रीवा शिक्षा विभाग में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला! पूर्व DEO गंगा प्रसाद उपाध्याय की संलिप्तता, रातों-रात 16 फर्जी नियुक्तियां! : कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे!

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो)  रीवा अनुकंपा नियुक्ति घोटाले की परतें जैसे-जैसे खुल रही हैं, चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। इस मामले में अब सीधे तौर पर पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) गंगा प्रसाद उपाध्याय संदेह के घेरे में आ गए हैं। निलंबित अनुकंपा नियुक्ति प्रभारी रमाप्रशन्न द्विवेदी के फरार होने के बाद शुरू हुई जांच ने शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर कर दिया है।

ताला टूटा, 32 नियुक्तियां सामने, 16 पर फर्जीवाड़े का शक

यह सब तब शुरू हुआ जब कलेक्टर रीवा के निर्देश पर, फरार चल रहे रमाप्रशन्न द्विवेदी के बंद कार्यालय कक्ष का ताला तोड़ा गया। इस कक्ष में पिछले तीन वर्षों की अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित महत्वपूर्ण फाइलें बंद थीं। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) रीवा द्वारा गठित एक समिति ने अब तक कुल 32 अनुकंपा नियुक्तियों को पंजीकृत किया है, जिन्हें गहन जांच के लिए सौंप दिया गया है। शुरुआती आकलन के मुताबिक, यदि इन नियुक्तियों का निष्पक्ष और सूक्ष्मता से परीक्षण किया जाता है, तो इनमें से कम से कम 16 नियुक्तियां फर्जी पाई जा सकती हैं। यह आंकड़ा ही घोटाले की भयावहता बताने के लिए काफी है।

गंगा प्रसाद उपाध्याय के कार्यकाल की 'अवैध' नियुक्तियां

जांच में कुछ नियुक्तियां प्रथम दृष्टया ही अवैध और नियमों के विरुद्ध पाई गई हैं, और सूत्रों का कहना है कि ये नियुक्तियां सीधे तौर पर पूर्व DEO गंगा प्रसाद उपाध्याय के कार्यकाल से जुड़ी हैं। जिन दो नियुक्तियों पर पुलिस द्वारा जल्द ही FIR दर्ज करने की तैयारी है, वे भी उपाध्याय के समय की ही बताई जा रही हैं:

  • अवधेश: इन्हें 2024 में अनुकंपा नियुक्ति दी गई है, जिसमें नियमों की गंभीर अनदेखी सामने आई है। शुरुआती जांच में पता चला है कि अवधेश को 'दत्तक पुत्र' के रूप में नियुक्ति प्रदान की गई है, जबकि मध्य प्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति के निर्धारित मानदंडों के तहत दत्तक पुत्र को इस तरह का लाभ नहीं मिलता, खासकर तब जब गोद लेने की प्रक्रिया मृतक कर्मचारी के जीवनकाल में विधिवत पूरी न की गई हो। अवधेश के पिता कौन हैं, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है, जो इस नियुक्ति को और संदिग्ध बनाता है। इस मामले पर पुलिस कार्रवाई की तलवार लटक रही है।

  • साधना कोल (पिता सुखलाल कोल): इन्हें 13 मार्च 2024 को अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। साधना कोल, जो कन्या गंगेव हाई स्कूल में पदस्थ थीं, इस खुलासे के बाद से फरार चल रही हैं।

एक ही परिवार को दोहरा लाभ: बड़ा सवाल!

घोटाले में एक और बड़ा खुलासा साधना कोल के मामले से जुड़ा है। उनके भाई अंगेश कोल को वर्ष 2020 में आर.एन. पटेल द्वारा पहले ही अनुकंपा नियुक्ति मिल चुकी थी। इसके बावजूद, उसी पिता (सुखलाल कोल) के नाम पर साधना कोल को दूसरी अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई। यह नियमों का सीधा उल्लंघन है और दिखाता है कि कैसे कुछ अधिकारियों ने मिलीभगत कर एक ही परिवार को दो बार अनुकंपा का लाभ पहुँचाया। अंगेश कोल वर्तमान में कन्या पाण्डेन टोला में पदस्थ हैं।

उच्चाधिकारियों पर गिरेगी गाज?

यह पूरा मामला रीवा के शिक्षा विभाग में व्याप्त गहरे भ्रष्टाचार और नियुक्ति प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हुई धांधली को उजागर कर रहा है। निलंबित अधिकारी की फरारी और कमरे से मिली फाइलों ने घोटाले की परतें खोल दी हैं। अब सभी की निगाहें पुलिस और जांच समिति पर टिकी हैं कि वे कितनी निष्पक्षता से जांच करते हैं और कब तक इस बड़े घोटाले के सभी मास्टरमाइंड्स, जिनमें पूर्व DEO गंगा प्रसाद उपाध्याय जैसे नाम शामिल हैं, को कानून के शिकंजे में लाते हैं। यह तो जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सिद्ध होगा, लेकिन यह तय है कि कई बड़े नामों पर गाज गिरना तय है।

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