबाने में लिप्त है, तो उन्हें उन अधिकारियों के नाम के साथ अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा।
- छवि खराब करने का आरोप: यदि यंत्री तथ्यात्मक प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं, तो यह माना जाएगा कि उन्होंने बिना प्रमाण के सार्वजनिक आरोप लगाकर कार्यालय की छवि को खराब किया है।
- एकतरफा कार्रवाई की धमकी: सीईओ ने स्पष्ट किया है कि यदि समय पर (एक सप्ताह का समय समाप्त हो चुका है) संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया, तो यंत्री के खिलाफ मध्य प्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के तहत एकतरफा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे।
क्या यंत्री एस.बी. रावत साक्ष्य पेश कर पाएंगे, यह अब सबके मन में सवाल है। यंत्री ने जवाब और साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा था, जिसकी समय सीमा अब समाप्त हो चुकी है।
अधिवक्ता ने उठाई उच्चस्तरीय जांच की मांग
इस पूरे मामले में अधिवक्ता बीके माला ने हस्तक्षेप किया है और संभागीय कमिश्नर को पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें बताया गया है कि यंत्री का सार्वजनिक बयान प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
अधिवक्ता द्वारा उठाए गए प्रमुख सवाल:
- क्या यंत्री के पास तथ्यात्मक प्रमाण हैं? - क्या वे साबित कर सकते हैं कि फाइलें वास्तव में पैसे लेकर दबाई गईं?
- किन फाइलों पर है भ्रष्टाचार का संदेह? - भ्रष्टाचार से जुड़ी वे कौन-कौन सी फाइलें हैं और किस अधिकारी ने उन्हें रोका या दबाया?
अधिवक्ता माला ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की बिंदुवार जांच संभागीय कमिश्नर की निगरानी में होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों पर उचित कार्यवाही हो।