रीवा में पानी के लिए हाहाकार: जनप्रतिनिधियों की बैठकें शुरू, फिर भी हालात बेकाबू

रीवा जिले में अप्रैल की चिलचिलाती गर्मी के साथ ही जल संकट विकराल रूप लेता जा रहा है। जिले के मनगवां, त्योथर, हनुमना और गुढ़ जैसे इलाकों में पानी की भारी किल्लत देखने को मिल रही है। कई गांवों में 3 से 5 दिनों तक पानी की आपूर्ति नहीं हुई, जिससे लोग बुरी तरह परेशान हैं।
टैंकरों के पीछे भाग रही जनता, हैंडपंप सूखे
- मनगवां क्षेत्र के गांवों में महिलाएं 2-3 किलोमीटर तक सिर पर मटके लेकर पानी भरने जाती हैं।
- त्योथर में 40% हैंडपंप सूख चुके हैं, और पाइपलाइनों में कई जगह लीकेज है।
- पानी के टैंकर सिर्फ चुनिंदा घरों तक पहुंच रहे हैं, जिससे भेदभाव के आरोप भी लगे हैं।
जनप्रतिनिधियों की बैक-टू-बैक बैठकें शुरू
जनता की नाराजगी को देखते हुए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने आपात बैठकें शुरू कर दी हैं।
त्योथर और मनगवां विधायक, साथ ही रीवा सांसद ने आज अधिकारियों के साथ जल संकट पर मंथन किया।
- बैठक में ये तय हुआ:
- अस्थायी बोरवेल स्वीकृत किए जाएं
- अतिरिक्त टैंकर लगाए जाएं
- खराब पाइपलाइन की मरम्मत तुरंत हो
- जल वितरण की निगरानी हेतु ग्राम समिति बने
हर साल क्यों होता है रीवा में जल संकट?
- जल स्रोतों का सीमित उपयोग और अतिक्रमण
- भू-जल स्तर लगातार गिरता जा रहा
- जल संरक्षण की योजनाएं सिर्फ फाइलों में
- पाइपलाइन और फिल्टर प्लांट अधूरे पड़े
जनता की आवाज:
“सिर्फ बैठकों से पेट और प्यास नहीं भरती… हमें पानी चाहिए, वो भी समय पर।”
– रमाबाई पटेल, वार्ड 6, मनगवां
“हर साल वही प्रॉमिस, लेकिन हालत और बदतर हो रही।”
– राजेश सिंह, त्योथर निवासी
जल संकट पर नहीं उठाया ठोस कदम, तो होगा आंदोलन
स्थानीय संगठनों और युवाओं ने चेताया है कि यदि जल संकट पर जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो वे जल सत्याग्रह या सड़कों पर प्रदर्शन शुरू करेंगे। प्रशासन पर जल आपूर्ति की निगरानी करने और वैकल्पिक व्यवस्था लागू करने का दबाव भी बढ़ रहा है।
निष्कर्ष:
रीवा में पानी अब केवल सुविधा नहीं, एक संघर्ष बन चुका है।
यदि प्रशासन और जनप्रतिनिधि अब भी कागज़ी बैठकों से आगे न बढ़े, तो यह जल संकट आने वाले दिनों में सामाजिक अशांति का रूप ले सकता है।