वायरल हुआ रीवा का 'जुलूस' डांस: गणपति पंडाल पर थिरके मुस्लिम युवा, पुलिस भी बोली- वाह भाई वाह!

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर ने एक बार फिर अपनी गंगा-जमुनी तहज़ीब की शानदार मिसाल पेश की है। शुक्रवार की रात जब पूरे शहर में पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन मिलाद-उन-नबी का भव्य जुलूस निकाला जा रहा था, तभी एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने हर किसी का दिल छू लिया। जुलूस जब शहर के प्रसिद्ध अमहिया के राजा गणपति के पंडाल के पास पहुंचा, तो हरे इस्लामिक झंडे लहराते हुए मुस्लिम युवाओं ने डीजे पर गणेश जी के भजन बजाए और उनके सामने जमकर डांस किया। इस अनोखे और दिल को छू लेने वाले घटनाक्रम का वीडियो शनिवार को सामने आने के बाद यह सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
अमहिया के राजा गणपति की भव्यता और दिव्य स्वरूप को देखने के लिए हर साल हजारों की भीड़ उमड़ती है। पंडाल के 500 मीटर के दायरे में पहले से ही जबरदस्त लाइटिंग और साउंड की व्यवस्था की गई थी, जिससे पूरा इलाका भक्तिमय माहौल में डूबा हुआ था।
एक अनोखा दृश्य: जब हरे झंडों के साथ बजे गणेश भजन
जैसे ही मिलाद-उन-नबी का जुलूस पंडाल के सामने रुका, एक अद्भुत दृश्य सामने आया। जुलूस में शामिल मुस्लिम युवाओं ने गणेश भजनों को चुना और उन पर नाचने लगे। उन्होंने विशेष रूप से "जलवा दिखाना ही होगा, बप्पा अगले बरस तुमको जल्दी आना ही होगा" जैसे गानों पर खूब ठुमके लगाए। यह नजारा देखकर दोनों समुदायों के लोग, जो वहां मौजूद थे, हैरान रह गए और उनके चेहरे पर खुशी और भावुकता के भाव साफ देखे जा सकते थे।
इस पल ने यह साबित कर दिया कि धर्म लोगों को बांटता नहीं है, बल्कि यह आपसी प्रेम और सम्मान के साथ जोड़ने का एक जरिया है। दोनों समाज के लोगों ने एक-दूसरे के प्रति गहरी श्रद्धा और सद्भाव का प्रदर्शन किया, जो रीवा की सदियों पुरानी भाईचारे की परंपरा को दर्शाता है।
पुलिस और जनता के बीच भावनाओं का संगम
मिलाद-उन-नबी के जुलूस के दौरान सुरक्षा के लिहाज से पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। जिस वक्त यह घटना हुई, पुलिसकर्मी पूरी तरह से चौकन्ने होकर अपनी ड्यूटी पर खड़े थे ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति को रोका जा सके। लेकिन जब उन्होंने खुद मुस्लिम युवाओं को गणेश भजनों पर नाचते और हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रदर्शन करते देखा, तो वे भी खुद को हँसने से रोक नहीं पाए। पुलिसकर्मी भी इस प्रेम और सद्भाव को देखकर अपनी खुशी जाहिर किए बिना नहीं रह सके। यह घटना बताती है कि समाज के सभी वर्गों के लोग शांति और सौहार्द चाहते हैं।
रीवा में सदियों पुरानी आपसी एकता की मिसाल
रीवा शहर में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग हमेशा से एक दूसरे के त्योहारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते आए हैं। यहां ईद और दिवाली हो या गणेशोत्सव और मुहर्रम, दोनों समुदाय के लोग मिलकर आयोजन करते हैं और एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ खड़े होते हैं। यह आपसी सहयोग और सद्भाव का माहौल ही रीवा को देश के अन्य हिस्सों से अलग और खास बनाता है। यह घटना सिर्फ एक वीडियो नहीं, बल्कि भारत की उस असली पहचान का प्रतीक है, जहाँ अनेकता में एकता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।
क्या है इस घटना का सामाजिक और राजनीतिक संदेश?
यह घटना उन लोगों के लिए एक करारा जवाब है जो धर्म के नाम पर समाज को बांटने और नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। यह वीडियो एक मजबूत संदेश देता है कि आपसी प्रेम और सम्मान से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। राजनीतिक दृष्टि से भी, यह घटना यह साबित करती है कि ज़मीनी स्तर पर जनता के बीच आज भी भाईचारा और सद्भाव कायम है, भले ही कुछ राजनीतिक दल अपने स्वार्थों के लिए इसे तोड़ने की कोशिश करते हों।
देश के लिए क्यों ज़रूरी हैं ऐसी घटनाएं?
आज के समय में जब समाज में धार्मिक वैमनस्य बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं, ऐसी घटनाएं उम्मीद की किरण बनकर सामने आती हैं। ये हमें याद दिलाती हैं कि हमारी संस्कृति और परंपराएं हमें हमेशा एक साथ रहने का संदेश देती हैं। रीवा में हुई यह घटना न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे हम सभी धर्मों का सम्मान करते हुए एक शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण कर सकते हैं। यह हमें बताता है कि जब तक हम सब एक-दूसरे का सम्मान करेंगे, कोई भी हमें बांट नहीं पाएगा।