सोहागी घाट: मौतों का सिलसिला जारी! 20 करोड़ के वादे और 'कागज़ी घोड़े' दौड़ाता प्रशासन, आखिर कब रुकेगा ये 'मौत का खेल'? प्रशासन की अनदेखी का भयावह सच!

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) प्रयागराज-रीवा हाईवे पर स्थित सोहागी घाट, जिसे अब लोग 'मौत की घाटी' कहने लगे हैं, प्रशासन की घोर लापरवाही और अनदेखी का जीता-जागता सबूत बन चुका है. 4 जून 2025 को एक ही परिवार के 7 लोगों की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक यह सिलसिला चलेगा? पिछले 6 सालों में 480 से ज़्यादा हादसों में 100 से अधिक जानें जा चुकी हैं, लेकिन प्रशासन की नींद टूटती नहीं दिख रही है.
कागज़ी घोड़े दौड़ाता प्रशासन, जनता की जान दांव पर
सोहागी घाट की जानलेवा स्थिति कोई नई बात नहीं है. स्थानीय आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी सालों से इसकी ख़राब सड़क गुणवत्ता और डिज़ाइन की खामियों को लेकर आवाज़ उठाते रहे हैं. उन्होंने बताया कि सड़कों की ज्यामिति और डिज़ाइन को लेकर शिकायत के बाद एक 5 सदस्यीय जांच टीम बनाई गई और मजिस्ट्रियल जांच भी हुई. इस जांच रिपोर्ट में प्रशासन ने खुद खामियों को स्वीकारा और सुधार की सिफारिश भी की, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि वह रिपोर्ट आज तक पेश नहीं की गई!
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के अधिकारियों ने ब्लैक स्पॉट तो चिह्नित कर लिए, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस और स्थायी सुधार नहीं किए गए. कुछ लीपापोती वाले कामों के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है. यह सीधे तौर पर दिखाता है कि प्रशासन की प्राथमिकता में लोगों की सुरक्षा नहीं, बल्कि कागज़ी खानापूर्ति ही है. जब जांच रिपोर्ट ही सालों तक धूल फांकती रहे और सिफारिशों पर अमल न हो, तो जनता अपनी सुरक्षा के लिए किससे उम्मीद करे?
20 करोड़ का एस्टीमेट और 24 घंटे का अनाउंसमेंट: क्या ये सिर्फ दिखावा है?
4 जून के भीषण हादसे के बाद रीवा एसपी विवेक कुमार ने सोहागी घाट का दौरा किया और कुछ कदम उठाने की बात कही है. उन्होंने खतरनाक मोड़ों को चौड़ा करने के लिए करीब 20 करोड़ रुपये का एस्टीमेट जारी करने की बात कही है. संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर रोड सेफ्टी और चेतावनी बोर्ड लगाने की बात कही गई है और सोहागी टोल प्लाजा पर चौबीस घंटे रोड सेफ्टी के बारे में अनाउंसमेंट भी हो रहा है.
सवाल यह है कि ये कदम इतने सालों बाद क्यों उठाए जा रहे हैं, जब सैकड़ों जानें जा चुकी हैं? क्या 20 करोड़ रुपये का एस्टीमेट सिर्फ कागज़ों पर ही रहेगा, जैसे पिछली जांच रिपोर्ट दब गई? एक तरफ़ प्रशासन 24 घंटे अनाउंसमेंट करवा रहा है कि घाटी खतरनाक है, लेकिन दूसरी तरफ़ उसे सुरक्षित बनाने के लिए सालों से ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए? क्या प्रशासन यह मान चुका है कि सोहागी घाट खतरनाक रहेगा और लोगों को सिर्फ सावधानी बरतने के लिए कहा जाए, बजाय इसके कि उस खतरे को ही जड़ से खत्म किया जाए?
विशेषज्ञ बताते हैं खामियां, प्रशासन करता है अनदेखी
सड़क सुरक्षा ऑडिटर और विदिशा के सम्राट अशोक तकनीकी संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राकेश मेहर जैसे विशेषज्ञों ने सोहागी घाट की इंजीनियरिंग खामियों को विस्तार से बताया है:
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खड़ी ढलान (Steep Gradient): सड़क की ढलान −0.40% से 5.99% तक है, जो ब्रेक फेल होने का बड़ा कारण है.
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कम टर्निंग रेडियस: मोड़ का घुमाव IRC गाइडलाइन से काफी कम है, जिससे गाड़ियां पलटने का खतरा बढ़ जाता है.
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खराब विजिबिलिटी और गड्ढे: रात में प्रकाश की कमी और ओवरलोड वाहनों से बनीं असमान सड़कें भी हादसों की वजह हैं.
