कमीशनखोरों ने डुबोया रीवा! 36 घंटे की बारिश में शहर बना टापू, अधिकारी-ठेकेदार की मिलीभगत से विनाश का मंजर

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) पिछले 36 घंटों से हो रही मूसलाधार बारिश ने रीवा शहर में जो तबाही मचाई है, वह प्राकृतिक आपदा से कहीं ज़्यादा अव्यवस्था, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का परिणाम है. बीहर नदी का रौद्र रूप हो या शहर के हर मोहल्ले में भरा घुटनों तक पानी, यह सब उन अधिकारियों और ठेकेदारों की देन है, जिनकी नज़र सिर्फ कमीशन पर थी, विकास की गुणवत्ता पर नहीं. पूरा रीवा शहर आज पानी-पानी है, कई मोहल्ले पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं, और आलम यह है कि लोग घरों में कैद हैं, न कोई आ सकता है और न कोई जा सकता है.
अधूरा 'विकास' बना विनाश का कारण
करोड़ों-अरबों रुपये के विकास कार्यों के नाम पर रीवा में सिर्फ खानापूर्ति हुई है. बीहर नदी के टापू पर बने ईको एडवेंचर पार्क और साबरमती की तर्ज पर तैयार रिवर फ्रंट जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाएं भी पहली ही जोरदार बारिश में पानी में समा गईं. यह पहला मौका नहीं है जब ईको पार्क डूबा हो, लेकिन रिवर फ्रंट का जलमग्न होना यह साबित करता है कि अदूरदर्शिता और अनियोजित निर्माण ने शहर को इस हाल तक पहुंचाया है. डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला ने हवाई मुआयना कर हालात का जायजा तो लिया, लेकिन जमीनी हकीकत चीख-चीख कर बता रही है कि शहर में किस कदर भ्रष्टाचार का 'पानी' भरा हुआ है.
मोहल्लों का हाल बेहाल: टापू बने घर, जान जोखिम में
शहर के हर गली-मोहल्ले का बुरा हाल है. वार्ड क्रमांक 8 के चेलवा टोला में तो ठेकेदार ने सड़क किनारे ऐसी ऊँची नाली बना दी है कि पूरा मोहल्ला ही टापू बन गया है. पानी निकलने का कोई रास्ता नहीं है, और लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं. वार्ड पार्षद से मदद मांगने पर भी कोई राहत नहीं मिली, जो नगर सरकार पर भी सवाल खड़े करता है.
खैरा गांव में स्थिति इतनी भयावह हो गई कि कई लोगों के घर डूब गए और उन्हें अपनी जान बचाने के लिए रातोंरात छतों पर चढ़ना पड़ा. SDERF की टीम ने सुबह 23 लोगों का सफल रेस्क्यू कर उनकी जान बचाई, लेकिन यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रशासन की तैयारी कितनी लचर थी.
बड़ी लापरवाही: गैस पाइपलाइन फूटी, संपर्क मार्ग टूटे
आपदा के समय भी लापरवाही का आलम देखिए! समान स्कूल के पास जलभराव दूर करने के लिए नगर निगम ने जेसीबी भेजी, लेकिन उसने जमीन के नीचे बिछी गैस पाइपलाइन को क्षतिग्रस्त कर दिया. पाइपलाइन फटते ही आग की ऊंची लपटें उठने लगीं और चारों ओर भगदड़ मच गई. गनीमत रही कि आईओसीएल की टीम ने समय रहते हालात संभाला.
वहीं, बोदाबाग से करहिया मार्ग का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है, क्योंकि सड़क पर कई फीट पानी भर गया है. इसके पीछे अवैध प्लाटिंग और नालों को पाट कर बनाए गए निर्माण को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिसने पानी निकासी के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं. शहर की पॉश नेहरू नगर और विकास कॉलोनी में भी अरबों के काम के बावजूद लोगों के घरों में पानी घुस गया, जिससे लाखों का नुकसान हुआ है. मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग की पार्किंग भी जलमग्न हो गई है.
नदियां उफान पर, बांधों के गेट खुले - खतरा बरकरार
बीहर और बकिया जैसी नदियां अपने पूरे उफान पर हैं, और बराज बांधों के गेट खोल दिए गए हैं. बाण सागर बांध भी भरने की कगार पर है, जिससे आने वाले घंटों में स्थिति और बिगड़ सकती है.
यह बाढ़ सिर्फ बारिश का नतीजा नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही, कमीशन की भूख और अनियोजित निर्माण का सीधा परिणाम है. रीवा की जनता अब जवाब मांग रही है कि आखिर कब तक इस तरह के 'विकास' की कीमत उन्हें चुकाते रहना पड़ेगा? दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई कब होगी?