REWA का महामृत्युंजय मंदिर : यहां पूजन से अकाल मृत्यु टलने की मान्यता, असाध्य रोगों और भय से मिलती है मुक्ति

 
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REWA NEWS : सावन का महीना शुरू हो चुका है. ऐसे में रीवा के महामृत्युंजय मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस पवित्र महीने में जो भी यहां आता है उसे असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है. मंदिर को लेकर ये कभी कहा जाता है कि यहां सावन के महीने में पूजा करने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है. इस मंदिर में स्थापित स्वयंभू महामृत्युंजय को जल चढ़ाने से भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां शिवलिंग की बनावट दूसरे मंदिरों से बिल्कुल अलग है. इस मंदिर में 1,001 छिद्रों वाला शिवलिंग है. इस तरह का शिवलिंग विश्व के अन्य किसी भी मंदिर में देखने को नहीं मिलता है.

इस मंदिर में दिन में तीन बार होती है पूजा
स्वयंभू महामृत्युंजय को किसी भी वक्त याद किया जा सकता है, लेकिन इनका दिन में तीन बार पूजा और अभिषेक किया जाता है. सूरज की किरणें निकलते ही सुबह साढ़े पांच बजे, दोपहर 12 बजे मंदिर बंद होते समय और शाम को आरती के समय. इन्हें बेलपत्र, नारियल, धतूरे, मदार के फूल और पत्ते चढाकर दूध-दही और शहद अर्पित कर आरती की जाती है.

मंदिर में अलौकिक शक्ति वाले शिवलिंग की प्रतिमा
मंदिर के निर्माण और मूर्ति स्थापना का कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन महामृत्युंजय मंत्र का नाम कई ग्रंथ और पुराणों में मिलता है. महामृत्युंजय मंदिर में अलौकिक शक्ति वाले शिवलिंग की प्रतिमा मौजूद है. यह शिवलिंग अपने आप में खास हैं. ऐसा माना जाता है कि लगभग 500 साल पहले बघेल रियासत के महाराज ने यहां पर महामृत्युंजय की अलौकिक शक्ति को महसूस कर लिया था और फिर यहां पर मंदिर की स्थापना के साथ ही रियासत के किले की स्थापना करवाई गई थी.

महामृत्युंजय जाप-रुद्राभिषेक से मिलती रोगों से मुक्ति
शिव पुराण के अनुसार, देवों के देव महादेव ने महा संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की थी और इस मंत्र का गुप्त रहस्य केवल माता पार्वती को बताया था. तब से महामृत्युंजय का जाप, रुद्राभिषेक, रूद्र यज्ञ और भजन-पूजन से राजभय विद्रोह, महामारी रोग और असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है. इसके कई उदाहरण यहां देखने को मिलते हैं.

सोमवार को भक्तों की उमड़ती है भीड़
ऐसा माना जाता है कि कई साल पहले यहां से साधु-संत इस प्रतिमा को लेकर गुजर रहे थे. रात्रि विश्राम के दौरान शिव ने महामृत्युंजय की प्रतिमा को यहां छोड़कर जाने का स्वप्न दिया. इसके बाद यह प्रतिमा छोड़कर साधु-संत यहां से चले गए. मंदिर के महाराजा पुष्पराज सिंह ने बताया कि महामृत्युंजय के जाप से सभी मनोकामना पूरी होती हैं. इसी मान्यता के चलते श्रद्धालु दूर-दूर से महामृत्युंजय के दर्शन के लिए दौड़े चले आते हैं. यहां प्रतिदिन माथा टेकने के साथ ही हर सोमवार को यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

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