ये तकनीकी खामियां सालों से मौजूद हैं और विशेषज्ञों द्वारा उजागर की जा रही हैं, लेकिन प्रशासन इन पर कोई गंभीर कार्रवाई नहीं कर रहा है. ऐसा लगता है कि प्रशासन को किसी बड़े राजनीतिक दबाव या जनता के व्यापक विरोध का इंतज़ार है, तभी शायद यह 'मौत की घाटी' सुरक्षित हो पाएगी. स्थानीय लोगों का साफ कहना है कि जब तक NHAI सड़कों की ज्यामिति और डिज़ाइन को ठीक नहीं करेगा, तब तक हादसों पर नियंत्रण पाना संभव नहीं है.
सोहागी घाट पर लगातार हो रही मौतें प्रशासन की अक्षमता और जनता के प्रति उसकी उदासीनता का स्पष्ट प्रमाण हैं. यह बेहद शर्मनाक है कि सैकड़ों जिंदगियां जाने के बाद भी ठोस और प्रभावी कार्रवाई सिर्फ वादों और कागज़ी एस्टीमेट तक ही सिमटी हुई है.
क्यों इतना खतरनाक है सोहागी घाट? विशेषज्ञों ने बताई चौंकाने वाली वजहें!
रीवा न्यूज़ मीडिया ने विशेषज्ञों की मदद से सोहागी घाट पर हो रहे लगातार हादसों की पड़ताल की है. आइए जानते हैं इसके पीछे के मुख्य कारण:
1. मौत के तीन ब्लैक स्पॉट: यहाँ हर मोड़ पर खतरा!
सोहागी घाट पर ऐसे तीन बिंदु हैं जहाँ खतरा सबसे ज़्यादा है:
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पॉइंट A (अड़गड़नाथ मंदिर के पास S-टर्न): रीवा से प्रयागराज की ओर जाते समय यहाँ 'S' आकार के दो ब्लाइंड टर्न हैं. यहाँ से सिर्फ 50 मीटर आगे की गाड़ियां भी दिखाई नहीं देतीं. साथ ही, तेज़ ढलान के कारण गाड़ियों की गति बढ़ जाती है, जिससे आमने-सामने की टक्कर और गाड़ी पलटने का खतरा बना रहता है.
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पॉइंट B (तीखा राइट कर्व): यहाँ एक तीखा दाहिना मोड़ है जहाँ ढलान बहुत तेज़ है और सड़क का घुमाव (रेडियस) मानक से कम है. तेज़ गति के कारण इस मोड़ पर अक्सर वाहनों के ब्रेक फेल हो जाते हैं और टर्न एरिया कम होने के कारण गाड़ी पलटने की आशंका बनी रहती है.
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पॉइंट C (U-आकार का लेफ्ट टर्न): यह अंग्रेजी के 'U' अक्षर जैसा बायां मोड़ है. यहाँ सड़क की ढलान (ग्रेडिएंट्स) सबसे ज़्यादा है. बस, ट्रक या अन्य भारी वाहनों के लिए यह जगह सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि घाट चढ़ते समय सबसे ज़्यादा चढ़ाई और तीखा मोड़ यहीं पर है. यही वजह है कि यहाँ गाड़ियों के ब्रेक फेल होने और पलटने का खतरा सबसे ज़्यादा रहता है.
2. हादसों के चार बड़े कारण: इंजीनियरिंग खामियों से लेकर मानवीय भूल तक!
हादसों के पीछे सिर्फ भौगोलिक कारण ही नहीं, बल्कि कई अन्य फैक्टर भी ज़िम्मेदार हैं:
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खड़ी ढलान (Steep Gradient): विदिशा के सम्राट अशोक तकनीकी संस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राकेश मेहर के शोध के अनुसार, सोहागी घाट में सड़क की ढलान −0.40% से 5.99% तक है. यह ब्रेकिंग एफिशिएंसी को कम करती है, जिससे ब्रेक फेल होते हैं. जबकि राजमार्गों पर अधिकतम ढलान आमतौर पर 6% से 8% तक होनी चाहिए.
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कम टर्निंग रेडियस (Turning Radius): रोड सेफ्टी ऑडिटर डॉ. राकेश बताते हैं कि घाट सेक्शन में तीन ऐसे मोड़ हैं जिनका टर्निंग रेडियस (घुमाव का फैलाव) सिर्फ 100 से 150 मीटर है. इंडियन रोड कांग्रेस (IRC) की गाइडलाइन के अनुसार यह 200 से 250 मीटर होना चाहिए. कम रेडियस के कारण गाड़ियों को ज़्यादा मुड़ना पड़ता है, जिससे पलटने की संभावना बढ़ जाती है.
