रीवा में 'बेटी बचाओ' सिर्फ नारा? 'प्रार्थना अस्पताल' में धड़ल्ले से लिंग जांच, प्रशासन इतना अंधा कैसे?

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के एक निजी अस्पताल, 'प्रार्थना अस्पताल', से जुड़ा एक सनसनीखेज वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया है, जिसने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है। यह वीडियो खुलेआम अवैध भ्रूण लिंग जांच का पर्दाफाश कर रहा है, जहाँ कथित तौर पर पैसों के लिए गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग का खुलासा किया जा रहा है। इस मामले ने न केवल प्रशासन, बल्कि पूरे स्वास्थ्य और कानूनी तंत्र पर सीधे सवाल खड़े कर दिए हैं।
वायरल वीडियो: 'गुड़िया' नर्स की चौंकाने वाली कबूलनामा
वायरल हो रहे वीडियो में 'गुड़िया' नाम की एक नर्स एक महिला से फोन पर बातचीत कर रही है, जिसमें भ्रूण लिंग परीक्षण की पूरी 'डील' तय हो रही है। नर्स बेखौफ होकर कह रही है, "ये तो रोज का काम है, पूरी तरह से बता दिया जाएगा कि लड़की है या लड़का।" जब महिला टेस्ट की सटीकता पूछती है, तो नर्स आत्मविश्वास से जवाब देती है कि उन्हें सब कुछ स्पष्ट पता चल जाएगा।
15 हजार में तय हुई 'जिंदगी-मौत की डील'?
पैसों को लेकर भी चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। नर्स बताती है कि चूँकि फोन करने वाली महिला उसकी परिचित है, इसलिए 14-15 हजार रुपये में काम हो जाएगा, जबकि दूसरों से ज़्यादा पैसे लिए जाते हैं। नर्स यहाँ तक कहती है, "पैसे मैडम लेती हैं, वो गरीबों का काम नहीं करतीं।" बातचीत में यह भी सामने आता है कि अमिलिया गाँव से एक और महिला आने वाली है, जिससे यह जाहिर होता है कि यह गोरखधंधा बड़े पैमाने पर चल रहा है।
सिस्टम पर सीधा सवाल: 'प्रार्थना अस्पताल' का लाइसेंस अब तक रद्द क्यों नहीं?
यह वीडियो सामने आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि 'प्रार्थना अस्पताल' जैसे संस्थानों का लाइसेंस अब तक रद्द क्यों नहीं किया गया है? ऐसे गंभीर आरोप लगने के बावजूद, संबंधित डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ अब तक कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं हुई है? क्या ऐसे अस्पताल खुलेआम कानून का मखौल उड़ाते रहेंगे और प्रशासन आँखें मूँदे रहेगा?
रीवा कलेक्टर ने भले ही जांच के आदेश दिए हों, लेकिन यह सवाल उठना लाजमी है कि इतना बड़ा खेल वर्षों से कैसे चल रहा था और प्रशासन को इसकी भनक क्यों नहीं लगी? यह मामला सीधे तौर पर स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर उँगली उठाता है।
नवजात शवों का रहस्य और 'प्रार्थना अस्पताल' का कनेक्शन?
इस मामले को और भी भयावह बनाती हैं रीवा में पिछले कुछ महीनों से लगातार मिल रहे नवजात शिशुओं के शवों की घटनाएँ। 20 फरवरी को कुलौरा गांव में कुत्ते द्वारा नोची गई नवजात बच्ची का अधखाया शव, 25 फरवरी को बस स्टैंड पर मिला शव, 11 मार्च को कबाड़ी मोहल्ले में कुत्ते के मुँह में दबा नवजात का शव, और 26 अप्रैल को पडरहा गांव में पॉलीथिन में बंद नवजात का शव... क्या इन दिल दहला देने वाली घटनाओं का संबंध 'प्रार्थना अस्पताल' जैसे केंद्रों में चल रही अवैध लिंग जांच और उसके बाद होने वाली कन्या भ्रूण हत्या से तो नहीं है? यह सवाल अब आम जनता के मन में भी उठ रहा है।
यह सिर्फ 'प्रार्थना अस्पताल' का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम की नाकामी का प्रतीक है। क्या प्रशासन इस बार सख्त कदम उठाएगा, या यह मामला भी पिछली घटनाओं की तरह सिर्फ जाँच के आदेशों तक ही सिमट कर रह जाएगा? जनता को जवाब चाहती है!