मीडिया की खबरों का असर! IG और SP ने खुद मोर्चा संभाला, कबाड़ी मोहल्ला में हुई 'सबसे बड़ी कार्रवाई'

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा न्यूज़ मीडिया ने 16 जुलाई और 24 जुलाई 2025 को प्रमुखता से कबाड़ी मोहल्ले में चल रहे नशे के काले कारोबार का मुद्दा उठाया था। इन खबरों में इस बात पर जोर दिया गया था कि यह कारोबार केवल कुछ लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे पुलिस के संरक्षण में फलने-फूलने का आरोप लगाया गया था। मीडिया ने इसे एक गंभीर सामाजिक समस्या के रूप में प्रस्तुत किया और इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
रीवा जिले के कबाड़ी मोहल्ला में पुलिस ने नशे के खिलाफ एक बड़ा और कड़ा अभियान चलाया है। यह अभियान आईजी रीवा जोन गौरव राजपूत एसपी विवेक सिंह के निर्देशन में सुबह के समय शुरू हुआ, जिसमें पूरे जिले का पुलिस बल शामिल था। इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य रीवा में नशे के कारोबार की कमर तोड़ना था, जो पिछले कुछ समय से बढ़ रहा था। कबाड़ी मोहल्ला, जो रीवा शहर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में स्थित है, लंबे समय से नशे के कारोबार का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
यहाँ पर सिर्फ पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं, बच्चे और युवा भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं। इसी कारण से इस मोहल्ले को चिन्हित करके पुलिस ने यह विशेष अभियान चलाया। इस मुद्दे को लेकर मीडिया में लगातार दबाव बनाए जाने के बाद, रीवा पुलिस हरकत में आई। आज आईजी गौरव राजपूत के निर्देश पर और एसपी विवेक सिंह के नेतृत्व में कबाड़ी मोहल्ले में एक बड़ा अभियान चलाया गया। इस कार्रवाई में भारी पुलिस बल को तैनात किया गया, जिससे पूरा मोहल्ला पुलिस छावनी में बदल गया।
पुलिस की कार्रवाई की मुख्य बातें:
बड़ा पुलिस बल: इस अभियान में दोनों सीएसपी सहित जिले के ग्रामीण थानों का बल भी मौजूद था।
डॉग स्क्वॉड: नशे की सामग्री का पता लगाने के लिए डॉग स्क्वॉड की टीम भी साथ थी।
सुबह-सुबह दबिश: पुलिस ने सुबह के समय छापा मारा, ताकि नशे के कारोबारियों को बचने का मौका न मिले।
पुलिस की व्यापक छापेमारी कैसे हुई?
यह कार्रवाई आम पुलिसिंग से अलग थी। इसमें पुलिस ने आधुनिक तकनीकों और संसाधनों का भरपूर उपयोग किया।
ड्रोन का इस्तेमाल: पुलिस ने इलाके की निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग किया। यह तकनीक गलियों और घरों के अंदर की स्थिति का पता लगाने में मदद करती है, खासकर उन जगहों पर जहाँ सीधे पहुंचना मुश्किल होता है।
डॉग स्क्वॉड: नशीली दवाओं का पता लगाने के लिए डॉग स्क्वॉड की मदद ली गई। प्रशिक्षित कुत्ते नशीले पदार्थों की गंध को पहचान सकते हैं, जिससे पुलिस को तलाशी में आसानी होती है।
साइबर सेल की टीम: इस अभियान में साइबर सेल की टीम भी शामिल थी। उनका काम नशे के कारोबारियों के डिजिटल नेटवर्क, ऑनलाइन लेनदेन और फोन कॉल की निगरानी करना था।
यह कार्रवाई सुबह लगभग 5 बजे शुरू हुई और कई घंटों तक चली। हर घर की तलाशी ली गई और हर संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ की गई।
क्या मिला और क्या नहीं?