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खराब विजिबिलिटी और गड्ढे: सोहागी घाट पर रात में रोशनी की कमी और चेतावनी संकेतों का अभाव एक बड़ी समस्या है. इसके अलावा, ओवरलोड वाहनों के लगातार चलने से सड़क पर गहरे गड्ढे और असमान सतह (एक तरह की नाली) बन गई है, जो रास्ते को और खतरनाक बना देती है. इससे गाड़ियों का संतुलन बिगड़ता है और हादसे होते हैं.
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मानवीय भूल (Human Error): अधिकांश हादसे मानवीय गलतियों के कारण होते हैं. घाटी पर तेज़ गति से गाड़ी चलाना, चेतावनी संकेतों को अनदेखा करना, वाहन चलाते समय नींद आ जाना, ओवरलोड वाहन ले जाना, गाड़ियों का सही रखरखाव न करना और सड़क किनारे कहीं भी गाड़ी पार्क कर देना भी बड़े हादसों की वजह बनते हैं.
बड़े हादसे जिनकी 'मौत की घाटी' ने ली जान
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4 जून 2025: ऑटो पर पलटा ट्रॉला, एक परिवार के 7 लोगों की मौत: रीवा के नईगढ़ी का जायसवाल परिवार प्रयागराज से गंगा स्नान कर लौट रहा था, तभी सोहागी घाट पर एक ट्रॉला उनके ऑटो पर पलट गया. ऑटो में सवार 10 लोगों में से 7 की मौत हो गई, जिससे पूरा परिवार खत्म हो गया. गांव में एक साथ सात चिताएं जलीं.
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22 अक्टूबर 2022: बस-ट्रक टक्कर में 15 मज़दूरों की मौत: तड़के 3 बजे हैदराबाद से गोरखपुर जा रही एक बस गिट्टी से भरे ट्रक और एक कार से टकरा गई. इस भीषण हादसे में 15 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और 35 से ज़्यादा घायल हुए. बस में सवार सभी लोग दिवाली मनाने अपने घरों को लौट रहे थे.
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2 दिसंबर 2020: बेकाबू ट्रक ने 5 टोलकर्मियों को कुचला: गिट्टी से भरे एक बेकाबू ट्रक ने 5 टोलकर्मियों को कुचल दिया, जिसमें 3 की मौके पर ही मौत हो गई.
प्रशासन क्या कर रहा है? और क्या ये काफी है?
आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी कई सालों से सड़क की गुणवत्ता और डिज़ाइन को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं. उन्होंने बताया कि मजिस्ट्रियल जांच में खामियों को स्वीकार किया गया, लेकिन रिपोर्ट आज तक पेश नहीं हुई और ज़मीनी स्तर पर ज़्यादा सुधार नहीं हुआ है.
हालांकि, 4 जून के दर्दनाक हादसे के बाद रीवा एसपी विवेक कुमार ने सोहागी घाट का निरीक्षण किया है. उन्होंने बताया कि खतरनाक मोड़ों को चौड़ा करने के लिए करीब 20 करोड़ रुपये का एस्टीमेट जारी किया जा रहा है. घाट पर रोड सेफ्टी और चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं, और सोहागी टोल प्लाजा पर चौबीस घंटे रोड सेफ्टी के लिए अनाउंसमेंट भी हो रहा है.
सवाल यह है कि क्या ये कदम हादसों को रोकने के लिए काफी होंगे, या फिर इस 'मौत की घाटी' को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए बड़े पैमाने पर संरचनात्मक बदलावों की ज़रूरत है?
मध्य प्रदेश के अन्य 'ब्लैक स्पॉट' जहाँ मौत का खतरा मंडराता है:
सोहागी घाट के अलावा मध्य प्रदेश में कई ऐसे घाट हैं जहाँ अक्सर सड़क दुर्घटनाएं होती हैं:
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गणेश घाट (धार-धामनोद NH3): पहले यह एक बड़ा ब्लैक स्पॉट था. NHAI ने सुधार किए और बाईपास भी बनाया.
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खूबत घाटी (शिवपुरी): कई सालों से इसे ब्लैक स्पॉट घोषित किया गया है, बावजूद इसके यहाँ हादसे जारी हैं.
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जौरासी घाटी (ग्वालियर से डबरा): यहाँ हाईवे पर एक टर्न है जहाँ से आगे का रास्ता नहीं दिखता, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं.
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गवाघाटी (एबी रोड): यहाँ सड़क की चौड़ाई कम है, कट पॉइंट संकरा है और रात में अंधेरा रहता है.
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छुहिया घाटी (रीवा-शहडोल मार्ग): इस घाटी में कई घुमावदार मोड़ और खड़ी चढ़ाई है. यहाँ अब सुरंग बनाने की योजना है.
यह देखना होगा कि क्या सोहागी घाट को सच में 'डेथ वैली' के टैग से मुक्ति मिल पाएगी, या यहाँ अनमोल जिंदगियां यूँ ही खत्म होती रहेंगी?