पढ़ाई बर्बाद, सिफारिश कामयाब! रीवा में 'अंगूठा छाप' चला रहे हैं MRI-CT मशीनें: श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में बड़ा फर्जीवाड़ा

 
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ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों क्षेत्रों में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहाँ के डीन ने CT स्कैन और MRI मशीनों जैसे संवेदनशील उपकरणों को चलाने के लिए ऐसे लोगों को नियुक्त किया है, जिनके पास इन मशीनों को चलाने का कोई प्रमाणपत्र या अनुभव नहीं है। चौंकाने वाली बात यह है कि ये नियुक्तियाँ उन उम्मीदवारों की अनदेखी करके की गई हैं जिन्होंने विशेष रूप से इन मशीनों को चलाने का सर्टिफिकेट कोर्स किया है।

इस फ़र्ज़ीवाड़े ने न केवल योग्य उम्मीदवारों के सपनों पर पानी फेरा है, बल्कि मरीज़ों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है। इन महंगी और जटिल मशीनों का गलत तरीके से संचालन मरीज़ों के लिए जोखिम भरा हो सकता है, और गलत रिपोर्टिंग का सीधा असर उनके इलाज पर पड़ सकता है।

डीन का गोलमाल: क्या है पूरा मामला?
श्याम शाह मेडिकल कॉलेज से एक दर्जन से अधिक छात्रों ने CT और MRI का सर्टिफिकेट कोर्स पूरा किया है। इन छात्रों को उम्मीद थी कि कोर्स पूरा होने के बाद उन्हें कॉलेज के ही अस्पताल में नौकरी मिलेगी, खासकर जब वहाँ नई मशीनें लगाई गई थीं। छात्रों ने नौकरी के लिए डीन को आवेदन भी दिए थे, लेकिन उनके आवेदनों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

इसके बजाय, अस्पताल प्रशासन ने एक्सरे टेक्नीशियन के कोर्स किए हुए लोगों को इन पदों पर रख लिया। जानकारी के अनुसार, इनमें से कई तो ऐसे हैं जिन्हें मशीन के संचालन की बेसिक जानकारी भी नहीं है। यह आरोप भी लगाए गए हैं कि कुछ कर्मचारी तो निरक्षर हैं और उन्हें सिफारिश के आधार पर नौकरी दी गई है। यह स्थिति न केवल चिकित्सा शिक्षा के मानकों का उल्लंघन है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे नौकरियों में योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार किया जा रहा है।

छात्रों का भविष्य खतरे में: सर्टिफिकेटधारी बेकार, एक्सरे वाले चलाएं मशीन
जिन छात्रों ने CT और MRI जैसे विशेष क्षेत्रों में कौशल विकसित करने के लिए मेहनत की, आज वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उनके सर्टिफिकेट अब बेकार हो गए हैं, क्योंकि उनकी जगह उन लोगों को दी गई है जिनके पास कोई योग्यता नहीं है।

यह मामला केवल कुछ व्यक्तियों की नौकरी का नहीं है, बल्कि यह हमारे पूरे सिस्टम की विफलता को उजागर करता है। जब एक सरकारी संस्थान ही इस तरह के फर्जीवाड़े में लिप्त होता है, तो योग्य युवाओं का सरकारी नौकरी से विश्वास उठ जाता है। यह मामला डिप्टी सीएम के अपने जिले में हुआ है, जिससे इसकी गंभीरता और भी बढ़ जाती है।

यह ज़रूरी है कि इस मामले की तुरंत जाँच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। योग्य उम्मीदवारों को उनका हक मिलना चाहिए और अयोग्य लोगों को तत्काल इन पदों से हटाना चाहिए, ताकि मरीज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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