पुलिस को इस अभियान के दौरान कई महिलाओं को पूछताछ के लिए हिरासत में लेना पड़ा। उनके पास से नशीली कफ सिरप समेत कई अन्य मादक पदार्थ भी जब्त किए गए। हालांकि, पुलिस को कोई बहुत बड़ा जखीरा नहीं मिला, जिसका अनुमान लगाया जा रहा था। इस बात से यह संकेत मिलता है कि नशे के कारोबार से जुड़े लोग बहुत ही चालाक हैं और वे बड़े जखीरों को छुपाने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। पुलिस का मानना है कि यह एक संगठित नेटवर्क है और इसका पता लगाने के लिए पूछताछ अभी भी जारी है।
नशे के कारोबार में महिलाओं की भूमिका: क्यों चिंताजनक है?
कबाड़ी मोहल्ले में हुई इस कार्रवाई का एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें कई महिलाओं को पकड़ा गया। यह इस बात का संकेत है कि नशे का कारोबार अब केवल पुरुषों तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह परिवार और समुदाय की एक बड़ी समस्या बन चुका है। महिलाएं अक्सर घर से कारोबार को नियंत्रित करती हैं, जिससे उन पर शक करना मुश्किल हो जाता है। उनकी गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि इस समस्या की जड़ें बहुत गहरी हैं और इसे खत्म करने के लिए केवल पुलिस कार्रवाई ही काफी नहीं होगी, बल्कि सामाजिक जागरूकता और पुनर्वास कार्यक्रमों की भी जरूरत होगी।
आगे की चुनौतियाँ और पुलिस की रणनीति
पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह और आईजी गौरव राजपूत, जो इस पूरे अभियान की निगरानी कर रहे थे, ने बताया कि यह कार्रवाई नशे के खिलाफ जारी 'महा अभियान' का एक हिस्सा है। पुलिस का मानना है कि केवल एक छापेमारी से समस्या हल नहीं होगी। इसलिए, उनकी रणनीति में लगातार निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाना और समय-समय पर ऐसी कार्रवाई करना शामिल है। पुलिस का लक्ष्य इस पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म करना है, न कि सिर्फ छोटे-मोटे डीलरों को पकड़ना।
कबाड़ी मोहल्ला ही क्यों बना निशाने पर?
कबाड़ी मोहल्ला लंबे समय से रीवा में नशे के कारोबार का एक प्रमुख केंद्र रहा है। यहाँ से आसपास के इलाकों में नशीली दवाएं और सिरप की आपूर्ति होती है। पुलिस को लगातार यहाँ से नशे की बिक्री की सूचनाएं मिलती रहती हैं। इस बार की कार्रवाई भी इन्हीं सूचनाओं के आधार पर की गई थी। इस मोहल्ले को चिन्हित करने का एक और कारण यह भी है कि यहाँ पर लोग छोटे-मोटे कारोबार की आड़ में नशे का धंधा करते हैं, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
नशा मुक्त समाज की ओर एक कदम
रीवा पुलिस का यह अभियान न केवल अपराधियों के खिलाफ एक कार्रवाई है, बल्कि यह समाज को यह संदेश भी देता है कि पुलिस नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह अभियान नशा मुक्त समाज की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन यह लड़ाई लंबी है और इसमें पुलिस के साथ-साथ समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करना होगा।
मीडिया की खबरों में यह भी लिखा गया था कि यह किसी अकेले का काम नहीं है और इसमें पुलिस का पूरा संरक्षण प्राप्त है, जिससे यह काला कारोबार फल-फूल रहा है। अब पुलिस की इस कार्रवाई के बाद यह देखना बाकी है कि क्या यह सिर्फ एक दिखावा या नौटंकी थी, या सच में कबाड़ी मोहल्ले में कोरेक्स और गांजे के कारोबार पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया है।
यह घटना यह साबित करती है कि मीडिया, जब किसी गंभीर मुद्दे को प्रमुखता से उठाती है, तो उसका असर होता है और प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस अभियान के बाद क्या स्थिति में कोई ठोस बदलाव आता है या नहीं।