विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल संजय गाँधी के मरीजों की शिकायत : OPD की पर्ची कटाने से लेकर दवा काउंटर तक भटकना पड़ रहा

 
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रीवा. संजय गांधी चिकित्सालय में तमाम सुविधा होने के बावजूद मरीजों को सही से और समय पर उपचार नहीं प्राप्त हो रहा है। ओपीडी की पर्ची कटाने से लेकर दवा काउंटर तक मरीजों को भटकना पड़ रहा है। एक तो ओपीडी में सीनियर चिकित्सक नहीं मिलते, यदि मिल भी गए तो दवा काउंटर पर सभी दवाइयां मरीजों को नहीं मिलतीं। जिसके चलते उनको बाजार से दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं।

संजय गांधी अस्पताल में संभागभर से मरीज आते हैं। लेकिन दूर-दराज से आने वाले मरीजों की शिकायत है कि उनको समय पर उपचार प्राप्त नहीं होता। कई दिनों तक अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है। वहीं डाक्टर द्वारा लिखि गई सभी दवाइयां भी अस्पताल मेें नहीं मिल पातीं। आएदिन दवाइयों का टोटा बना रहता है।

दवाइयों की कुछ कमी
साथ ही अस्पतला में भर्ती के लिए भी मरीजों को भारी असुविधा का समना करना पड़ रहा है। वहीं अस्पताल प्रबंधन इस सब समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं दिखता, जिसका खामियाजा दूर-दराज से आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन इससे इंकार करता है। प्रबंधन का कहना है कि दवाइयों की कुछ कमी होगी तो पूरी कर ली जाएगी। लेकिन ओपीडी में मरीजों को दिक्कत नहीं हो रही है।

अस्पताल में भटक रहे मरीज
संजय गांधी अस्पताल की हालत यह है कि भरीजों को चिकित्सकों को दिखाने से लेकर दवा तक के लिए भटकना पड़ रहा है। घंटों कतार में लगे रहने के बाद भी मरीजों को उपचार नहीं मिल पाता। अस्पताल प्रबंधन के पास ऐसा कोई हेल्पडेस्क नहीं जहां पर मरीज अपनी शिकायत दर्ज करा सकें और मदद लें सकें। लिहाजा कई बार मरीजों को बिना उपचार प्राप्त किये ही लौटना पडता है।

पर्ची कटाने में लगते हैं घंटों
ओपीडी में मरीजों को पर्ची बनवाने मेंं घंटों परेशान होना पड़ता है। पर्ची के लिए सुबह से ही भीड़ लग जाती है और काउंटर कम होने के कारण लोग कतार में लगे रहते हैं। कई लोगों ने बताया कि वे सुबह से कतार में लगे हैं, घंटेभर से ज्यादा हो गया लेकिन अभी तक नंबर नहीं आया। पर्ची काउंटर और बढ़ाए जाने चाहिए।

सीनियर डॉक्टर ओपीडी में बैठ रहे हैं। मरीज ज्यादा होने की वजह से उनको कुछ जूनियर भी देखते हैं। साल के अंत में बजट की वजह से यह समस्या आती है। लेकिन प्रयास किया जा रहा है कि दवा काउंटर पर सभी मर्जों की पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध रहे।

डॉ. अवतार सिंह, अधीक्षक एसजीएमएच

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