"सरकार और सिस्टम कहां है?" – सड़क पर युवक को लिटाकर पिटाई, रीवा पुलिस की बर्बरता कैमरे में कैद!

रीवा में पुलिस का एक ऐसा चेहरा सामने आया है, जिसे देखकर हर इंसान का सिर शर्म से झुक जाएगा। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया है। वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी एक युवक को बीच सड़क पर लिटाकर बुरी तरह पीटते हुए नजर आ रहे हैं।
यह घटना पुलिस के संवेदनशीलता और कानून के दायरे में काम करने के दावों को खुलेआम झुठला रही है।
क्या है वायरल वीडियो में?
युवक को सड़क पर जबरन लिटाकर लात-घूंसे और डंडों से मारा गया
मौके पर कई लोग मौजूद थे, लेकिन पुलिस के खौफ में कोई कुछ नहीं बोल सका
घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है
आम जनता इस बर्बरता पर आक्रोशित है
कानूनी नजर से देखें तो क्या बनती हैं धाराएं?
इस मामले में पुलिसकर्मियों पर इन धाराओं के तहत केस दर्ज हो सकता है:
IPC धारा विवरण
323 स्वेच्छा से किसी को चोट पहुंचाना
341 गलत तरीके से रास्ता रोकना
504 जानबूझकर अपमान करना
506 धमकी देना
NHRC एक्ट 1993 मानवाधिकार उल्लंघन के तहत स्वतः संज्ञान योग्य
"वीडियो में दिखी हिंसा पूरी तरह गैरकानूनी और असंवैधानिक है। ऐसे मामलों में विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए।"
– अधिवक्ता, रीवा ज़िला न्यायालय
कोर्ट की दृष्टि से: यह हिरासत से बाहर की पुलिस बर्बरता है
हालांकि युवक हिरासत में नहीं था, लेकिन सड़क पर इस तरह से हिंसा करना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का सीधा उल्लंघन है।
जनता और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
- “अगर पुलिस ही हिंसक हो जाए तो आम आदमी कहां जाएगा?”
- “मानवाधिकार आयोग को खुद संज्ञान लेना चाहिए।”
- “ऐसी घटनाएं पुलिस पर से भरोसा उठाती हैं।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया पर भी सवाल
घटना के बाद प्रशासन की चुप्पी भी संदेहास्पद है। अभी तक कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। सूत्रों की माने तो संबंधित पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर दिया गया है, लेकिन FIR और कानूनी कार्रवाई की अब तक कोई पुष्टि नहीं है।
यह कोई पहली घटना नहीं है...
यदि ऐसे मामलों पर समय रहते सख्त कार्रवाई न हो, तो यह अन्य पुलिसकर्मियों को भी गलत संदेश देता है। यही वजह है कि जनता चाहती है:
पीड़ित युवक का मेडिकल कराया जाए
- वीडियो को सबूत मानकर FIR दर्ज हो
- दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर कानूनी कार्रवाई की जाए
- मानवाधिकार आयोग स्वतः संज्ञान लेकर नोटिस जारी करे
सवाल सिर्फ एक युवक का नहीं, सिस्टम की सोच का है!
आज ये घटना किसी और के साथ हुई, कल किसी आम नागरिक, पत्रकार या छात्र के साथ हो सकती है।
अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई, तो कानून के राज का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।