शहर के 'गुप्त रोग विशेषज्ञ' बने 'यमरोग विशेषज्ञ'! रीवा में झोलाछाप डॉक्टरों का आतंक, क्या स्वास्थ्य विभाग सो रहा है?

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो)  रीवा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था दम तोड़ रही है। मुख्यमंत्री के सख्त आदेशों के बावजूद, शहर से लेकर गांव तक 'झोलाछाप डॉक्टरों' का साम्राज्य बेखौफ फल-फूल रहा है, और मरीजों की जान से खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में खुद को 'गुप्त रोग विशेषज्ञ' या 'मेडिसिन स्पेशलिस्ट' बताने वाले फर्जी डॉक्टरों ने लोगों को गुमराह कर अपनी दुकानें जमा ली हैं, और प्रशासन इस मानव जनसंहार पर आंखें मूंदे बैठा है!

शहर में 'डिग्री नहीं, धंधा': 'गुप्त रोग विशेषज्ञ' बनकर लूट रहे जान और माल!

रीवा शहर के हर गली-मोहल्ले में अब ऐसे 'झोलाछाप' देखे जा सकते हैं, जिनके पास न कोई वैध मेडिकल डिग्री है और न ही भारतीय चिकित्सा परिषद (या अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) में रजिस्ट्रेशन। ये लोग बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर खुद को 'गुप्त रोग विशेषज्ञ' या 'मेडिसिन स्पेशलिस्ट' बताते हैं और भोले-भाले शहरी लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। इनके क्लीनिकों में मरीजों की भीड़ लगी रहती है, जहां ये न केवल गलत इलाज कर रहे हैं, बल्कि इंजेक्शन, खून की बोतलें और यहां तक कि छोटे-मोटे ऑपरेशन भी कर रहे हैं, जिससे मरीजों की जान सीधे खतरे में पड़ रही है।

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इनमें से कई 'बंगाली डॉक्टरों' के नाम से जाने जाते हैं, जो बिना किसी वैध योग्यता के लोगों की बीमारियों को और गंभीर बना रहे हैं। हमारी टीम जब इन क्लीनिकों पर पहुंची, तो कई फर्जी डॉक्टर क्लीनिक छोड़कर भाग निकले – यह उनकी अवैध गतिविधियों का जीता-जागता सबूत है।

स्वास्थ्य विभाग: 'मूकदर्शक' या 'मिलीभगत'? अधिकारियों पर भी कसेगा BNS का शिकंजा!

सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि स्वास्थ्य विभाग, जिसमें CMHO और BMO जैसे जिम्मेदार अधिकारी शामिल हैं, इस पूरी 'मौत के कारोबार' पर मूकदर्शक बना हुआ है। अधिकारी सिर्फ नोटिस भेजकर या इक्का-दुक्का क्लीनिक पर खानापूर्ति कर मामले को रफा-दफा कर देते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकारियों के संज्ञान में सब कुछ होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। क्या प्रशासन किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहा है? जब मुख्यमंत्री तक निर्देश दे चुके हैं, तो फिर ये चुप्पी क्यों?"

माला ने आगे कहा, "इन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई न होना सीधे-सीधे जनता की जान के साथ खिलवाड़ है। इससे स्पष्ट है कि या तो अधिकारी गंभीर नहीं हैं, या फिर मिलीभगत है।"

कानून का 'हंटर' चलेगा: BNS की धाराओं में होगी सीधी कार्रवाई!

अब वक्त आ गया है कि इन 'मौत के सौदागरों' और उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) और अन्य संबंधित कानूनों के तहत कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो।

  • गैर-पंजीकृत डॉक्टरों पर BNS की संभावित धाराएं:

    • BNS धारा 319 (धोखाधड़ी और बेईमानी): बिना वैध डिग्री या रजिस्ट्रेशन के खुद को डॉक्टर बताकर इलाज करना और पैसे लेना सीधे तौर पर धोखाधड़ी है।

    • BNS धारा 106 (लापरवाही से मृत्यु): यदि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज से किसी मरीज की मृत्यु होती है, तो उन पर गैर-इरादतन हत्या का आरोप लगेगा।

    • BNS धारा 117 (घोर उपहति पहुंचाना जिससे जीवन को खतरा हो): यदि उनके इलाज से मरीज को गंभीर शारीरिक क्षति या जीवन का खतरा होता है।

    • BNS धारा 107/108 (उपहति पहुंचाना): सामान्य चोट पहुंचाने या स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने पर भी ये धाराएं लागू होंगी।

    • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 और राज्य के क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट्स: इन अधिनियमों के तहत अवैध प्रैक्टिस पर भारी जुर्माना और क्लीनिक बंद करने का प्रावधान है।

  • कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों पर BNS का शिकंजा:

    • BNS धारा 173 (लोक सेवक द्वारा विधि के अधीन निदेश की अवज्ञा): CMHO, BMO और अन्य संबंधित अधिकारी, जो मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद इन अवैध क्लीनिकों पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, सीधे तौर पर इस धारा के दायरे में आएंगे। यह कर्तव्य में जानबूझकर की गई लापरवाही है।

    • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988: यदि यह साबित होता है कि अधिकारियों ने पैसे लेकर या किसी अन्य लाभ के लिए इन अवैध गतिविधियों को संरक्षण दिया है, तो उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगेंगे।

    • सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई: ऐसे लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारियों को निलंबित किया जा सकता है, उनकी पदोन्नति रोकी जा सकती है, और उन्हें सेवा से बर्खास्त भी किया जा सकता है।

यह बेहद चिंताजनक है कि जब पत्रकार सच्चाई सामने लाने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें ही आरोपों का सामना करना पड़ता है। क्या सच दिखाना अब 'अपराध' हो गया है?

जनता की मांग है कि स्वास्थ्य मंत्री, कलेक्टर और सीएमएचओ इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। इन सभी अवैध क्लीनिकों पर तत्काल सख्त कार्रवाई हो, उन्हें सील किया जाए और उनके संचालकों को BNS की धाराओं के तहत जेल भेजा जाए। अन्यथा, यह लापरवाही एक दिन रीवा में बड़े जनसंहार का कारण बन सकती है!

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